अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, हज का महिना करीब आ रहा है, कुछ नए मुसाफिर हज करने के लिए जाएंगे, तो इसी वजह से यह पोस्ट लिखा गया है, हमने यहाँ पर Hajj ka Tarika मुकम्मल रूप से बताया है।
ये तो आप जानते ही है, हर उस मुस्लिम शख्स पर हज फर्ज है जो जिस्मानी तौर से ठीक हो या खूब माल वाला हो, जिसको अल्लाह दौलत से नवाजता है वो शख्स भी हज नहीं कर पाता, लेकिन जिसको अल्लाह ने किस्मत मे लिख दिया वो जरूर जाता है।
इसके अलावा मुस्लिमों मे बहुत लोग ऐसे भी होते है, जो काफी दौलत मंद होते है, लेकिन फिर भी हज को नहीं कर पाते क्युकी जिसको अल्लाह की तरफ संदेश नहीं होता तो वो नहीं जा पाता, लेकिन इस बार अगर आप हज करने का सोच रहे है।
तो हम आप इस पोस्ट मे इस साल हज की मुकम्मल तारीख को भी बताएंगे और हज के अरकान क्या है? वो भी इस पोस्ट मे आपको बताने जा रहे है, तो आप इस पोस्ट को ध्यान से जरूर पढ़े।
हज क्या है और उसका महत्व?
हज इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है। जो सऊदी अरब के मक्का शहर में आयोजित की जाती है। यह वह जगह है जहाँ पैग़म्बर मुहम्मद सल्लालाहू अलैहे वसल्लम के अनुसार अल्लाह ने पहली बार आदम और हव्वा को बनाया था।
हज की यात्रा जुलाई-अगस्त के महीने में की जाती है। यह जीवन में एक बार करने के लिए अनिवार्य है, बशर्ते कि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति ठीक हो। हज यात्रा के दौरान कई प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं जैसे काबा परिक्रमा और सफा-मरवा के बीच सात बार दौड़ना।
हज का महत्व इस्लाम में बहुत अधिक है क्योंकि यह अल्लाह की आज्ञा को पूरा करने का एक माध्यम है। यह मुसलमानों के लिए एकता का प्रतीक भी है क्योंकि सभी जाति, नस्ल और आर्थिक स्तर के लोग एक साथ इसमें भाग लेते हैं।
हज से वापस लौटने वाले लोगों को हाजी कहा जाता है और उन्हें समाज में बहुत सम्मान दिया जाता है। इस प्रकार हज इस्लाम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
हज करने के जरूरी दस्तावेज
अगर आप बाहर किसी देश का सफर कर रहे है, तो वहाँ जाने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज और आपकी वोटर आईडी की जरूरत होती है, इसी तरह हज करने के लिए भी आपके पास कुछ जरूरी कागजात होने जरूरी है, तो चलिए जानते है दस्तावेज को।
- आपका फोटो व्हाइट बैक ग्राउन्ड के साथ
- ब्लड ग्रूप की रिपोर्ट
- कोविड वैक्सीनेशन रिपोर्ट
- जो हज का रहा है उसका पासपोर्ट
- सैविंग अकाउंट पास बुक चेक के साथ
- पैन कार्ड
- मोबाईल नंबर
- नॉमिनी का नाम
हज के अरकान क्या है?
हज करने के लिए उसके अरकान को अदा करना जरूरी होता है, जिस तरह से यदि हम फर्ज नमाज को छोड़ देंगे तो नमाज अदा नहीं होगी, उसी तरह अगर आपने हज के अरकान को छोड़ दिया तो आपका हज मुकम्मल नहीं होगा।
वैसे मुस्लिमों एक फतवा ये भी बताया गया है, की अगर कोई मुस्लिम शख्स हज कर लेता है तो उसे सब लोग हाजी जी कहकर पुकारते है, लेकिन हाजी जी कहना भी मना बताया है, जब एक इंसान हज के अरकान को पूरा कर लेता है, तो उसे सब हाजी कहकर पुकारते है।
लेकिन हम बात कर रहे है, हज के अरकान की जिनको अदा करके एक मुस्लिम शख्स पर जो हज फर्ज था और वो पूरा हो जाता है, वैसे तो इसके चार अरकान होते है, तो चलिए बताते है शुरू से लेकर आखिर तक वो कौन से है।
- मिकात पर जाना सबसे पहला अरकान है
- सफा और मरवा पर सई करना ये दूसरा अरकान है
- नौ जिलहिज्जा को अरफात के मैदान पर पहुचना
- दस जिलहिज्जा को तवाफ ए हज मुकम्मल करना
Hajj ka Tarika
हज का तरीका बेहद ही आसान तरीका है, जिसे मुस्लिम लोग बड़े एहतराम से करते है, बहुत लोगों का यहाँ जाने का बहुत बड़ा सपना भी होता है, जिसके लिए वो अल्लाह से बड़े ही रो रो कर दुआ भी करते है।
वैसे तो इस्लामिक कैलंडर के अनुसार 12वें महीने यानी जिल हिज्जा की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक हज हो जाता है, यही तारीख हर साल होती है, लेकिन ये तारीख चाँद के ऊपर निर्भर करती है, तो चलिए जानते है, जब आप हज पर जाए तो उसके एहतराम और मुखतसर तरीका कैसे करे।
#1. सबसे पहले मिकात पर जाना
हज करने का सबसे पहले मुखतसर तरीका मिकात पर जाना यानि अहराम को बांधना होता है, वैसे हज पर जाकर अहराम बांधना इफराद भी कहलाता है, इसमे सभी मर्द अहराम को बांधते है, औरते केवल अपने कपड़े का अहराम बनाकर बांध सकती है।
सिर्फ ये उमराह का अहराम बांधना है, मक्का पर पहुच कर वहाँ उमराह करना होता है, फिर अहराम को खोल दिया जाता है, फिर उसके बाद मक्का मे अहराम को बंधन अरबी मे तमत्तोअ और अगर हज और उमराह का अहराम बांधते है, तो वो मिकात कहलाता है।
अहरम बांधने के बाद बुलंद आवाज मे एक सूरत को पढ़ना होता है, अल्लाहुम्मा लब्बैक, ला शरीक लका लब्बैक इन्नल हम्द वन्नेअमत लका वला मुल्क लाशरीक लक इस सूरत को इसी पोस्ट से मूजुबानी याद कर सकते है।
अहराम बांधने के बाद कुछ छीजे मर्दों के लिए हराम हो जाती है, तो कुछ छीजे औरतों के लिए वो जायज रहती है, जैसे औरतों की बात करे तो जैसे अपने सर को छुपाना, सर पर बेग को रखना, हाथों मे गल्बस का पहनना, सिले हुए कपड़े पहनना आदि, और मर्दों के लिए निम्न रूप से नीचे बताया है।
- जंगली जानवरों को जिब्ह करना या उनका सौदा करना
- अपने नाखून को कुतरना या काटना
- औरत के साथ सोहबत जैसे सभी काम जो सोहबत से पहले किए जाते है
- अपने बालों को मुण्डवाना या दूसरे के बालों को काटना
- सिले हुए कपड़े पहनना
- अपने मुह या सर को छिपाना
- अपने बेग को सर पे रख कर चलना
- मुश्क, जाफरान, अंबर, जावत्री, लोंग, इलायची, दारचीनी वगैरह खाना या जैतून या तिल्ली या कोई भी खुश्बुदार तेल वगैरह इस्तेमाल करना।
- बालों मे तेल या बदन पर खुशबू का लगाना
- जूता या मोजा पहनना या फिर ऐसे कपड़े पहनना जिससे पेर छुप जाए
बस इन्ही चीजों से मर्दों को परहेज करना होता है, जिसके बाद आपका हज का पहला अरकान अदा से आप फारिग हो जाएंगे।
#2. सफा और मरवा पर सई लगाना
सफा और मरवा भी हज का काफी आसान सा मुखतसर तरीका है, और ये हज का काफी अहम हिस्सा है, जिसको करने के बाद आपको दूसरा अरकान भी मुकम्मल हो जाएगा, सफा और मरवा 2 हरे रंग के पहाड़ है, जिसमे हज करने वालों को उनके बीच दौड़ लगानी होती है, इन पहाड़ों के मेल को अखज़रैन कहते है।
इसके बाद सफा और मरवा मे सात चक्कर को लगाना होता है, जो पहला चक्कर सफा से शुरू होता है, और आखिर मरवा पर होता है, अगर आप बीच से इसके को चक्कर को लगाते है, तो आपके इस अरकान वजीबात छूट जाएंगे।
चक्कर को लगाने के बाद सभी लोग मिन मे कयाम करने के लिए जाते है, जो मक्का से 4 मील की दूरी पर होता है, वहाँ दो पहाड़ होते है, जिनके बीच एक काफी बड़ा मैदान होता है, जहां 8 ज़िलहिज्जा को हर हाजी के लिए जोहर से लेकर सुबह तक कयाम करना होता है, साथ ही पांचों वक्त की नमाज अदा करनी होती है।
मिन की थोड़ी ही दूर पर एक तीन पिलर बने होते है, जिसे मुस्लिम लोग शैतान बोलते है, वहाँ उसको छोटे बड़े पथरो से मारते है कंकर से मारना रमीए जमरात कहलाता है।
#3. नौ जिलहिज्जा को अरफात के मैदान पर पहुचना
दोस्तों नौ जिल हिज्जा को मुस्लिम लोग अरफात के मैदान पहुचते है जहां कयाम किया जाता है, अरफात के मैदान पर जाना जरूरी होता है, चाहे आप कुछ देर या कुछ लम्हों के लिए वहाँ जाए लेकिन वहाँ जाना जरूरी होता है।
अरफात जिसे अरफा भी कहा जाता है, हाजी लोग यहाँ पहुच कर वकूफ़ करते है, जिसे उर्दू मे कयाम भी कहा जाता है, हज करने के लिए इस अरकान को भी अहम माना जाता है।
अरफात में जोहर के से वक्त से ही असर की नमाज़ भी जमाअत से पढ़ी जाती है, और गुरुबे आफताब होने के बाद मग़रिब की नमाज़ को बिना पढ़े, आपको अरफात का मैदान छोड़ना होता है। फिर मुज़दलफा जो की एक मैदान होता है, वहाँ पहुंचकर मग़रिब की नमाज़ अदा की जाती है।
#4. दस जिलहिज्जा को तवाफ ए हज मुकम्मल करना
दस जिलहिज्जा जहां मक्का मे जाया जाता है, जो हर मुस्लिम शख्स का सपना होता है इसी दस जिलहिज्जा को जाया जाता है, हर वो मुस्लिम इंसान अल्लाह की बारगाह मे रो कर दुआ करते है, अल्लाह से अपनी किस्मत मे इस दिन को लाने के लिए।
दस जिलहिज्जा को करना बहुत जरूरी होता है, अगर अपने ये आखिरी अरकान को छोड़ दिया तो आपका हज मुकम्मल नहीं हो सकता और अपने ना के बराबर हज को किया है।
तवाफ ए हज मे मुस्लिम लोगों को काबा के सात चक्कर लगाने होते है, जिसमे वो पहले तीन चक्कर मे अपने कंधों को जोर से हिलाते है, इसके बाद छोटे छोटे कदमों से सातों चक्कर को पूरा करते है, तवाफ में एहराम की चादर दाहिनी बगल के नीचे दोनों पल्लू बाएं मुढ्ढे पर डालना इज्तिबाअ कहलाता है।
हज करने से पहले क्या करते है?
जो भी मुस्लिम शख्स हज के लिए जाता है, तो सबसे पहले उसके घर मे खुशी का माहोल होता है, उसके बाद सभी रिश्तेदारों को अपने घर न्योता देकर बुलाते है, और उनकी मेहमान नवाजी मे जुट जाते है।
इसके अलावा जो भी हज के लिए जाता है, वो उसे इल्तिजा करता है, की अल्लाह के हक मे हमारे लिए भी दुआ करना और उसे काफी मुबारक बाद भी देते है, और अल्लाह से गुनाहों की माफी मांग कर अमनो चैन की दुआ करते है।
आखिरी शब्द
अगर आप भी हज करने का सोच रहे है, तो अल्लाह से नमाज मे दुआ करिए बेशक अल्लाह सबकी सुनता है, उसके यहाँ देर है लेकिन उसके यहाँ अंधेर नहीं।
उम्मीद है दोस्तों आप Hajj ka Tarika का पोस्ट पढ़कर बेहद अच्छा लगा होगा, मैंने इस पोस्ट मे हज के अरकान और उसको मुकम्मल करने के पूरा तरीका बताया हूँ, अगर ये पोस्ट अच्छा लगा तो शेयर जरूर करे, अन्यथा कोई डाउट है, तो नीचे कमेन्ट बॉक्स मे मैसेज करे।