अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, इस वेबसाइट पर 99 names of allah का सीरीज स्टार्ट किया गया है जिसमे अल्लाह के 99 नाम के बारे में बताया जा रहा है जिसमे आज आपको Al Basit के बारे में सिखने को मिलने वाला है.
आज आपको जानने को मिलेगा Al Basit का मतलब क्या है, इसे कब और कितनी बार पढना चाहिए, और इसे पढने से क्या फायदा होने वाला है.
Table of Contents
Al Basit Meaning in Hindi
الْبَاسِطُ
AL-BASIT
(रोज़ी को फराख देने वाला)
अल्लाह वो है के जो अपनी रहमत से अपने बंदो में जिस की चाहे रोज़ी में फ़राख़ी करता है, और अपनी हिकमत के मुताबिक (इस रोज़ी को पर तांग कर के) अपने गुनाहगार बंदो की तौबा को क़ुबूल करने के लिए अपने दोनो हाथ फैलाता है।
अल बासित को कब पढ़े?
Al Basit पढने के लिए कोई भी समय मुक़र्रर नहीं है जब आपके पास समय हो पढ़ सकते है लेकिन बेहतर ये होता है की किसी भी नमाज़ के बाद पढ़े.
क्युकी नमाज़ के बाद पढने का मतलब यही है की आप पाक व साफ़ वजू के साथ होते है और इस हालत में पढ़ते है तो दुआ कुबूल होने का ज्यादा चांस ज्यादा होता है.
अगर आप चाहे तो नमाज़ के बाद अल मालिक को 100 बार पढ़ सकते है.
अल बासित के फायदे और वजीफा क्या है?
benefits of reciting Al Basit
- जो कोई इस नाम को 30 बार पढ़े इंशाअल्लाह दुश्मन पर फ़तह पायेगा.
- जो कोई इसे 40 दिन तक हर रोज़ 4 या 40 निवालों पर लिख कर खा लिया करेगा, वो भूक और क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ रहेगा, इसी तरह ज़ख्म और दर्द की तकलीफ़ से भी महफूज़ रहेगा (इंशाअल्लाह).
- हमेशा हर नमाज़ के बाद पढ़ने वाले पर दोजख की आग हराम है उस पर कोई दुश्मन फतह हासिल नहीं कर सकेगा.
- हर नमाज़ के बाद 33 बार या बसितो पढ़ने से परेशानी और मुश्किल ख़त्म हो जाएगी.
- जो कोई या बासित का ज़िक्रुल्ला 300 बार या उससे अधिक बार करता है, और अपनी हथेलियों को आसमान की ओर उठाकर फिर अपने हाथों से अपना चेहरा पोंछता है, तो अल्लाह की बरकत से दौलत के कई दरवाजे खुलेंगे।
क्या अल बासित अल्लाह का नाम है?
हाँ, अल बासित अल्लाह के 99 नाम का 21th नाम है जिसे पढने वाला दुश्मन पर फतह पाएगा. इंशाअल्लाह