आज मै आपको Azan ki Dua के बारे में बताऊंगा की अज़ान देना कैसा है अज़ान देना सुन्नत है या फर्ज है अज़ान कौन कौन दे सकता है और अज़ान कौन कौन नहीं दे सकता है।
अज़ान देते वक्त मुक्तादियो को क्या कहना चाहिए और क्या नहीं कहना चाहिए इन सब बातो का आज मै इस पोस्ट में जवाब दूंगा तो चलिए जान लेते है कौन से बाते है।
Azan ke Baad ki Dua (अज़ान के बाद की दुआ)
۞ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ۞
اللَّهُمَّ رَبَّ هَذِهِ الدَّعْوَةِ التَّامَّةِ وَالصَّلاَةِ الْقَائِمَةِ،
آتِ مُحَمَّدًا الْوَسِيلَةَ وَالْفَضِيلَةَ، وَابْعَثْهُ مَقَامًا مَحْمُودًا الَّذِي وَعَدْتَهُ
Azan ke Baad ki Dua Roman English
( Allahumma Rabba Hadhihi-D-Dawatit-Tammaa Was-Salatil Qaimah, Aati Muhammadan Al-Wasilata Wal-Fazilah, Wabaathhu Maqaman Mahmudan-Il-Ladhi Waadtah )
Azan ke Baad ki Dua in URDU
یااللہ !اس کامل اعلان اور قائم ہونے والی نماز کے مالک، محمدۖکو مقامِ وسیلہ عطا فرما اور ان کی فضیلت میں اضافہ فرما اور ان کو مقامِ محمود پر پہنچا جس کا تو نے ان سے وعدہ کیا ہے ۔
Azan ke Baad ki Dua in Hindi
“अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती सैय्यिदिना मुहम्मदा नील वसिलता वल फ़ज़ीलता वद्दरजतल रफ़ीअता वब’असहू मक़ामम महमूदा निल्ल्जी व्’अत्तहू वर ज़ुक्ना शफ़ाअतहु यौमल क़ियामती इन्नका ला तुखलिफुल मीआद ”
Azan ke Baad ki Dua in Image
Azan ke Baad ki Dua Meaning English
O Allah , Lord of this perfect call and established prayer. Grant Muhammad the intercession and favor, and raise him to the honored station You have promised him, [verily You do not neglect promises].
Azan ke Baad ki Dua Meaning Roman English
Aye mere Allah jo iss saari pukar ka Rab hai aur Qayam rehney wali namaz ka bhi Rab hai, Nabi-e-Kareem Muhammad (ﷺ) ko Qayamat ke din Waseela ata farma, aur Maqam-e-Mahmood par unka Qayam farma jiska tuney unsey wada kiya hai.
Azan ke Baad ki Dua Meaning in Hindi
ए अल्लाह इस दावते ताम्मा और कयामत तक बाकी रहने वाली नमाज के रब तू हमारे सरदार मुहम्मद सल्लाल्लाहु तआला अलैहि व् सल्लम को वसीला और फजीलत और बुलंद दर्जा अता कर।
और उनको मकामे मेहमूद में खड़ा कर जिस का तूने वादा किया हे और हमें कयामत के दिन उनकी शफाअत नसीब कर बेशक तू वादा के खिलाफ नहीं करता।
अज़ान कहना फर्ज है या सुन्नत
फर्ज नमाजो को जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करने के लिए अज़ान कहना सुन्नत मुकिदा है मगर इस का हुक्म मिस्ले वाजिब के है- यानि अगर अज़ान न कही गई तो वहा के सब लोग गुनहगार होंगे।
अज़ान का सवाब
अज़ान का सवाब हदीसो में बहुत आया है- एक हदीस में है के हुजुर ने फ़रमाया अगर लोगो को मालूम होता के अज़ान कहने में कितना सवाब है तो उस पर आपस में तलवार चलती।
मस्ला- अज़ान इस्लाम से है के अगर किसी शहर या गाँव या मोहल्ला के लोग अज़ान देना छोड़ दे तो बद्साहे इस्लाम इन पर खबर करे और ना माने तो कतल करे।
अज़ान किस वक्त कहना चाहिए
जब नमाज़ों का वक्त हो जाए तो अज़ान कहनी चाहिए अज़ान वक्त से पहले कहना जाईज नहीं अगर वक्त से पहले कही गई तो वक्त होने पर फिर से अज़ान देना चाहिए।
नमाज़ के अलावा अज़ान कही जाती है क्या ?
हाँ-बच्चे और मग्मुम के कान में, मुर्गी वाले के कान में, गुद्बंग और बदमिजाज आदमी या जानवर के कान में, सख्त लड़ाई और आग लगने के वक्त अज़ान कहना चाहिए और मैयत को दफ़न करने के बाद, जंगल में रास्ता भूल जाए और कोई बताने वाला न हो तो इन सूरतो में अज़ान कहना मुस्तहब है।
अज़ान का बेहतर तरीका क्या है
अज़ान देने का सबसे बेहतर तरीका ये है के मस्जिद के सहन से बाहर किसी बुलंद जगह पर क़िबला की तरफ मुंह करके खड़ा हो और कलमा की दोनों उंगुलिया को कानो में डाल कर बुलंद आवाज़ से अज़ान की कलमात को ठहर ठहर कर कहे जल्दी न करे और हैया अलस सलात कहते वक्त दाहिने जानिब और हैया अलाल फला कहते वक्त बाये जानिब मुंह फेरे।
अज़ान का जवाब कैसे देना चाहिए
अज़ान के जवाब का मस्ला ये है के अज़ान कहने वाला जो कलमा कहे तो सुनने वाला भी वही कलमा कहे मगर हैया अलस सलात और हैया अलल फला के जवाब में लाहौर व्लाकुव्तो इलाबिल्लाहे कहे और बेहतर ये है के दोनों कहे और फज़र की अज़ान में अस्स्लातो खैरुम मेनन नोम के जवाब में ये कहे सदक्त व् बररक्कत व् बिल्हक्के नाटक्त कहे।
खुतबा के अज़ान का जवाब देना कैसा है
खुत्बा के अज़ान का जवाब देना मुक्तादियो को जाईज नहीं।
क्या अज़ान कहने वाला ही अकामत कहे दूसरा नहीं कहे
हाँ-अज़ान कहने वाला ही अकामत कहे- इस की इजाजत के बगैर दूसरा नहीं कहे अगर बगैर इजाजत दुसरे ने कही और अज़ान देने वाले को नागवार हो तो मकरूह है।
अकामत के वक्त लोगो का खड़ा रहना कैसा है
अकामत के वक्त लोगो का खड़ा रहना मकरूह व् मना है लिहाजा उस वक्त बैठे रहे- फिर जब तकबीर कहने वाला हैया अलल फला पर पहुंचे उठे।
अज़ान व् अकामत के दरमियान सलात पढना कैसा है
अज़ान व् अकामत के दरमियान सलात पढ़ना यानि अस्स्लातो वस्सलामो अलैक या रसूलल्लाह कहना जाईज व् मुस्तहब है इस सलात का नाम अस्त्लाहे शुरू में तस्विब है और तस्विब नमाज़ मगरिब के आलावा बाकि नमाज़ों के लिए मुस्तहब है।
किन नमाजो के लिए अज़ान कही जाए
मस्ला- पांचो वक्त के फ़र्ज़ नमाज़ और उन्ही में जुम्मा भी है जब जमाअत मोस्ताहबा के साथ मस्जिद में वक्त पर अदा की जाए तो इन के लिए अज़ान सुन्नत मोकिदा है और उस का हुक्म वाजिब है अगर अज़ान ना कही गयी तो वहा के सब लोग गुनहगार होंगे।
मस्ला- मस्जिद में बिना अज़ान व इकामत के जमाअत पढ़ना मकरूह है।
किस नमाज़ में अज़ान नहीं है
मस्ला- फ़र्ज़ नमाजो के सिवा किसी नमाज़ के लिए अज़ान नहीं- ना वित्र में- ना ज़नाज़ा में- ना ईद में- ना मजार में- ना तरावीह में -ना चासत की नमाज़ में- ना नफिल की नमाज़ में।
औरत के अज़ान का हुक्म
मस्ला- औरतो को अज़ान व आकामत कहना मकरूह तहरिमी है अगर कहेगी तो गुनहगार होंगी और इनकी अज़ान फिर से कही जाए।
मस्ला- औरते अपनी नमाज़ अदा पढ़े या कज़ा पढ़े उसके लिए अज़ान व अकामत मकरूह है- औरतो को जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ना मकरूह है।
बच्चे अंधे बे वजू की अज़ान का हुक्म
मस्ला- समझदार बच्चा और अंधे और बे वजू कि अज़ान सही है- मगर बे वजू अज़ान कहना मकरूह है।
मस्ला- जुम्मा के दिन शहर में जोहर के लिए अज़ान नाजाइज है।
अज़ान कौन कहे
अज़ान वह कहे जो नमाज़ के वक्तो को पह्चंता हो- और वक्त ना पहचानता हो तो उस सवाब के लायक नहीं- जो मोजिन के लिए है – अगर मोजिन भी इमाम भी हो तो बेहतर है।
अज़ान के दरमियान बात करने का हुक्म
अज़ान के बिच में बात चित करना मना है अगर कुछ बात की तो फिर से अज़ान कहे, अज़ान की लफ्ज़ किसी गाने की तरह बोलना मना है और अच्छी और ऊँची आवाज़ से अज़ान कहना बेहतर है- अगर अज़ान अहीस्ता हुई तो फिर से अज़ान कही जाए।
मस्ला- मस्जिद में अज़ान देना मना है।
अज़ान होते वक्त तमाम मसगुल बंद कर दिए जाए
मस्ला- जब भी अज़ान का जवाब दे हैज़ व नफास वाली औरत पर और खुत्बा सुनने वाले और नमाज़ ज़नाज़ा पढ़ने वाले और जो जमाह में मशगुल है या कज़ाए हाजत में हो इन पर वाजिब नहीं।
मस्ला- जब अज़ान हो तो उतनी देर के लिए सलाम कलाम और सलाम का जवाब बंद कर दे यहाँ तक के कुरान मजीद की तिलावत में अज़ान की आवाज़ आए तो तिलावत रोक दे और अज़ान गौर से सुने और जवाब दे और यही अकामत में भी कहे- जो अज़ान के वक्त में बातो में मशगुल रहे उस पर बुरा होने का खौफ है।
मस्ला- रास्ता चल रहा था के अज़ान की आवाज़ आई तो उतनी देर खड़ा हो जाए सुने और जवाब दे।
नोट: जो अज़ान के वक्त बातो में मशगुल रहता है उस पर माआजा अल्लाह बहुत बुरा होने का खौफ है।
नोट: जब अज़ान ख़तम हो जाए तो मोजिन और अज़ान सुनने वाले दरूद शरीफ पढ़े फिर ये दुआ पढ़े।
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