Musafir ki Namaz ka Tarika, Rakat | मुसाफिर की नमाज़

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, क्या आप भी Musafir ki Namaz ka Tarika सीखना चाहते है वो भी अच्छी तरीके के साथ तो आप सही जगह वेबसाइट पर आए हो।

इस दुनिया में इन्सान की कभी खवाहिश ख़त्म नहीं होता और वो एक शहर से दुसरे शहर या देश से दुसरे देश में सफ़र (Travel) करते है।

सफ़र करते वक़्त नमाज़ पढ़ना मुश्किल हो जाता है क्युकी हर नमाज़ की rakat ज्यादा होता है और उसके साथ यह भी पता नहीं होता की Musafir ki Namaz ka Tarika क्या है, इसकी कितनी rakat है, इस नमाज़ का वक़्त कब से कब तक होता है।

हमारे नबी मुहम्मद सल्लाह अलैहे वसल्लम ने Musafir ki Namaz Padhne ka Tarika को बहुत ही आसन कर दिया है।

अगर आप जोहर के वक़्त में सफ़र कर रहे है तो 4 rakat फ़र्ज़ पढ़ने के बजाए आप 2 rakat पढ़ने का हुक्म हुआ है।

दुःख की बात यह की हमारे कुछ मुसलमान भाई समझते है की सफ़र करते वक़्त नमाज़ माफ़ है। इसी प्रॉब्लम को समझते हुए आज मुसाफिर की नमाज़ क्या है, Musafir ki Namaz ki Rakat कितनी होती है, और भी इसके related मसला और मसाइल के बारे में बताया गया है।

{وَإِذَا ضَرَبْتُمْ فِي الْأَرْضِ فَلَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ أَنْ تَقْصُرُوا مِنَ الصَّلَاةِ} [النساء: 101]

तर्जुमा: जब तुम जमीन पर सफ़र करो तो तुम पर कोई हर्ज नहीं की तुम नमाज़ में कमी कर दिया करो. (Sure Nisa: 101)

Musafir का मतलब क्या है

Musafir (مسافر) एक शब्द है जो Arabic, Persian, Bengali, Hindi and Urdu में इसका मतलब सफ़र (Travel) करने वाला होता है। और Romanian शब्द में इसे “Guest” बोलते है।

Qasar का मतलब क्या है

Qasar एक Arabic शब्द है जिसका मतलब कम या छोटा होता है। Qasar का वाकई में मतलब होता है की 4 rakat फ़र्ज़ वाली नमाज़ को 2 rakat फ़र्ज़ में अदा करना।

इन्सान को मुसाफिर कब मना जाता है

जब कोई इन्सान 92 KM या उससे ज्यादा सफ़र का इरादा करता है, और वो अपने गाँव, city, शहर, देश से बाहर जाते है तो उसे मुसाफिर कहते है। जैसा की कोई भी इन्सान Patna में रहता है और वो Delhi शहर में जाना चाहते है और वो पटना Train Station से चलता है तो वहा से उनका सफ़र शुरू होता है। या आप Bike, Car, Airport से सफ़र करते है तो वहां से शुरू होता है।

Musafir ki Namaz ka Tarika

मुसाफिर की चार rakat फ़र्ज़ वाली नमाज़ को दो rakat में पढ़े. जिस तरह से पांचो नमाज़ पढ़ा जाता है उसी तरह से मुसाफिर की नमाज़ भी पढ़ा जाता है लेकिन इसमें नियत का तरीका अलग होता है।

Musafir ki Namaz ki Rakat

दोस्तों हमने आपको पहले ही बताया हूँ की Qasar की नमाज़ में 4 rakat को 2 rakat में पढ़ते है इसी लिए आप लोग 2 rakat का नियत करेंगे जैसे अगर आप जोहर की 4 rakat फ़र्ज़ पढ़ना चाहते है तो अपने दिल में नियत करे की:

जोहर की चार rakat फ़र्ज़ की नियत: नियत की मैंने 2 rakat जोहर की कसर पढ़ रहा हूँ.

इसी तरह से सभी नमाजो की नियत करेंगे बस आपको किस नमाज़ की नियत कर रहे है इसका ध्यान रहे।

Musafir Aurat ki Namaz ka Tarika

Musafir Aurat ki Namaz चार मंज़िल जाने की नियत से चले लेकिन पहली दो मंज़िलें हैज़ की हालत में गुज़रें तब भी वह Musafir Aurat नहीं है।

औरत अब अब नहा धो कर पूरी चार रकातें पढे अलबत्ता हैज़ से पाक होने के बाद वह जगह तीन मंज़िल हो या चलते वक़्त पाक थी रास्ता में हैज़ आ गया तो वह अलबत्ता Musafir Aurat है हैज़ से पाक हो कर नमाज़ मुसाफिर की तरह पढे।

Musafir Aurat को दो चार दिन के रास्ते में कहीं ठहरना पड़े लेकिन कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं कि जाना नहीं होता, रोज़ नियत होती है कि कल परसों चला जाऊंगा लेकिन नहीं जाना होता है, इसी तरह पंद्रह या बीस दिन या एक महिना या उस से भी ज़्यादा रहना हो गया, लेकिन पूरे पंद्रह दिन कि नियत कभी नहीं होती तब भी वह Musafir Aurat है या चाहे जितने दिन इसी तरह गुज़र जाएँ।

अगर Musafir Aurat के शौहर का इरादा पंद्रह दिन ठहरने का है तो Aurat भी Musafir नहीं रही चाहे ठहरने की नियत करे या न करे और मर्द का इरादा कम ठहरने का हो तो Aurat भी Musafir है।

Musafir Aurat के शादी के बाद अगर औरत मुस्तकिल तौर पर ससुराल में रहने लगी तो उसका असली घर सुसराल है तो अगर तीन मंज़िल चल कर माइके गयी और पंद्रह दिन रोज़ ठरहने की नियत नहीं है तो Musafir Aurat रहेगी, मुसाफिरत के कायदे से नमाज़ रोज़ा अदा कर ले और अगर वहाँ रहना हमेशा दिल में नहीं तो जो वतन पहले से असली था वह ही अब भी असली रहेगा।

Safar Me Sunnat Aur Nafal Namaz

जो कोई Musafir ki namaz शरीयत से मुसाफिर हो वह जोहर असर और ईशा की फर्ज़ नमाज़ दो दो रकातें पढे और सुन्नतों का यह हुक्म है कि अगर जल्दी हो तो फ़जर की सुन्नतों के सिवा दुसरे नमाजो का सुन्नतें छोड़ देना दुरुस्त है, उसको छोड़ देने से कुछ गुनाह न होगा और कुछ जल्दी न हो, अपने साथियों से बिछड़ जाने का डर न हो तो सुन्नतें safar में पूरी – पूरी पढे उनमें कमी नहीं है।

Musafir ki namaz फ़जर, मगरीब और वित्र की नमाज़ में भी कोई कमी नहीं है जैसे हमेशा पढ़ता रहा वैसे ही पढे।

जोहर असर और ईशा की नमाज़ दो रकातों से ज़्यादा न पढे पूरी रकाते पढना गुनाह है अगर भूले से चार रकातें पढ़ ले तो अगर दूसरी रकात पर अत्तहियात पढ़ी है तब तो दो रकातें फर्ज़ हो गईं और दो रकातें नफ़िल की हो जाएंगी, फर्ज़ नमाज़ फिर से पढे।

मुसाफिर की नमाज़ के मसाइल

मुसाफिर अगर जमात के साथ नमाज़ पढ़े तो क्या हुक्म है

मुसाफिर अगर कोई जमात से नमाज़ पढ़े तो अगर मुसाफिर इमाम हो तो वह 4 rakat वाली नमाज़ में 2 rakat की नियत करे, और 2 rakat पूरी करके वह ये ऐलान कर दे की मै मुसाफिर हूँ आप लोग अपनी बाकी 2 rakat पूरी कर ले.

अगर मुसाफिर मुक्तदी हो तो वह इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहा हो तो वह ऐसी सूरत में कसर की नमाज़ नहीं करेगा, बल्कि 4 rakat की नियत करेगा 2 rakat की नियत नहीं करेगा चाहे वह आखिरी rakat में जमात के साथ शामिल हुआ हो.

औरत को बगैर महरूम के सफर की इज़ाज़त नहीं

औरत को बगैर महरूम के तिन दिन या ज्यादा की राह जाना नाजाइज है ( औरत का महरूम वह मर्द है जिससे उस औरत का निकाह हमेसा के लिए हराम हो जाए जैसे बाप, भाई, बेटा, पोता, नवासा, भतीजा, भांजा वगैरा ) बलके एकदिन की राह जाना भी- नाबालिग बच्चा के साथ सफ़र नहीं कर सकती साथ में बालिग महरूम या सोहर का होना जरुरी है.

Click Here: Tahajjud ki Namaz ka Tarika

सफ़र की क़ज़ा नमाज़ को घर पर अदा करना कैसा है?

अगर किसी से सफ़र की हालत में नमाज़े कज़ा हो जाती है और वो घर पर आ कर musafir ki namaz का क़ज़ा पढ़ना चाहता है तो वो कसर की नमाज़ पढ़े. क्युकी उसके जिम्मे कसर की नमाज़ फ़र्ज़ हुआ था. और जो नमाज़ जिस तरह से फ़र्ज़ हो उसको उसी तरह अदा करना जरुरी है.

ट्रेन गाड़ी जहाज़ में नमाज़ पढ़ना कैसा है?

ट्रेन में नमाज़ का हुक्म है की चलती ट्रेन में ही नमाज़ पढ़े. अगर खड़े हो कर नमाज़ पढ़ने में सर घूमने लगता है तो बैठ कर नमाज़ पढ़े. सफ़र में नमाज़ पढ़ते वक़्त ट्रेन घूम गई और क़िबला दूसरी तरफ हो गया तो आप भी क़िबला की तरफ घूम जाए.

मुसाफिर 2 rakat के बजाय 4 rakat पढ़ ले तो

अगर किसी मुसाफिर ने भूल कर कसर वाली नमाज़ 4 rakat पढ़ लिया हो अगर पहले कदा में उतनी देर बैठा रहा जितनी देर में तशाहुद पढ़ा जाता हो तो उसकी नमाज़ हो जाएगी मगर मकरूह होगी यानि उसमे सवाब कम मिलेगा, और अगर पहले कदा में नहीं बैठा तो उसकी नमाज़ सही नहीं होगी उसको नमाज़ फिर से पढनी पड़ेगी.

Musafir ki Namaz in Hindi PDF

अगर आप Musafir ki Namaz ka Tarika पीडीऍफ़ फॉर्मेट में पढ़ना चाहते तो निचे बटन पर click करके असानी के साथ डाउनलोड करके पढ़ सकते है.

Conclusion

आज अपने सीखा की Musafir ki Namaz ka Tarika क्या है, मुसाफिर किसे कहते है और उसके साथ Musafir ki Namaz से related बहुत problem को अपने सीखा.

अब आप लोग को मालूम हो गया है सफ़र में नमाज़ कैसे पढ़ा जाता है और कितनी rakat पढ़ना चाहिए.

मुझे उम्मीद है आप जब भी सफ़र करेंगे तो Musafir ki Namaz जरुर पढ़ेंगे और अल्लाह ता’अला से खूब दुआ मांगेगे और उसी दुआ में इस नाचीज़ को भी याद कर लेना.

अगर आपको मुसाफिर की नमाज़ से related कुछ ऐसा problem जो इस पोस्ट में बताया नहीं गया है तो निचे कमेंट जरुर करे. खुदा हाफिज!!

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