अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, आप Salatul Tasbeeh Namaz ka Tarika तो आता ही होगा अगर नहीं आता, तो बिल्कुल सही जगह आए हो आप।
वैसे तो नमाज 5 टाइम की फर्ज होती है, लेकिन सलातूल तसबीह की नमाज एक नफली नमाज इबादत है, सलातूल तसबीह के अलावा एक नमाज तहअज्जुद भी होती है।
सलातूल तसबीह की नमाज कभी भी पढ़ सकते है, क्युकी ये एक नफली नमाज होती है, इसलिए सभी मर्दों और औरतों को अपनी पूरी ज़िंदगी मे बार तो जरूर पढ़नी चाहिए।
तो आज इस पोस्ट मे आप जानेंगे सलातूल तसबीह की नमाज का तरीका, इसके सही वक्त को भी जानेंगे। और इसको किस वजह से पढ़ा जाता है।
सलातूल तसबीह की नमाज क्या है?
नफली नमाजों मे सलातूल तसबीह की नमाज सबसे ज्यादा इबादत वाली होती है, इस नमाज को अदा करने से इंसान के अगले पीछे छोटे बड़े गुनाह सभी को माफ करदिया जाता है। इसको अदा करने से काफी बड़ा सवाब भी मिलता है।
इसलिए रसूले अकरम सल्लल्लाहु ता’अला अलैहि वसल्लम ने अपने चाचा हजरते अब्बास रजी अल्लाहु ताला अनहू को और अपने चाचा के भाई हजरत जाफर रजी अल्लाहु ताला अनहू और अब्दुल्ला इब्ने उमर रजी अल्लाहु ताला अनहू को दीगर सहाबा इकराम रoअo को बहुत ही शफक्कत से सलातूल तसबीह की तालिम दी है।
जो इस नमाज की फजीलत के लिए काफी हैं, इसलिए बड़े बड़े उलेमा और सूफिया इकराम इसका अहतमाम करते रहे हैं, और दूसरो को इसकी तालीम दूसरों तक पहुंचाते रहे है।
सलातूल तसबीह नमाज की फजीलत और अहमियत का अंदाजा हदीसे पाक से भी लगा सकते है। हुजूरे पाक सल्लाहुतआला अलैहि वसल्लम अपने चाचा के बेटे हजरत जफर रजी अल्लाहु ताला अनहू ने हब्शा भेज था।
जब वो वहाँ मदीना मुनव्वर पहुचे तो हुज़ूर सल्लाहुतआला अलैहि वसल्लम ने उन्हे गले लगा कर उनकी पेशानी को चूमते हुए कहा की जफर तुम्हें एक एक तोहफा दु, एक खुशखबरी दु, तो हजरत जफर ने कहा जी हुजूर।
तो हजरत मुहम्मद सल्लाहु अलेही वसल्लम ने उनसे फरमाया 4 रकात नमाज सलातूल तसबीह नमाज अदा करो।तो इस हदीस से मालूम हुआ 5 रकात सलातूल तसबीह नमाज नफली इबादत के लिए पढ़ी जाती है।
सलातूल तसबीह की नमाज का वक्त
वैसे तो सभी नमाज अपने वक्त से पढ़ी जाती है, लेकिन हदीसे पाक मे इसका फरमान है। इसको जुमे के दिन अदा करना काफी बड़ा सवाब होता है।
अगर जुमे के दिन इसको अदा नहीं कर सकते, अन्यथा कोई भी दिन इस नमाज को अदा कर सकते है। अगर कोई भी दिन इसको अदा नहीं कर सकते तो ज़िंदगी मे एक बार ही इसको जरूर अदा करना चाहिए।
वैसे इसके सही टाइम कोई भी हो सकता है, और हदीसे पाक मे इस नमाज का फरमान है। इसको जोहर की नमाज से पहले अदा करना चाहिए।
सलातूल तसबीह नमाज की नियत
सलातूल तसबीह नमाज की नियत काफी ज्यादा बड़ी नहीं है, जिस तरह से हम पांचों टाइम की नमाज की नियत को बोलकर बांधते है। उसी तरह इस नमाज की नियत को भी ऐसे ही बांधा जाता है।
सलातूल तसबीह नमजी की नियत को इस तरह से बांधते है, नियत करता हूँ/ करती हूँ चार रकात नमाज सलातूल तसबीह रुख मेरा काबे शरीफ को अल्लाहु अकबर।
इस नमाज की नियत को बांधते वक्त बस इस बात का जरूर ध्यान रखे, आप जिस भी वक्त इस नमाज को अदा कर रहे है। उस वक्त का नाम जरूर ले, क्युकी इस नमाज का कोई भी वक्त पढ़ सकते है इस नमाज का वक्त मुकर्रर नहीं है।
सलातूल तसबीह नमाज मे कितनी रकात होती है?
ये जो नमाज होती है, नफली होती है। इसलिए इसको अपने नफे और अगले पिछले गुनाहों को अल्लाह से माफ कराने के लिए पढ़ा जाता है।
इस नमाज मे सिर्फ 4 रकात होती है, इसके अलावा इसमे कोई भी सुन्नते, या कोई भी बितर नहीं होते। सिर्फ 4 रकात नफली नमाज होती है।
वैसे इस नमाज को अलग जगहों पर अलग नाम से भी बोला जाता है, जैसे की सलातूल तौबा की नमाज भी इसको बोल जाता है।
Salatul Tasbeeh Namaz ka Tarika
सलातूल तसबीह नमाज का तरीका बहुत आसान है, जैसा की हम सभी नमाज को ध्यान लगाकर पढ़ते है। ऐसा ही इस नमाज को भी पढ़ना चाहिए।
सलातूल नमाज मे एक तसबीह जो पूरी नमाज मे 300 बार पढ़ी जाती है, और हर रकत मे उस तसबीह को 75 बार पढ़ना होता है। उस तसबीह को ही सलातूल तसबीह कहा जाता है, जो तसबीह वो इस तरह है:
- सुबहानल्लाहि वलहमदुलिल्लाहि
- वलाइलाहा इल्लललाहु वल्लाहु अकबर
- लाहउला वलाकुवत्ता
- इल्लाविल्लाहिल अलिय्यिल अजीम
इस नमाज को किस तरह पढ़ते है, वो नीचे निम्नलिखित रूप से स्टेप बाइ स्टेप दिया गया है।
सलातूल तसबीह पूरी नमाज का तरीका
- Salatul Tasbeeh ki Namaz के लिए नियत को बांध कर खड़े हो जाना है और सना को पढ़ना है, जो इस तरह है।
- सुबहान कल्ला हुम्मा
- वबी हमदी का वताबारा कसमुका वता आला जदु का
- वला इलाहा गैरुक
- फिर सना पढ़ने के बाद सलातूल तसबीह को 15 बार पढ़ना है, जो इस तरह है।
- सुबहानल्लाहि वलहमदुलिल्लाहि
- वलाइलाहा इल्लललाहु वल्लाहु अकबर
- लाहउला वलाकुवत्ता
- इल्लाविल्लाहिल अलिय्यिल अजीम
- इस के बाद आउजू बिल्लाही और बिस्मिल्लाह पढ़कर सूरह फातिहा पढ़ना है, जो इस तरह है।
- अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
- अर्रहमानिर्रहीम
- मालिकि यौमिद्दीन
- इय्या-क न बुदु व इय्या-क नस्तीइन,
- इहदिनस्सिरातल्-मुस्तकीम
- सिरातल्लज़ी-न अन्अम्ता अलैहिम
- गैरिल्-मग़जूबि अलैहिम् व लज्जॉल्लीन
- सूरह फातिहा पढ़ने के बाद कुरान की छोटी या बड़ी सूरत को पढ़ना है, फिर रुकु मे जाने से पहले सलातूल तसबीह को 10 बार पढ़ना है।
- इसके बाद रुकु मे 3 बार सुबहाना रब्बी अल अजीम पढ़ना है, इसके बाद रुकु से वापस खड़े होके रब्बाना लकल ह्मद पढ़ना है, फिर इसके सलातूल तसबीह 10 बार पढ़ना है।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे मे चले जाना है, फिर 3 बार सजदे मे सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ना है। फिर सजदे मे ही 10 बार सलातूल तसबीह को पढ़ना है।
- फिर पहले सजदे अल्लाह हु अकबर कहकर उठना है, और जलसे की हालत मे 10 बार सलातूल तसबीह को कहना है।
- फिर दूसरे सजदे सुबहाना रब्बी अल आला कहना, 10 बार सलातूल तसबीह को पढ़ना है। उसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे सजदे के लिए उठ जाना है।
इसके बाद दूसरे सजदे को भी इसी तरह अदा करना है, लेकिन जब हम दूसरे सजदे मे किरात के लिए बेठ जाते है। हमारी चारों रकात इसी तरह मुकम्मल हो जाएगी।
बस आपको ये ध्यान रखना हमे सिर्फ सूरह फातिहा से पहले 15 मर्तबा सलातूल तसबीह पढ़ेंगे, रुकु मे जाने से पहले 10 मर्तबा सलातूल तसबीह को पढ़ेंगे।
फिर रुकु मे 3 बार सुबहाना रब्बी अल अजीम के बाद 10 मर्तबा सलातूल तसबीह को पढ़ेंगे, इसके बाद पहले सजदे सुबहाना रब्बी अल आला के बाद 10 मर्तबा, पहले सजदे से फरिक होने के बाद जलसे मे बैठे रहने पर 10 मर्तबा पढ़ना है।
उसके बाद दूसरे सजदे सुबहाना रब्बी अल आला के बाद 10 मर्तबा हमे सलातूल तसबीह को पढ़ना है। इस तरह से आपको सलातूल तसबीह की नमाज को मुकम्मल हो जाएगी।
सलातुल तस्बीह नमाज़ के मुताल्लिक सवाल जवाब
सलातूल तस्बीह कितने वक्त तक पढ़ सकते है?
Salatul Tasbeeh ki Namaz नफली नमाज बताया गया है, जो हर शख्स को पढ़ना मुलाजिम है, हदीसे पाक का फरमान है। यदि इंसान इसको एक भी या जुमे के दिन भी नहीं पढ़ सकता। तो उसको तमा ज़िंदगी मे एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
सलातूल तसबीह नमाज मे कौन सी सुरते पढ़ी जाती है?
सलातूल तसबीह की नमाज मे पहली रकात मे सना के सलातूल तसबीह पढ़ते है, उसके बाद सूरह फातिहा, फिर उसके बाद कुरान की कोई सूरत को पढ़ा जाता है।
सलातूल तस्बीह की नमाज का टाइम क्या है?
Salatul Tasbeeh ki Namaz का कोई भी वक्त मुकर्रर नहीं है, लेकिन ज्यादा लोग और उलेमा इसको जोहर की नमाज से पहले अदा करते है।
सलातूल तसबीह क्या कोई वजीफा है?
सलातूल तसबीह कोई वजीफा नहीं है, लेकिन ये नफली इबादत जरूर है, जो इंसान अपने गुनाहों की माफी के लिए पढ़ता है।
आखिरी बाते
तो मेरे साथियों आपको Salatul Tasbeeh Namaz ka Tarika आपको बेहद पसंद आया होगा। जिसमे आपको बताया गया है, की Salatul Tasbeeh ki Namaz को किस तरह पढ़ते है। और साथ ही इसमे बताया गया है, इसमे कौन कौन सी सुरते है जो पढ़ी जाती है।
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