Salatul Tauba ki Namaz Padhne ka Tarika Hindi me Sikhe

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आप Salatul Tauba ki Namaz ka Tarika की खोज कर रहे है, तो इस लेख मे बताया गया है, सलातू तौबा की नमाज किसलिए पढ़ते है और कैसे पढ़ते है।

आजकल के नौजवान इस्लाम से जुड़ी कोई भी जानकारी मस्जिद के इमाम या मुफ्ती साहब से लेना पसंद नहीं करते है, या फिर जमात के 3 दिन भी लगाना पसंद नहीं करते।

इसलिए कोई भी जानकारी को सीधा इंटरनेट पर खोजना पसंद करते है, जिसकी वजह से अधूरी जानकारी को पाकर वो समझते है। उनको तरीके का पता चल गया है, लेकिन असल जानकारी कोई कोई वेबसाईट ही दे पाती है।

सलातूल तौबा की नमाज क्या है?

सलातूल तौबा की नमाज वह नफिल नमाज है की जब अल्लाह के किसी नेक बंदे से गुनाह हो जाता है तो वह अपने गुनाह पर शर्मिंदा होता है और अपने रब से तौबा करता है उस वक्त यह नमाज पढ़ी जाती है।

वैसे भी अब इंसान गुनाहों की राह पर खुद फिसलता जा रहा है, सुबह उठते है। और गुनाह होने शुरू हो जाते है, सुबह उठने पर फ़जर की नमाज को छोड़कर पहले अपने मोबाईल को ढूंढते है।

वरना हम सबको सुबह फ़जर के वक्त उठना चाहिए सबसे पहले कलमा पढ़ना चाहिए। जंभाई आने पर अस्तगफार पढ़ना चाहिए, फिर उसके बाद फ़जर की नमाज अदा करना चाहिए।

यदि आप पूरे दिन गुनाह से बचे रहेंगे और अस्तगफर तस्बीह पर पढ़ते रहेंगे, तो गुनाहों के कामों से भी दूर हो जाएंगे बस फिर आपका दिल भी गवाही नहीं देगा गुनाह करने के लिए नमाज मे बहुत बड़ी ताकत होती है।

सलातूल तौबा की नमाज का वक्त

सलातूल तौबा की नमाज का कोई मुकर्रर वक्त नही है आप किसी भी टाइम इस नमाज को पढ़ सकते है, लेकिन मकरूह वक्त न हो इस बात का आप खास ध्यान रखे। मजरूह वक्त में कोई भी नमाज नही पढ़ी जाती है।

फर्ज नमाज को उसके मुकम्मल टाइम पर ही पढ़ना होता है, मर्दों को खास तौर पर जमात के साथ नमाज अदा करना चाहिए। औरतों के लिए नमाज को सही वक्त पर अदा करने के लिए बताया गया है।

सलातूल तौबा नमाज की नियत

सलातूल तौबा की नमाज की नियत बहुत ही आसान है अगर आपने दिल में यह इरादा कर लिया की मैं अपने गुनाह से तौबा की नमाज पढ़ता/पढ़ती हूँ तो आपकी नमाज हो जायेगी और चाहे तो आप इस तरह भी नियत कर सकते है।

नियत करता/करती हूँ मै 2 रकात नमाज नफिल सलातुल तौबा की वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

Salatul Tauba ki Namaz ka Tarika

सलातूल तौबा की नमाज का तरीका जो है, वो इंसान की गलतियों की माफी नमाज है। इंसान रोजाना कोई ना कोई छोटे बड़े गुनाह करता रहता है।

जैसे वो हाथ से गुनाहों रोकने की कोशिश करता है, तो जबान से गुनाह हो जाता है। इसलिए सबसे जरूरी इंसान को गुनाह से बचना होता है।

इसलिए गुनाह हो जाए तो उसके लिए सलातूल तौबा की नमाज को अदा करके अल्लाह की बारगाह मे माफी मांग सकता है। अल्लाह बहुत बड़ा है, और वो अपने बंदे को माफ जरूर करता है।

वैसे इस नमाज का हदीसे पाक मे नहीं दी गई है, लेकिन जैसे हम नफली नमाज को अदा करते है। ऐसा ही इस नमाज का तरीका भी यही है।

इसकी नियत को बस सलातूल तौबा की नियत 2 नफल कहकर बांध लेना है, और जो भी हम सुरते नफल नमाज मे पढ़ते है। उसी तरह इसी नमाज मे भी पढ़नी है, इस तरह से सलातूल तौबा की नमाज हो जाएगी।

वैसे गुनाहों से बचने के लिए पांचों वक्त नमाज अदा करनी चाहिए, उसके वक्त पर और तस्बीह पर अस्तगफार पढ़ते रहना चाहिए।

आखिरी बाते

सलातूल तौबा की नमाज को पढ़ना भी जरूरी है, क्युकी जो भी गुनाह होगा। वो काम से काम अल्लाह की बारगाह मे अपनी माफी तो मांग सकता है। वरना ऐसे लोग भी है, जो गुनाह कर देते है मगर एक बार अस्तगफार तक नहीं बोल पाते।

दोस्तों यकीनन आपको Salatul Tauba ki Namaz ka Tarika पढ़कर बेहद अच्छा लगा होगा, ऐसे ही दीन से जुड़ी जानकारी और हर चीज से जुड़ी जानकारी। हमारी वेबसाईट Ka-Tarika पर आकर खोज सकते है।

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1 Comment

  1. Mohammad Salim

    Assalamu alaikum bhai jaan aapane Jo website chalu ki hai mashallah mashallah bahut hi achcha kam Kiya hai aapane Allah aapko kamyabi ata farmae

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