Surah Fatiha in Hindi | सूरह फातिहा हिंदी में लिखी हुई

मै आप सभी से एक सवाल पूछते है की क्या आपको Surah Fatiha का तर्जुमा यानि अल्लाह ता’अला सुरह फातिहा के जरिए क्या बताना चाह रहा है।

मै ये सवाल इसी लिए पूछा हूँ हमारे बहुत सारे भाई और बहन नमाज़, फातिहा या कोई जगह यह सुरह पढ़ती है लेकिन उसका मतलब नहीं जानती है।

लेकिन मै ये जरुर समझ सकता हूँ जितने भी ये आर्टिकल पढ़ने के लिए आए है उनके जेहन में ये सवाल जरुर आया होगा की हम Surah Fatiha in Hindi तो जरुर पढ़ते है मगर इसका तर्जुमा भी तो जानना चाहिए।

आज के वक़्त में Ex-Muslim की मुहीम चल रहा है और सब कोई कुरान शरीफ की गलत तर्जुमा बता के हमारे मासूम मुस्लमान को गुमराह कर रहे है।

इसीलिए मेरी कोशिश यही रहता है की इस Namaz Quran वेबसाइट के लिए जरिए इस्लाम की सच्चाई क्या है सभी को मालूम चल सके।

कहाँ नाज़िल हुई:मक्का
आयतें:7
पारा:1

अगर आप इस Surah Fatiha वाला आर्टिकल को पढ़ते है तो यकीन माने आपको सुरह फातिहा के साथ इसके तर्जुमा मतलब सब कुछ समझ में आ जाएगा।

Surah Yaseen in Hindi

Surah Fatiha हिंदी/अरबी/इंग्लिश में पढ़े

सुरह फातिहा का तर्जुमा जानने से पहले आपको यह सुरह याद कर लेना चाहिए. मुझे मालूम नहीं है की आपको किस भाषा में ये सुरह अच्छी से समझ में आएगा। इसीलिए निचे तिन भाषा में अलहम्दो शरीफ दिया गया है।

आपको यह सुरह याद है तो एक बार फिर से पढ़ ले इसका सवाब बे-इन्तेहा है जो निचे बताया गया, सबसे पहले ये पढ़े।

सूरह फातिहा अरबी में

بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ

ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

مَـٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ

إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ

ٱهْدِنَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ

صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ

Surah Fatiha in Hindi (हिन्दी)

  1. अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन.
  2. अर रहमा निर रहीम.
  3. मालिकि यौमिद्दीन.
  4. इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन.
  5. इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम.
  6. सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम.
  7. गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन. आमीन !

Surah Fatiha in English

  1. Alhamdulliahi Rabbil Aalameen
  2. Arrahmanir Raheem
  3. Maliki Yaumiddeen
  4. Iyyaka Nabudu Waiyyakanastain
  5. Ihdinassiratal Mustaqeem
  6. Siratallazina Anamta Alaihim
  7. Gairil Magdubi Aalaihim Waladdwaleen (Ameen)

Surah Fatiha Tarjuma के साथ पढ़े

अब से आप जब नमाज़ में सुरह फातिहा पढेंगे तो आपके जेहन में इस सुरह का मतलब भी आपको साथ साथ समझ में आता रहेगा।

Surah Fatiha With Translation

अल्लाह के नाम के शुरू जो बहुत मेहरबान रहमतवाला है

Surah Fatiha Meaning in Hindi

  1. सब तारीफ उस अल्लाह के लिए है जो सारे जहाँ का मालिक है।
  2. बहुत मेहरबान निहायत रहम वाला है।
  3. इंसाफ के दिन का मालिक है।
  4. हम तेरी ही इबादत करते है और तुझी से मदद चाहते है।
  5. हमें सीधा रास्ता दिखा।
  6. उन लोगो का रास्ता जिन पर तूने फजल किया।
  7. उनका रास्ता नहीं जिन पर तेरा गजब नाजिल हुआ और न उन लोगो का रास्ता जो रस्ते से भटक गए।
Qul Ya Ayyuhal Kafirun in Hindi

सुरह फातिहा को कितने नाम से जाना जाता है

इस सुरह को सिर्फ Surah Fatiha की नाम से तो जाना जाता है इसके अलावा बहुत और भी नामो से जाना जाता है जो बहुत से लोगो को मालूम नहीं होगा।

चलिए जानते है और कितने नामो से जाना जाता है तो निचे दिया गया है।

फा़तिहा, फा़तिहतुल किताब, उम्मुल कु़रआन, सूरतुल कन्ज़, काफि़या, वाफ़िया, शाफ़िया, शिफ़ा, सबए मसानी, नूर, रुकै़या, सूरतुल हम्द, सूरतुल दुआ़ तअलीमुल मसअला, सूरतुल मनाजात सूरतुल तफ़वीद, सूरतुल सवाल, उम्मुल किताब, फा़तिहतुल क़ुरआन, सूरतुस सलात

सूरह फातिहा पढ़ने के फायदे

मुहम्मद सल्ललाहो अलैह बसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:

जो कोई भी इस सूरह की तिलावत करता है, उसे पूरे कुरान के दो तिहाई (2/3) पढ़ने का सवाब मिलेगा, और उसे दुनिया के तमाम मोमिन मर्दों और औरतों को जो सदका देने पर जो सवाब मिलता है उसके बराबर, इस सूरह फातिहा की तिलावत करने पर सवाब मिलेगा।

मोहम्मद सल्ललाहो अलैह वसल्लम ने एक बार जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी से पूछा, “क्या मुझे आपको एक सूरह सिखाना चाहिए जिसकी पूरे कुरान में कोई अन्य बराबरी नहीं है?” जाबिर ने जबाब दिया, “हाँ, और अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह वसल्लम) ने उन्हें सूरह अल-फातिहा सिखाया। फिर अल्लाह के प्यारे नबी ने पूछा, “जाबिर, क्या मैं आपको इस सूरह के बारे में कुछ बताऊं?”अल्लाह के प्यारे नबी ने कहा, “यह (सूरह अल-फातिहा) मौत को छोड़कर हर बीमारी का इलाज है।”

Surah Fatiha ki Fazilat ke Fayde

बीमारी से शिफा – सूरह फातिहा की ऐसी की रहमत और बरकत वाली सुरा है जिसे पढ़कर अपने जिस्म पेट कम करने से तमाम बीमारियां दूर हो जाती हैं।

ऐसे में अगर आप किसी ऐसे मर्ज़ में मुब्ततला हैं जिससे आपको शिफा नहीं मिल रही; तो आप सूरह फातिहा का ज़्यादा से ज्यादा विर्द करें।

जहर का असर खत्म करने के लिए – एक हदीस शरीफ में आया है; कि सुरह फाातिह को दम करके घांव पर डालने से जहर का असर खत्म हो जाता है।

दौलत में बरकत होती है – surah fatiha ki fazilat में सबसे बड़ी फज़ीलतों मे से एक य़ह है; कि जो शख्स अपने माल और दौलत में बरकत चाहता है, तो वह सुरह फातिहा पढ़ें।

Surah Fatiha Tafseer

इस सूरह फ़ातिहा में अल्लाह तआला की तारीफ़, उसकी बड़ाई, उसकी रहमत, उसका मालिक होना, उससे इबादत, अच्छाई, हिदायत, हर तरह की मदद तलब करना, दुआ मांगने का तरीक़ा, अच्छे लोगों की तरह रहने और बुरे लोगों से दूर रहने, दुनिया की ज़िन्दगी का ख़ातिमा, अच्छाई और बुराई के हिसाब के दिन का साफ़ साफ़ बयान है।

हम्द यानि अल्लाह की बड़ाई बयान करना….

हर काम की शुरूआत में बिस्मिल्लाह की तरह अल्लाह की बड़ाई का बयान भी ज़रूरी है। कभी अल्लाह की तारीफ़ और उसकी बड़ाई का बयान अनिवार्य या वाजिब होता है।

जैसे जुमे के ख़ुत्बे में, कभी मुस्तहब यानी अच्छा होता है ! जैसे निकाह के ख़ुत्बे में या दुआ में या किसी अहम काम में और हर खाने पीने के बाद ! कभी सुन्नते मुअक्कदा ( यानि नबी का वह तरीक़ा जिसे अपनाने की ताकीद आई हो।) जैसे छींक आने के बाद। ( तहतावी )

“रब्बिल आलमीन“ 

मतलब मालकि सारे जहां वालों का इस बात की तरफ इशारा है कि सारी कायनात या पूरी सृष्टि (यानी की जमीं आसमान सूरज चाँद पानी हवा हर शै पुरे ब्रहमांड की) अल्लाह की बनाई हुई है, ओर इसमें जो कुछ है वह सब अल्लाह ही की मोहताज है।

और अल्लाह तआला हमेशा से है ओर हमेशा के लिये है ज़िन्दगी और मौत के जो पैमाने हमने बना रखे हैं। अल्लाह उन सबसे पाक है, वह क़ुदरत वाला है।

”रब्बिल आलमीन” के दो शब्दों (two words) में अल्लाह से तअल्लुक़ रखने वाली हमारी जानकारी की सारी मन्ज़िलें तय हो गई।

“मालिके यौमिद्दीन” 

( मतलब इन्साफ वाले दिन का मालिक ) में यह बता दिया गया। कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं है। 

क्योंकि सब उसकी मिल्क में है और जो ममलूक यानी मिल्क में होता है उसे पूजा नहीं जा सकता। 

इसी से मालूम हुआ कि दुनिया कर्म की धरती है और इसके लिये एक आख़िरत यानी अन्त है।

दुनिया के खत्म होने के बाद ( मतलब क़यामत या प्रलय के बाद ) एक दिन जज़ा यानी बदले या हिसाब का है। इससे पुनर्जन्म का सिद्धान्त या नज़रिया ग़लत साबित हो गया।

“इय्याका नअबुदु” 

( मतलब की हम तेरी ही इबादत करे या हम तुझी को पूजें ) अल्लाह की ज़ात और उसकी खूबियों के बयान के बाद यह फ़रमाना इशारा करता है। 

कि आदमी का अक़ीदा ( यकीन ) उसके कर्म से उपर है। और इबादत या पूजा पाठ का क़ुबूल किया जाना अक़ीदे की अच्छाई पर है। 

इस आयत में मूर्ति पूजा यानि शिर्क का भी रद है। कि अल्लाह तआला के सिवा इबादत किसी के लिये नहीं हो सकती।

“वइय्याका नस्तईन” 

( मतलब और तुझी से मदद चाहें ) में यह सिखाया गया कि मदद चाहना।

चाहे किसी माध्यम या जरिये से हो। या फिर सीधे सीधे या डायरैक्ट, हर तरह अल्लाह तआला के साथ ख़ास है।सच्चा मदद करने वाला वही है।

बाक़ि मदद के जो ज़रिये या माध्यम है वो सब अल्लाह ही की मदद के प्रतीक या निशान है। बन्दे को चाहिये कि अपने पैदा करने वाले पर नज़र रखे और हर चीज़ में उसी के दस्ते क़ुदरत को काम करता हुआ माने।

इससे यह समझना कि अल्लाह के नबियों और वलियों से मदद चाहना शिर्क है ! ऐसा समझना ग़लत है क्योंकि जो लोग अल्लाह के क़रीबी और ख़ास बन्दे है। उनकी इमदाद दर अस्ल अल्लाह ही की मदद है।

अगर इस आयत के वो मानी होते जो वहाबियों ने समझे तो क़ुरआन शरीफ़ में “अईनूनी बि क़ुव्वतिन” और “इस्तईनू बिस सब्रे वसल्लाह” क्यों आता, और हदीसों में अल्लाह वालों से मदद चाहने की तालीम क्यों दी जाती।

“इहदिनस सिरातल मुस्तक़ीम”

( मतलब हमको सीधा रास्ता चला ) इसमें अल्लाह (Allah) की ज़ात और 

उसकी ख़ूबियों की पहचान के बाद उसकी इबादत ( यानी अल्लाह की इबादत ), उसके बाद दुआ की तालीम दी गई है।

इससे यह मालूम हुआ कि बन्दे को इबादत के बाद दुआ (Prayer)में लगा रहना चाहिये. मतलब नमाज़ के बाद दुआ करना करते रहना चाहिए। 

हदीस शरीफ़ में भी नमाज़ के बाद दुआ की तालीम ( शिक्षा ) दी गई है।

( तिबरानी और बेहिक़ी ) 

सिराते मुस्तक़ीम

सिराते मुस्तक़ीम का मतलब इस्लाम या क़ुरआन नबीये करीम हुजू़र सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का रहन सहन या हुज़ूर या हुज़ूर के घर वाले और साथी हैं। इससे साबित होता है कि सिराते मुस्तक़ीम यानी सीधा रास्ता अहले सुन्नत का तरीक़ा है। 

जो हुज़ूर नबीये करीम सल्लाहो अलैहे वसल्लम के घराने वालों, उनके साथी और सुन्नत व क़ुरआन और मुस्लिम जगत सबको मानते हैं।

“सिरातल लज़ीना अनअम्ता अलैहिम”

( मतलब रास्ता उनका जिन पर तुने एहसान किया ) यह पहले वाले वाक्य या जुमले की तफ़सील यानी विवरण है कि सिराते मुस्तक़ीम से मुसलमानों का तरीक़ा मुराद है। इससे बहुत सी बातों का हल निकलता है कि जिन बातों पर बुज़ुर्गों ने अमल किया वही सीधा रास्ता की तारीफ़ में आता है।

“गै़रिल मग़दूबे अलैहिम वलद दॉल्लीन “

( मतलब न उनका जिन पर ग़ज़ब हुआ और न बहके हुओ का ) इसमें हिदायत दी गई है कि सच्चाई की तलाश करने वालों को अल्लाह के दुश्मनों से दूर रहना चाहिये। 

और उनके रास्ते, रस्मों और रहन-सहन के तरीक़े से परहेज़ रखना ज़रूरी है। हदीस की किताब ( Book of hadith ) तिरमिजी़ में आया है कि “मग़दूबे अलैहिम” यहूदियों और “दॉल्लीन” इसाईयों के लिये आया है।

सूरह फ़ातिहा के ख़त्म पर “आमीन” कहना सुन्नत यानी नबीये करीम का तरीक़ा है, “आमीन” के मानी है “ऐसा ही कर” या “कु़बूल फ़रमा”।

ये क़ुरआन शरीफ का शब्द नहीं है।

सूरह फ़ातिहा नमाज़ में पढ़ी जाने या नमाज़ के अलावा, इसके आख़िर में आमीन कहना सुन्नत है।

हज़रत इमामे आज़म का मज़हब यह है कि नमाज़ में आमीन आहिस्ता धीरे से या धीमी आवाज़ में कहा जाए।

Short Surah in Hindi

Surah Fatiha in Hindi Related Questions (FAQs)

सूरह फातिहा कैसे पढ़े?

Surah Fatiha या कोई भी कुरान शरीफ की सुरह पढ़ने का एक ही तरीका होता है आपको सबसे पहले बावजु या पाक व साफ़ रहना है उसके बाद आप पढ़े।

सूरह फातिहा में कितने अक्षर होते हैं?

क्या आप जानना चाहते है की कुरान शरीफ की पहला सुरह यानि सुरह फातिहा में कितने अक्षर होते है तो आपको जानकारी के लिए बता दे की सुरह फातिहा में 140 अक्षर होते है।

सूरह फातिहा कब पढ़ना चाहिए?

हम मुस्लमान तो सबसे पहले 5 वक़्त की नमाजो में हर रकात में पढ़ते है, उसके अलावा किसी इन्सान को मुसीबत और परेशानी के वक़्त में, और इसके साथ सुरह फातिहा पढ़ कर अल्लाह ताला के शुक्र अदा करना।

सुरह फातिहा में कितने आयत है

कुरान शरीफ में सबसे पहला सुरह फातिहा है जिसमे 7 आयत और 1 रुकू होते है।

सूरह फातिहा हिंदी में लिखा हुआ?

सब तारीफ उस अल्लाह के लिए है जो सारे जहाँ का मालिक है।, बहुत मेहरबान निहायत रहम वाला है।, इंसाफ के दिन का मालिक है।, हम तेरी ही इबादत करते है और तुझी से मदद चाहते है।, हमें सीधा रास्ता दिखा।, उन लोगो का रास्ता जिन पर तूने फजल किया।, उनका रास्ता नहीं जिन पर तेरा गजब नाजिल हुआ और न उन लोगो का रास्ता जो रस्ते से भटक गए।

सूरह फातिहा में क्या है?

इसमे अल्लाह तआला की तारीफ़ हैं, उनकी बड़ाई, उनकी रहमत, उनका मालिक होना, उनसे इबादत, हर तरह की मदद तलब करना, दुआ मांगने का तरीक़ा, अच्छे लोगों की तरह रहने और बुरे लोगों से दूर रहने, दुनिया की ज़िन्दगी का ख़ातिमा, और अच्छाई और बुराई के हिसाब के दिन का साफ़ साफ़ बयान है।

अंतिम बात

मुझे उम्मीद है की Surah Fatiha का तर्जुमा, मीनिंग, तफसीर, उसके साथ बहुत सारे सवाल का जवाब दिया गया है जो आपको बहुत अच्छा लगा होगा।

अगर इसके रिलेटेड किसी भी प्रकार का सवाल है तो निचे कमेंट जरुर करे।

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