हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फरमाया कि अगर लोगों को यह मालूम हो जाये कि माहे रमज़ानुल मुबारक क्या चीज़ है (जो कि चाँद से पता चलता है की कब है), तो मेरी उम्मत यह तमन्ना करेंगी कि सारा साल रमज़ान ही हो जाये
अरबी शब्दकोष में शब्द ‘अस्सौम’ एवं उर्दू शब्दकोष में इसके समानार्थक शब्द ‘रोजा’ का अर्थ है ‘रुकना’। इसका आशय है बुराइयों से रुकना, पापों से रुकना। पवित्र रमजान महीने में सूर्योदय पूर्व से लेकर सूर्यास्त पश्चात तक व्यक्ति द्वारा किए गए रोजा (उपवास) के प्रयोग में यह यह प्रायोगिक दर्शन निहित है।