पागलों की तरह ज़ोर से हँसना सही नहीं है। हमारे पैगंबर मोहम्मद साहब केवल सुंदर मुस्कान से मुस्कुराते थे वे कभी ज़ोर से नहीं हँसते थे। रमजान में यदि आप ज्यादा ज़ोर से हसेंगे तो आपका रोजा खराब या मकरूह हो जाएगा।
रमजान हमें सिखाता है कि जो लोग भूखे और कमजोर होते हैं उन्हें कैसा महसूस होता है। इससे हमें पता चलता है कि भूखा रहना कितना मुश्किल है। मुस्लिम लोग ऐसा महसूस करते हैं तो उनमें गरीब लोगों के प्रति दया भावना जागृत होती है।
यदि आप सच्चे मुसलमान हो तो ऐसे समय नजरें नीचे कर लें। विपरीत सेक्स पर नजर डालने से आपका दिमाग नकारात्मक विचारों से भर जाएगा और आप गुनाह कर बैठेंगे।
रमजान धैर्य रखने और दूसरों पर मानवता दिखाने का समय है। यदि आप किसी से लड़ेंगे या गाली-गलोच करेंगे तो आपकी आत्मा तो साफ होगी ही नहीं जब कि मन और आत्मा को साफ करना रमजान का मुख्य उद्देश्य है।
इस्लाम में हमें सही कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है ताकि हमारी शालीनता बनी रहे और विपरीत सेक्स हमारी तरफ आकर्षित ना हो।
पूरे दिन खाने के बारे में सोचने की सलाह रमजान में नहीं दी जाती है। इससे आपका रोजा भी खराब होगा और आप अल्लाह पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाएंगे।
यदि आप केवल दिखाने के लिए और वजन कम करने के लिए रोजा रख रहे हैं तो अल्लाह की नजर में आपका रोजा बेकार है।
पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा है कि पीठ पीछे चुगली करना, धर्म की निंदा करना, तर्क करना आदि से आपका रोजा खराब हो जाता है।
रमजान में सभी प्रकार के यौन कार्य और यौन सोच प्रतिबंधित है। जब आप रोजा रख रहे हैं तो अपने पार्टनर से यौन संबंध ना बनाएँ।
रोजे के दौरान गंदे चुटकले ना कहें, अश्लील या अभद्र कार्य ना करें और भी अनैतिक व्यवहार करने से बचें। आपको अभद्र बातचीत करने और सुनने से बचना चाहिए।
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