इस रात कुरान की पहली आयत प्यारे नबी (ﷺ) पर नाज़िल हुई थी जिब्राइल अलैहिस्सलाम के द्वारा अल्लाह के हुक्म से
इस रात को अल्लाह अपने बन्दों की माफ़ी कबूल करता और उनकी मगफिरत कर देता है साथ ही साथ उन्हें हिदायत दी भी देता है
रमजान का तीसरा अशरा आग से बचने का होता है इसलिए हम इस पाक रात को अल्लाह से माफी मांगते हैं औए तीसरे अशरे की दुआ पढ़ते रहते हैं.
इस रात की इबादत का मुकाबला किसी और रात से नहीं किया जा सकता, इस रात की इबादत सबसे अलग है जो हमें अल्लाह के काफी नजदीक ले जाती है जो किसी और दिन या रात मे नहीं हो सकता.
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इसी रात को कुरान को जन्नत से दुनिया में भेजा गया था, जिसकी वजह से इस रात की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है.
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रमज़ान के तीसरे अशरे मे इतीकाफ मे बैठा जाता है क्यूंकि रमजान का तीसरा अशरा बहुत ही पाक है; इसलिए इतीकाफ मे जरूर बैठे अगर आप अल्लाह से और भी ज्यादा नजदीक होना चाहते हैं.