ईमान के कितने अरकान है ? Iman Ke Kitne Arkan Hai

Iman Ke Kitne Arkan Hai? अस्सलामु अलैकुम दोस्तों हर मुस्लिम शख्स को ईमान के 6 स्तम्भ के बारे मे मालूम होना जरूरी है, अगर किसी भी शख्स को ईमान के अरकान को पता नहीं है, तो वो शख्स मुस्लिम नहीं हो सकता।

इसलिए हर मुस्लिम शख्स को ईमान के अरकान के बारे मे मालूम होना जरूरी है, जो लोग दीन से जुड़े हुए होते है, वही लोग ईमान के अरकान को जानते है, क्युकी जो लोग दीन से जुड़े हुए होते है पांचों वक्त की नमाज अदा करते है।

तो इस्लाम धर्म की सभी चीजों को जानते है, लेकिन कुछ लोग दीन से गाफिल हो चुके होते है तो उनको सबसे पहले ईमान को ठीक तरह से जानना होगा, इस्लाम धर्म मे सबसे जरूरी ईमान ही होता है।

तो दोस्तों आज की इस पोस्ट मे हम आपको ईमान के कितने अरकान है? वो बता रहे है, अगर आप इसकी जानकारी को पूर्ण रूप से लेना चाहते है, तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े।

नाज़रीन आपको मालूम है की इस्लाम में 72 फिरको के नाम क्या है? अगर नहीं तो लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।

ईमान क्या है?

मुस्लिमों के लिए ईमान बहुत महत्वपूर्ण है ईमान का अर्थ है अल्लाह, उसके फ़रिश्तों, किताबों, पैगम्बरों और आख़िरत के दिन पर पूरा भरोसा और विश्वास रखना।

इस्लाम में ईमान के 6 स्तंभ है अल्लाह पर ईमान, फ़रिश्तों पर ईमान, पवित्र किताबों पर ईमान, पैगम्बरों पर ईमान, आख़िरत पर ईमान और तकदीर पर ईमान।

मुसलमान मानते हैं कि अल्लाह ही एकमात्र परमेश्वर है और उसके अलावा कोई उपासना के योग्य नहीं है। वे अल्लाह के फ़रिश्तों जैसे जिब्रील अलैहे सलाम पर भी विश्वास करते है।

मुस्लिम अपने सभी पैगम्बरों और अल्लाह द्वारा भेजी गई किताबों पर विश्वास करते है। साथ ही वे क़यामत के दिन पर भी यक़ीन रखते है।

इस्लाम के अनुसार, ईमान ही एक सच्चे मुसलमान की पहचान होती है और यही धर्म का मूल है। ईमान रखना हर मुसलमान का दायित्व है।

ईमान के अरकान

इस्लाम धर्म मे 6 अरकान होते है, जिससे मुस्लिमों की पहचान होती है, तो चलिए बताते है ईमान के अरकान के बारे मे।

  1. सबसे पहले अल्लाह पर ईमान लाना
  2. नबियों पर ईमान लाना
  3. आसमानी किताबो पर ईमान लाना
  4. अच्छी बुरी तक़दीर पर ईमान
  5. फरिश्तों पर ईमान लाना
  6. आख़िरत पर ईमान लाना

Iman Ke Kitne Arkan Hai

ईमान के कितने अरकान है, वो सभी हम आपको मूल रूप से और सभी अरकान के बारे मे निम्नलिखित रूप से वर्णन कर रहे है, उसके लिए आप इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़े।

#1. अल्लाह पर ईमान लाना

ईमान का सबसे पहला स्तंभ है, अल्लाह पर ईमान लाना है, मतलब हर मुस्लिम इंसान को ये पता होना चाहिए उसके सिवा इस दुनिया को किसी ने नहीं बनाया है, और वह इस दुनिया का बादशाह है, उसके सिवा ना ही उसके जैसा हो सकता है।

#2. नबियों पर ईमान लाना

हर मुस्लिम को इस बात पर यकीन होना चाहिए, जितना भी नबी अल्लाह पाक ने इस दुनिया मे भेजे है, चाहे उनका जिक्र कुरान शरीफ मे हो या नहीं लेकिन आपको उनपर हमेशा यकीन रखना है।

कुरान मे 25 नबियों के नाम को जिक्र किया गया है, जिसमे कुछ नबी का नाम हम आपको बता रहे है, अल-यासा, यूनुस, यहया, ईसा आलेहीस सलाम, इल्यास और सबसे आखिर मे मोहम्मद स0 ल0 है।

#3. आसमानी किताबो पर ईमान लाना

ईमान का तीसरा स्तंभ है, आसमानी किताब पर ईमान लाना है, इस्लाम की जितनी भी किताब है जो अल्लाह ने भेजी है, उनपर हर मुस्लिम शख्स को ईमान लाना है, इसको भी सबसे जरूरी अरकान माना जाता है। इसका जिक्र कुरान मे सूरह अल इमरान मे भी जिक्र किया गया है।

نَزَّلَ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ بِٱلْحَقِّ مُصَدِّقًۭا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ وَأَنزَلَ ٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ

तर्जुमा: उसने तुम पर किताब (क़ुरआन) हक़ (सच्चाई) के साथ उतारी है, जो उसके पहले वाली (किताबों) की पुष्टि करती है, और उसने तौरात और इंजील भी नाज़िल की।

#4. अच्छी बुरी तक़दीर पर ईमान लाना

ईमान का एक अरकान भी अच्छी बुरी तकदीर पर लाना है, यानि के अगर आपको कोई परेशानी आ चुकी है, तो आप उस पर यकीन रखना है, जो अल्लाह ने किया है, बहतराई के लिए किया है, अथवा जो अल्लाह करेगा वह बेहतर के लिए करेगा।

इसी को भी ईमान कहा जाता है, अथवा इसको भी ईमान का सबसे बड़ा अरकान माना जाता है, क्युकी अल्लाह कभी कभी इम्तेहान लेता है और अपने बंदे को आजमाइश मे डालता है।

#5. फरिश्तों पर ईमान लाना

एक ईमान का आर्कन भी है, की हर मुस्लिम इंसान को फरिश्तों पर यकीन रखना क्युकी अल्लाह ने भी फरिश्तों को बनाया है, उन फरिश्तों को कुछ न कुछ काम दिया है, हमारी अच्छाई बुराई को लिखना या हमने कितनी नेकिया की उनको लिखना।

बहुत सारे काम अल्लाह ने उनको दिए है, जो इंसान के नोटिस किए जाते है, फ़रिश्ते अल्लाह का हुक्म को मानते है, सिर्फ जिसमे से कुछ फ़रिश्तो के नाम हैं जिब्रील अ, स और इस्राफील अ, स आदि।

#6. आख़िरत पर ईमान लाना

इस्लाम का यह अरकान हैं आख़िरत पर यक़ीन करना की मरने के बाद फिर ज़िंदा होना हैं और हमने जो अच्छे और बुरे आमाल किए है उसका हश्र के मैदान में हिसाब देना देना है।

जिनके अखलाक अच्छे होंगे, या उसने अल्लाह के बताए और नबी के बताए रास्ते पर चले होंगे, तो उनका भी हक हिसाब होगा, जिन्होंने नाफरमानी की है, अथवा उनको भी हश्र के मैदान मे हक हिसाब होगा।

Conclusion

उम्मीद है, दोस्तों आपको Iman Ke Kitne Arkan Hai पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा होगा, मैंने इस पोस्ट के माध्यम से इस्लाम के सभी अरकान के बारे मे आपको पूर्ण रूप से बताया हूँ, अथवा उनकी व्याख्या भी किया हूँ।

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