अस्सलामु आलेकुम दोस्तों क्या आपको Qurbani Karne ka Sahi Tarika मालूम है? अगर आपको इसका सही तरीका नहीं पता है, तो आज की इस पोस्ट मे हम आपको इसके दुआ से लेकर कुर्बानी सही तरीके से करने के बारे मे बता रहे है।
इस्लाम मे कुछ जानवर जो हलाल माने जाते है, उनको जिबह करने की खास तरीका है, जिसे भारत मे लोग बकरीद या ईद उल अजहा के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम मे वो शख्स जानवर की कुर्बानी दे सकता है, जिसपर कुर्बानी वाजिब होती है।
यानि के इस्लाम मे कुर्बानी को देना किसी पर भी जोर जबरदस्ती या दबाव नहीं होता, अगर आपके जेब खर्च से अलावा आपकी कमाई अच्छी है, तो आप जानवर की कुर्बानी को दे सकते है।
मुसलमान जानवरों की कुर्बानी क्यों देते हैं?
मुसलमान जानवरों की कुर्बानी ईद-उल-अजहा (ईद-उल-अधा) या बकरीद के दिन की जाती है, जो इस्लामिक कैलेंडर के ज़ुल-हिज्जा महीने के 10 दिनों में मनाई जाती है। यह त्योहार हज़ पर्व के बाद आता है और इसमें नबी इब्राहीम अलैहे सलाम (अब्राहम) की बड़ी करनामों को याद करने का एक महत्वपूर्ण संदेश है।
मुसलमान इस दिन एक जानवर (बकरी, गाया, उँट, या भेड़) को कुर्बानी के लिए चुनते हैं और उसे अल्लाह की राह में खुदा के नाम पर दी जाती है।
हजरत इब्राहिम ने अपने सपने देखा कि मैं इकलौते बेटे इस्माइल की क़ुरबानी अल्लाह की राह में कर रहा हूं। जब हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे को यह वाकया बताया तो, उसके बेटे इस्माइल खुशी-खुशी अल्लाह की राह में क़ुर्बान होने के लिए तैयार हो गये।
हजरत इब्राहीम अपने बेटे के साथ अल्लाह की राह में कुर्बानी करने के लिए निकल गये। अपने बेटे को किब़ला रुख में लिटा कर उसकी गर्दन पर छोडी़ फेरी तो अल्लाह ताला ने आसमान से एक दुंबा भेजा। अल्लाह ने कहा कि ” ऐ इब्राहिम इसको (दुंबा) ज़िब्ह करो। हम तुम्हारा इम्तिहान लेना चाहते थे”।
कुर्बानी का मीट किसमे बांटा जाता है?
क़ुरबानी के गोश्त को 3 हिस्सों में बाटा जाता है। एक हिस्सा गोश्त खुद के लिए, एक रिश्तेदारों के लिए और एक हिस्सा गरीब और मज़बूर के लिए जो की क़ुरबानी नहीं करा सकते।
कुर्बानी का मीट तीन हिस्सों में बांटा जाता है:
1. गरीबों और जरूरतमंदों के लिए:
यह हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है। यह ज़कात का एक हिस्सा माना जाता है और यह मुसलमानों का फर्ज है कि वे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
2. रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए:
यह हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों को दिया जाता है। यह रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ संबंध मजबूत करने का एक तरीका है।
3. परिवार के लिए:
यह हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है। यह परिवार के साथ खुशी और आनंद साझा करने का एक तरीका है।
कुर्बानी का मीट बांटने का यह तरीका मुसलमानों में भाईचारे, समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- कुर्बानी का मीट ताजा और स्वच्छ होना चाहिए।
- कुर्बानी का मीट ज़रूरतमंदों तक जल्द से जल्द पहुंचाया जाना चाहिए।
- कुर्बानी का मीट ज़रूरतमंदों को सम्मान के साथ दिया जाना चाहिए।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुर्बानी का मीट बेचना या दान करना जायज़ नहीं है। कुर्बानी का मीट केवल बांटा ही जा सकता है।
कुर्बानी करने का तरीका
Qurbani Karne ka Sahi Tarika बेहद सरल है, अगर आप कुर्बानी कर रहे है, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखे उसके अलावा कुर्बानी को बकरा ईद की नमाज के बाद ही तुरंत करनी चाहिए, तो चलिए बताते है कुर्बानी को किस तरह से करना चाहिए।
- सबसे पहले कुर्बानी के जानवर को जिबह करने से पहले दुआ पढ़े
- जिबह जानवर को यानी कुर्बानी के जानवर को यूँ लिटाए की
- जानवर का सिर बाएं तरफ हो
- और पूरा जिस्म आपके दाएं तरफ़ हो
- कुर्बानी के जानवर का चहरा किबले की तरफ़ हो
कुर्बानी की दुआ अरबी में
إِنِّي وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ حَنِيفًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ إِنَّ صَلَاتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ لَا شَرِيكَ لَهُ وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا أَوَّلُ الْمُسْلِمِينَ، بِسْمِ الله الله أَكْبَرُ।
2024 मे कुर्बानी कब है?
भारत जैसे देश मे 20 करोड़ से अधिक मुस्लिम लोग रहते है, जो अपने कोई भी त्योहार को बहुत ही हर्ष ओ उल्लास से मनाते है, लेकिन इस्लामिक कैलंडर के अनुसार ही मुस्लिमों के त्योहार की तारीख को पता चलता है।
अथवा चाँद की तारीख से और मुस्लिम त्योहार कैलंडर के अनुसार ही मनाते है, इसके अलावा मुस्लिमों के सभी त्योहार हर साल 10 या 12 दिन पहले होते रहते है, जिससे आप इस बात का अंदाजा लगा सकते है।
ईद उल फ़ितर जो रमजान के महीने खत्म होने के बाद मनाई जाती है, इसके 70 से 75 दिन बाद बकरा ईद का त्योहार मनाया जाता है, 2023 मे 29 जून गुरुवार को मनाया गया था।
तो अब इस बात को आप सोच सकते है, की इस बर 2024 मे बकरा ईद 17 या 18 जून को मनाया जा सकता है।
Conclusion
दोस्तों आप जान गए होंगे किस तरह से कुर्बानी को मनाया जाता है, अथवा बकरा ईद पर कुर्बानी को केवल तीन दिन तक किया जाता है, ईद उल अजहा में हर इंसान को तीन दिन तक ज़िबह करने का वक़्त मिलता है।
उम्मीद है, दोस्तों आपको Qurbani Karne ka Sahi Tarika का पोस्ट पढ़कर बेहद अच्छा लगा होगा, हमने इस पोस्ट के माध्यम से आपको पूरी जानकारी आपको दी है, अगर ये पोस्ट अच्छा लगा तो अपने दोस्तों को शेयर कर सकते है, अन्यथा कोई भी डाउट है, तो नीचे कमेन्ट बॉक्स मे मैसेज कर सकते है।