Ramzan ka chand dekhne ki Dua 2024 | चाँद देखने की दुआ

क्या आपको मालूम है की Ramzan ka chand dekhne ki Dua को पढ़कर अल्लाह सुभान ता’अला की बारगाह में दोनों हाथो को उठा कर जो भी दुआ माँगा जाता है वो सभी दुआए रद नहीं होता बल्कि कबूल होता है।

जब रमजान का चाँद दिख जाए तो अगले दिन से रोज़ा शुरू हो जाता है और अगर Ramzan Ka Chand नजर न आए तो दूसरे दिन फिर चाँद देखें, वैसे तो इस बार रमजान 11 या 12 मार्च को शुरू हो रहे है, उससे एक दिन पहले चाँद दिखाई देगा।

इसीलिए आज की पोस्ट में आपको रमजान का चाँद देखने की दुआ बताने जा रहा हूँ और साथ में चाँद क्या है, नया चाँद की दुआ क्या है, दुआ का हिंदी तर्जुमा क्या है।

चाँद किसे कहते है

इस्लाम में कोई भी पर्व मनाने के पूर्व चांद को देखे जाने का रिवाज है। जैसे ईदुल फितर, रमजान, ईदुज्जुहा और मुहर्रम जैसे प्रमुख पर्वों पर चांद देखकर पर्व मनाया जाता है।

इसके पीछे की कहानी हिजरी संवत्‌ कैलेंडर की अवधारणा है जो चंद्र गणना पर आधारित है और इसकी शुरुआत 622 ईस्वी से हुई। इसी दौरान हजरत मुहम्मद साहब ने मक्का से मदीना की ओर रुख किया जिसे हिज्र कहते हैं। इस वजह से हिजरी कैलेंडर शब्द प्रचलन में आया। सूर्य गणना में एक साल में 365 दिन होते हैं जबकि चंद्र गणना में साल में 354 या 355 दिन होते हैं।

इस तरह सूर्य गणना की तुलना में चंद्र गणना हर साल 10 या 11 दिन पीछे होती है। हजरत मुहम्मद साहब ने हिदायत दी कि इस्लामी तीज-त्योहार चांद देखकर ही मनाए जाएं। इसलिए मुस्लिम बिरादरी समूचे विश्व में हिजरी कैलेंडर के मुताबिक पर्व मनाते है।

नाज़रीन क्या आपको मालूम है की 2024 me Ramzan Kab Hai अगर नहीं तो मेरा यह पोस्ट जरुर पढ़े।

Ramzan ka chand dekhne ki Dua

अल्लाह तआला ने इरशाद फरमायाः ऐ महबूब ! लोग आपसे चाँद के बारे में पूछते हैं आप फरमा दीजिए कि वह लोगों और हज के लिए वक्त की अलामत है । ” लिहाज़ा चाँद ही जरिया हमें रमजान की शुरुआत और इख्तिताम का इल्म हो सकता है तो हमें चाँद देखकर ही रोजा रखना चाहिए।

Chand dekhne ki Dua in Arabic:

اَللّٰہُمَّ اَھِلَّہ عَلَیْنَابِالْیُمْنِ وَالْاِیْمَانِ وَالسَّلَامَةِ وَالْاِسْلَامِ ،رَبِّیْ وَرَبُّکَ اللّٰہُ

Ramzan ki Chand Dekhne ki Dua In Arabic
Ramzan ki Chand Dekhne ki Dua In Arabic

रमज़ान का चाँद देखने की दुआ हिंदी में

ये दुआ पढ़े  अल्लाहुम्मा अहिल लहू अलैना बिल अमनि वल इमानि वस सलामति वल इस्लामि वत तौफीकि लिमा तुहिब्बु व तरज़ा रब्बी व रब्बुकल लाह।

दुआ का हिंदी में तर्जुमा

तर्जुमा – ए अल्लाह ! हम पर इस चाँद को अम्नो ईमान, सलामती और इस्लाम और उस चीज़ की तौफ़ीक़ के साथ तुलु फरमा फरमा जो आप पसंद करते हैं और जिसमें आपकी रिज़ा है (ए चाँद) मेरा और तेरा रब अल्लाह है।

Roman English Dua

Allahumma Ahil Lahu Alaina Bil Amni Wal Imani Was Salamati Wal Islami Wat Taufiqi Lima Tuhibbu Wa Tarza Rabbi Wa Rabbukal Lah

Ramzan ka Chand dekhne ke baad ki Dua

आप को बता दे की रमजान का चाँद देखने के बाद की दुआ वही है जो अपने ऊपर चाँद की दुआ पढ़ा है इसके लिए कोई अलग दुआ नहीं है आप इसे चाँद देखते हुए पढ़े और दुआ मांगे।

किसी भी अमल को छोटा मत समझो

मुस्लिम कोई भी नेक अमल करे भले ही वो कितना ही छोटा क्यों ना हो, लेकिन वो अमल का आदत बना ले और कभी ना करना छोड़े तो अल्लाह ऐसे नेक अमल को भी बड़ा पसंद करता है।

और साथ-साथ जब भी आप रमजान का चांद देखने की दुआ को मांगे तो अपने दिल में अपनी जायज हजात को जरूर रखें। न जाने अल्लाह ता’ला उस वक्त दुआ की बरकत से आपकी कौनसी मुराद पूरी कर दे।

जब भी हिजरी यानी चांद के हसब से नया महिना शुरू होने लगे तो चांद को देखने का खास मामूल बना लिजिये। और जब चांद दिख जाए तो हुजूर ﷺ जो चांद देखने की दुआ को पढ़ा करते उसी दुआ को पढ़ लिजिये।

याक़ीनन, वही नया महिना आपके लिए नेकिया और ख़ुशख़बियाँ लेकर आयेगा और देखो ये काम करने में हम 2 मिनट भी नहीं लगाने वाले हैं।

रोज़ा कब और क्यों फर्ज़ हुआ?

मेरे प्यारे आका सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे दीवानो रोजा एलाने नबुव्वत के पंद्रहवी साल यानी दस शव्वाल 2 हिजरी में फर्ज हुआ। अल्लाह तबारक व तआला का फरमान है ऐ ईमान वालो तुम पर रोज़े फर्ज किए गए जैसे कि अगलों पर फर्ज हुए कि कहीं तुम्हें परहेज़गारी मिले।

अल्लाह तआला ने इस आयत में बतौर खास जिक्र फरमाया है कि यह इबादत सिर्फ तुम ही पर फर्ज नहीं की जा रही है बल्कि तुमसे पहले लोगों पर भी फर्ज हो चुकी है। ( सूर : बकर 2 , आयत 183 )

वैसे भी तफ्सीरे कबीर व तफसीरे अहमदी में है कि, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हजरत ईसा अलैहिस्सलाम तक हर उम्मत पर रोजे फर्ज रहे।

हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर हर क़मरी महीने की तेरहवी , चौदहवी और पंद्रहवीं तारीख के रोज़े और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की कोम पर आशूरा का रोज़ा फर्ज रहा।  बाज रिवायतों में है कि सबसे पहले हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने रोजे रखे।

Naya Chand Dekhne Ki Dua

Naya Chand Dekhne Ki Dua In Arabic
Naya Chand Dekhne Ki Dua In Arabic

नया चाँद देखने के लिए कोई अलग दुआ नहीं है बलके जो ऊपर आपने पढ़ा है जो किसी भी मौके पर चाँद देखकर इस दुआ को पढ़ सकते है।

नया चाँद देखने की दुआ का हिंदी में:

ये दुआ पढ़े  अल्लाहुम्मा अहिल लहू अलैना बिल अमनि वल इमानि वस सलामति वल इस्लामि वत तौफीकि लिमा तुहिब्बु व तरज़ा रब्बी व रब्बुकल लाह।

दुआ का तर्जुमा हिंदी में

तर्जुमा – ए अल्लाह ! हम पर इस चाँद को अम्नो ईमान, सलामती और इस्लाम और उस चीज़ की तौफ़ीक़ के साथ तुलु फरमा फरमा जो आप पसंद करते हैं और जिसमें आपकी रिज़ा है (ए चाँद) मेरा और तेरा रब अल्लाह है।

Ramzan ka chand dekhne ki Dua (FAQs)

रमजान के उपवास को अरबी में क्या कहते हैं?

उपवास को अरबी में “सौम” कहते हैं। रमज़ान के पवित्र माह में रखे जाने वाले उपवास ही “सौम” हैं। उर्दू और फ़ारसी भाषा में सौम को “रोज़ा” कहते हैं।

रोज़ा का अर्थ क्या है?

अरबी शब्दकोष में शब्द ‘अस्सौम’ एवं उर्दू शब्दकोष में इसके समानार्थक शब्द ‘रोजा’ का अर्थ है ‘रुकना’। इसका आशय है बुराइयों से रुकना, पापों से रुकना। पवित्र रमजान महीने में सूर्योदय पूर्व से लेकर सूर्यास्त पश्चात तक व्यक्ति द्वारा किए गए रोजा (उपवास) के प्रयोग में यह यह प्रायोगिक दर्शन निहित है।

रमजान के कितने दिन बाद ईद आती है?

चांद के दिखाई देने पर ही ईद या प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। रमजान के पवित्र माह का प्रारंभ चांद के देखने से होता है और इसका समापन भी चांद के ​निकलने से होता है। रमजान के 29 या 30 दिनों के बाद ईद का चांद दिखता है।

आज अपने क्या सीखा

आज अपने Ramzan ka chand dekhne ki Dua और इसका हिंदी तर्जुमा सीखा जिसको पढ़कर अल्लाह ता’अला की बारगाह में दुआ को कबूल करवा सकते है। साथ ही नया चाँद की दुआ और इससे सम्बंथित प्रश्न को भी देखा।

मुझे उम्मीद है की ये Ramzan ka chand dekhne ki Dua पोस्ट आपको और आपके दोस्तों फॅमिली को अच्छा लगेगा जब आप इस पोस्ट को उनके साथ शेयर करते है तो वैसे इस वेबसाइट कंटेंट अच्छा लग रहा है तो निचे कमेंट जरुर करे।

खुदा हाफिज दुआ में याद रखना।

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Shakil Ahmad

नमाज़क़ुरान.कॉम एक इस्लामिक वेबसाइट है जो शकील अहमद द्वारा 2021 में शुरू की गई है, ताकि दुनिया भर के लोगो तक ऑथेंटिक इस्लामिक दुआएं, नमाज़, कुरान और हदीस की रौशनी में जानकारी पहुंचाई जा सके।

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