Roza Kholne ki Dua क्या है जिसको Iftaar ki Dua भी कहा जाता है जानने के लिए आए है तो आप बिलकुल सही जगह आए है.
रमज़ान का मुबारक महीना हम सब के अंदर ईमान की एक नई रूह लेकर आता है। हम सब अल्लाह के हुक्म को पूरा करने के लिए रोज़ा रखते है।रोज़ा रखने से इंसान के अंदर परहेजगारी की सिफत पैदा होती है।सुबह की सेहरी से लेकर इफ़्तार करने तक हम अल्लाह कि रजा के लिए सब कुछ खाना पीना बंद कर देते है।
मगरिब के वक्त जब मस्जिद से अज़ान कि आवाज़ आती है तब हम सब iftar करते हैैं और उसके बाद दुआ पढ़ते है इन सब पूरे तरीके को करने के लिए अल्लाह के रसूल ने हमें कुछ दुआए बताई है।
ऐ ईमान लाने वालो! तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए, जिस तरह तुम से पहले के लोगों पर किए गए थे, शायद कि तुम डर रखने वाले और परहेज़गार बन जाओ।
(क़ुरआन, 2:183)
इस टॉपिक में हम Roza iftar karne ki dua और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद के बारे में जानेंगे। Ramzan ka chand dekhne ki Dua
Roza Kholne ki Dua
रोजा रखने की दुआ एक बहुत ही शक्तिशाली दुआ है जो किसी भी समस्या को हल करने में मदद कर सकती है। रोजा रखने की दुआ को रोजा कादरी के नाम से भी जाना जाता है। रोजा रखने की दुआ अल्लाह से माफ़ी और रहमत पाने की एक इस्लामी दुआ है।
रोज़ा खोलने की दुआ हमें जरुर पढनी चाहिए और अल्लाह ता’अला की शुक्रिया करना चाहिए की हमें जिन्दगी दे और उसमे रमजान की रोज़े भी दे।
Roza Kholne ki Dua को पढ़ने में असानी हो इसके लिए हमने इमेज के ऊपर दुआ को हिंदी और arabic में लिख दिया और इसके साथ text में भी लिखा गया है जिसकी मदद आप असानी से दुआ को याद कर सकते है।
Roza Kholne ki Dua in Arabic
Dusra Arabic Dua
Roza Kholne ki Dua in Hindi
अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू
दूसरा रोज़ा खोलने की दुआ हिंदी में
” अल्लाहुम्म लका सुम्तु व अला रिज़क़िका अफतरत ”
रोज़ा खोलने की दुआ का मीनिंग
“ऐ अल्लाह, मैंने तुम्हारे लिए रोज़ा रखा है और मैंने तुम पर यकीन किया है और मैं इसी के साथ इसे खोल रहा हूं।”
दूसरा रोज़ा खोलने की दुआ
ऐ अल्लाह। मैंने तेरी रजा के लिए रोजा रखा और तेरी ही रज्कक पर इफ़्तार खोल रहा हूं.
किन किन चींजों से रोज़ा टूट जाता है
- नाक में दवा डालने से रोज़ा टूट (Break) जाता है
- सिगरेट बीड़ी हुक्का पिने से रोजा टूट (Break) जाता है
- जान बुझ कर खाने से रोज़ा टूट (Break) जाता है
- पानी से कुल्ला करने पर अगर पानी गले के निचे चला जाए तो रोज़ा टूट (Break) जाता है
- मुस्त जनि से यानि मस्टर बेशन करने से रोज़ा टूट जाता है
- जान बूझकर wometing उलटी करना इससे रोज़ा टूट जाता है
- किसी खातून को हैज और निफ़ास के आ जाने से भी रोज़ा टूट जाता है
- रोजे के हालत में सरम गाह में कोई दवा रखना इससे भी रोज़ा टूट जाता है
- Inhaler दमे के बीमारी वाले शख्स जो इन्हेलर लेते है उससे रोज़ा टूट जाता है
- हमबिस्तरी करने से रोज़ा टूट जाता है (और कफ़्फ़ारा भी वाजिब हो जाएगा )
अगर रोज़ा क़ज़ा हो जाए तो कब रोज़ा रखें
किसी औरत या मर्द हजरात के रमजान के रोज़ा क़ज़ा हो गए हो तो उसे कैसे मुकम्मल करें सबसे पहले ये जान ले की रमजान के रोज़े सभी पर फ़र्ज़ है इसी लिए जो रोज़ा क़ज़ा हो गया हो उसे बाद में नफिल रोज़ा यानि के और रोज़ा से पहले रमजान के रोज़े को रखें मुकम्मल करें।
क़ज़ा रोज़े को कब तक आप रख सकते है ये भी हम आपको बता दे रहे है क़ज़ा हुए रोज़े को जितना जल्द से जल्द करें पूरा करें कम से कम अगले साल आने वाले रमजान से पहले आपको क़ज़ा रोज़ा को पूरा मुकम्मल करना ही चाहिए।
अल्लाह ने किन लोगो को रोज़े में छूट दिया है
- अगर कोई शख्स बहुत बीमार हो चाहे फिर वो मर्द हो या औरत दवा खाना उसकी मज़बूरी हो अगर दवा न खाये तो उसके बीमारी में इजाफा हो सकता है तो वो रोज़ा छोड़ सकता है अल्लाह ने उनके लिए रोज़े में छूट दिया है
- प्रेग्नेंट औरत (ledies) को रोज़ा में छूट दिया गया है
- जो औरत (ledies) माँ अपने बच्चो को दूध पिलाती है उसके लिए भी रोज़े में छूट दिया गया है
- बूढ़े बुगुर्ग और नादान बच्चो पर भी अल्लाह तबारक व तआला ने रोज़े में छूट दिया है
क्या क्या करने से रोज़ा नहीं टूटता है
- गलती से कुछ खा ले या पानी पि ले इससे रोज़ा नहीं टूटता है
- रोज़े के हालत में जो मुंह में थूक आते है उसे अंदर घोंट लेने से भी रोज़ा नहीं टूटता है
- अगर रोज़े के हालत में उलटी (wometing) अपने आप हो जाए तो रोज़ा नहीं टूटता है
- कान में या आँख में दवा डालने से भी रोज़ा नहीं टूटता है
- विक्स या फिर अतर के खुशबू को सूंघने से भी रोज़ा नहीं टूटता है
रोजा के दौरान कौन सी दुआ मांगी जाती है ?
रोजा के दौरान हर मुसलमान भाई और बहन यही दुआ करता है की ‘ऐ अल्लाह ,मैंने तेरी ही रजामंदी के लिए रोजा रखा और तेरी रिज़्क पर इफ्तार भी किया’ इस तरह से आप Roja kholne ki dua in hindi दुआ का हिन्दी में मतलब समझ गए होगे।
इफ़तार की फजीलत
हजरत शम्सुद्दीन दारानी कुद्दीसा सिरोहु फरमाते है कि मैं दिन को रोज़ा रखू और रात को हलाल लुकमा से इफ़तार करूं मुझे ज़्यादा महबूब है कि रात दिन नवाफिल पढ़ते गुजारूं।
आज अपने क्या सीखा
आज अपने Roza Kholne ki Dua को arabic, हिंदी, english में तफसीर से बताया गया है उसे अच्छे से सीखा होगा।
अगर आपको रोज़ा खोलने की दुआ से related कोई भी problem आ रहा है तो आप निचे कमेंट में राबता जरुर करे।
इसके साथ इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।