Subha Taiba Mein Hui Batta hai Bara Noor ka Lyrics

This Beautiful Naat Sharif is Subha Taiba Mein Hui Batta hai Bara Noor ka Lyrics by Owais Raza Qadri is a new sufi song Melodious Voice.

Subha Taiba Mein Hui Batta hai Bara Noor ka Lyrics

Subha Taibah Me Hui Bat’ta Hain Baada Noor Ka
Sadqa Lene Noor Ka Aaya Hain Taara Noor Ka

Baaghe Taibah Me Suhana Phool Phoola Noor Ka
Mast Bu Hain Bul Buley Padhti Hain Kalmah Noor Ka

Baarhvi Ke Chaand Ka Mujra Hai Sajdah Noor Ka
Baarah Burjo Se Jhuka Ik Ik Sitara Noor Ka

Unke Kasre Kadr Se Khuld Ek Kamra Noor Ka
Sidra Paayi Baagh Me Nanha Sa Pauda Noor Ka

Arsh Bhi Firdaus Bhi Us Shahe Waala Noor Ka
Yeh Musagman Burj Wo Muskuye A’ala Noor Ka

Aayi Bida’at Chayi Zulmat Rang Badla Noor Ka
Maahe Sunnat Mehre Tala’at Le Le Badla Noor Ka

Tere Hi Maathe Raha Ay Jaan Sehra Noor ka
Bakht Jaaga Noor Ka Chamka Sitara Noor Ka

Main Gada Tu Baadshah Bharde Piyala Noor Ka
Noor Din Duna Tera De Daal Sadqa Noor Ka

Teri Hi Jaanib Hai Paanchi Waqt Sajdah Noor Ka
Rukh Hain Qibla Noor Ka Abru Hai Qa’aba Noor Ka

Pusht Par Dhalka Sar-E-Anwar Se Shimla Noor Ka,
Dekhein Moosa Tur Se Utra Sahifah Noor Ka

Pech Karta Hai Fida Hone Ko Lamha Noor ka,
Gird-E Sar Phirne Ko Banta Hai Imamah Noor Ka

Kya Bana Naam-E Khuda Asra Ka Dulha Noor Ka,
Sar Pe Sehra Noor Ka Bur Main Shahana Noor Ka

Wasf-E Rukh Main Gati Hain Hoorein Tarana Noor Ka,
Qudrati Binau Mai Bajta Hai Lehra Noor Ka

Taaj Waale Dekh Kar Tera Imama Noor Ka
Sar Jhukate Hai Ilahi Bol Baala Noor Ka

Sham’a Dil Mishkaat Tan Seena Zujaja Noor Ka
Teri Surat Ke Liye Aaya Hain Sura Noor Ka

Tere Aage Khaaq Par Jhukta Hai Maatha Noor Ka
Noor Ne Paaya Tere Sajde Se Seema Noor Ka

Tu Hain Saaya Noor Ka Har Azwa Tukda Noor Ka
Saaye Ka Na Saaya Hota Hain Na Saaya Noor Ka

Kya Bana Naame Khuda Asra Ka Dulha Noor Ka
Sar Pe Sehra Noor Ka Bar Me Shahana Noor Ka

Naariyon Ka Daur Tha Dil Jal Raha Tha Noor Ka
(Ay Umar)Tumko Dekha Ho Gaya Thanda Kaleja Noor Ka

Jo Gada Dekho Liye Jaata Hai Toda Noor Ka
Noor Ki Sarkaar Hai Kya Isme Toda Noor Ka

Bheek Le Sarkaar Se La Jald Kaasa Noor Ka
Maahe Nau Taiba Me Bat’ta Hai Mahina Noor Ka

Teri Nasl-E-Paak Me Hain Bachha Bachha Noor Ka
Tu Hain Aine Noor Tera Sab Gharana Noor Ka

Noor Ki Sarkaar Se Paaya Do-shala Noor Ka
Ho Mubarak Tumko Zunnurain Joda Noor Ka

Tab Mehr Hashr Se Chaunke Na Kushtah Noor Ka,
Bhundiya Rehmat Ki Dene Ayei Chinta Noor Ka

Tab-E Sum Se Chaundhiya Kar Chand Unhee Qadmo Phira,
Hans Ke Bijli Ne Kaha Dekha Chalawa Noor Ka

Aankh Mil Sakti Nahi Dar Par Hai Pehra Noor Ka
Taab Hain Be-Hukm Par Maare Parinda Noor Ka

Chaand Jhuk Jaata Jidhar Ungli Utha De Mahd Me
Kya Hi Chalta Tha Isharo Par Khilona Noor Ka

Ek Seene Tak Mushabeh, Ik Wahan Se Pa’oon Tak,
Husn-E Sibtayn Unke Jamaun Main Hai Nima Noor Ka

Kaaf Gesu Haa Dahan Ya Abru Aankhein Ain Swaad
Kaaf Haa Ya Ain Swaad Unka Hain Chehra Noor Ka

Ay “Raza” Ye Ahmed E Noori Ka Faize Noor Hain
Ho Gayi Meri Ghazal Badh Kar Qaseedah Noor Ka

सुबह तैबा में हुई बटता है बड़ा नूर का लिरिक्स

सुब्हा तयबा में हुई बटता है बाड़ा नूर का
सदक़ा लेने नूर का आया है तारा नूर का

बाग़े त़यबा में सुहाना फल फूला नूर का
मस्त बे हैं बुलबुलें पढ़ती हैं कलिमा नूर का

बारहवीं के चाँद का मुजरा है सज्दा नूर का
बारह बुर्जों से झुका एक इक सितारा नूर का

उन के क़सरे क़द्र से खुल्द एक कमरा नूर का
सिदरा पाएं बाग़ में नन्हा सा पौदा नूर का

अ़र्श भी फ़िरदौस भी उस शाहे वाला नूर का
यह मुसम्मन बुर्ज वोह मुश्कूए आ’ला नूर का

आई बिद्अत छाई जुल्मत रंग बदला नूर का
माहे सुन्नत मेह़रे त़ल्अ़त ले ले बदला नूर का

तेरे ही माथे रहा है ऐ जान सेहरा नूर का
बख़्त जागा नूर का चमका सितारा नूर का

मैं गदा तू बादशाह भर दे प्याला नूर का
नूर दिन दूना तेरा दे डाल सदक़ा नूर का

तेरी ही जानिब है पांचों वक़्त सज्दा नूर का
रुख़ है क़िब्ला नूर का अब्र है का’बा नूर का

पुश्त पर ढलका सरे अन्वर से शम्ला नूर का
देखें मूसा त़ूर से उतरा सह़ीफ़ा नूर का

ताज वाले देख कर तेरा इ़मामा नूर का
सर झुकाते हैं इलाही बोलबाला नूर का

बीनिये पुरनूर पर रख़्शां है बुक्का नूर का
है लिवाउल ह़म्द पर उड़ता फरेरा नूर का

मुस्हफ़े आरिज़ पे है ख़त्ते शफ़ीआ़ नूर का
लो सियह कारो मुबारक हो क़बाला नूर का

आबे ज़र बनता है आरिज़ पर पसीना नूर का
मुस्ह़फ़े ए’जाज़ पर चढ़ता है सोना नूर का

पेच करता है फ़िदा होने को लम्आ़ नूर का
गिर्दे सर फिरने को बनता है इ़मामा नूर का

हैबते आरिज़ से थर्राता है शो’ला नूर का
कफ़्शे पा पर गिर के बन जाता है गुफ्फा नूर का

शम्आ़ दिल मिश्कात तन सीना जुजाजा नूर का
तेरी सूरत के लिए आया है सूरह नूर का

मैल से किस दरजे सुथरा है वोह पुतला नूर का
है गले में आज तक कोरा ही कुरता नूर का

तेरे आगे ख़ाक पर झुकता है माथा नूर का
नूर ने पाया तेरे सज्दे से सीमा नूर का

तू है साया नूर का हर उ़ज़्व टुकड़ा नूर का
साए का साया न होता है न साया नूर का

क्या बना नामे खुदा असरा का दूहा नूर का
सर पे सेहरा नूर का बर में शहाना नूर का

बज़्मे वह़दत में मज़ा होगा दोबाला नूर का
मिलने शम्ए त़ूर से जाता है इक्का नूर का

वस्फ़े रूख़ में गाती हैं हूरें तराना नूर का
कुदरती बीनों में क्या बजता है लहरा नूर का

यह किताबे कुन में आया तुरफ़ा आया नूर का
ग़ैरे क़ाइल कुछ न समझा कोई मा’ना नूर का

देखने वालों ने कुछ देखा न भाला नूर का
मन राई कैसा यह आईना दिखाया नूर का

सुब्ह़ कर दी कुफ्र की सच्चा था मुज़दा नूर का
शाम ही से था शबे तीरह को धड़का नूर का

पड़ती है नूरी भरन उमड़ा है दरिया नूर का
सर झुका के किश्ते कुफ्र आता है अहला नूर का

नारियों का दौर था दिल जल रहा था नूर का
तुम को देखा हो गया ठन्डा कलेजा नूर का

नस्ख़े अदियां कर के खुद क़ब्ज़ा बिठाया नूर का
ताजवर ने कर लिया कच्चा अ़लाक़ा नूर का

जो गदा देखो लिए जाता है तोड़ा नूर का
नूर की सरकार है क्या इसमें तोड़ा नूर का

भीक ले सरकार से ला जल्द कासा नूर का
माहे नौ त़यबा में बटता है महीना नूर का

देख इनके होते नाज़ैबा है दा’वा नूर का
मेह़र लिख दे यां के ज़र्रों को मुचलका नूर का

यां भी दाग़े सज्दए त़यबा है तमग़ा नूर का
ऐ क़मर क्या तेरे ही माथे है टीका नूर का

शम्अ़ सां एक एक परवाना है उस बा नूर का
नूरे ह़क़ से लौ लगाए दिल में रिश्ता नूर का

अन्जुमन वाले हैं अन्जुम बज्म ह़ल्का नूर का
चांद पर तारों के झुरमुट से है हाला नूर का

तेरी नस्ले पाक में है बच्चा बच्चा नूर का
तू है ऐने नूर तेरा सब घराना नूर का

नूर की सरकार से पाया दोसाला नूर का
हो मुबारक तुम को जुन्नूरैन जोड़ा नूर का

किस के पर्दे ने किया आईना अन्धा नूर का
मांगता फिरता है आँखें हर नगीना नूर का

अब कहां वोह ताबिशें कैसा वोह तड़का नूर का
मेह़र ने छुप कर किया ख़ासा धुंदल्का नूर का

तुम मुक़ाबिल थे तो पहरों चांद बढ़ता नूर का
तुम से छुट कर मुंह निकल आया ज़रा सा नूर का

क़ब्रे अनवर कहिये या क़सरे मुअ़ल्ला नूर का
चर्ख़े अत्लस या कोई सादा सा कुब्बा नूय का

आंख मिल सकती नहीं दर पर है पहरा नूर का
ताब है बे ह़ुक्म पर मारे परिन्दा नूर का

नज़्अ़ में लौटेगा ख़ाके दर पे शैदा नूर का
मर के ओड़े गी अरूसे जां दुपट्टा नूर का

ताबे मेह़रे हश्र से चौंके ना कुश्ता नूर का
बूंदियां रहमत की देने आईं छींटा

वज़्ए वाज़ेअ़ में तेरी सूरत है मा’ना नूर का
यूं मजाज़न चाहें जिस को कहदें कलिमा नूर का

अम्बिया अज्ज़ा हैं तू बिल्कुल है जुम्ला नूर का
इस इ़लाके़ से है उन पर नाम सच्चा नूर का

यह जो मेहरो माह पे है इत्लाक़ आता नूर का
भीक तेरे नाम की है इस्तिआरा नूर का

सुर-मगीं आंखें ह़रीमे ह़क़ के वोह मुश्कीं ग़ज़ाल
है फ़ज़ाए ला मकां तक जिनका रमना नूर का

तावे हुस्ने गर्म से खिल जाएंगें दिल के कंवल
नौ बहारें लाएगा गरमी का झलका नूर का

ज़र्रे मेह़रे कुद्स तक तेरे तवस्सुत़ से गये
ह़द्दे औसत ने किया सग़रा को कुब्रा नूर का

सब्ज़ए गर्दूं झुका था बहरे पा बोसे बुराक़
फिर न सीधा हो सका खाया वोह कोड़ा नूर का

ताबे सुम से चौंधिया कर चांद उन्हीं क़दमों फिरा
हंस के बिजली ने कहा देखा छलावा नूर का

दीदे नक़्शे सुम को निकली सात पर्दों से निगाह
पुतलियां बोलीं चलो आया तमाशा नूर का

अ़क्से सुम ने चांद सूरज को लगाए चार चांद
पड़ गया सीमो ज़रे गर्दूं पे सिक्का नूर का

चांद झुक जाता उधर उंगली उठाते मह़द में
क्या ही चलता था इशारों पर खिलोना नूर का

एक सीने तक मुशाबह इक वहां से पाउं तक
हुस्ने सिब्तैन इन के जामों में नीमा नूर का

साफ़ शक्ले पाक है दोनों के मिलने से इ़यां
ख़त्ते तौअ़म में लिखा है यह दोवरक़ा नूर का

काफ़ गेसू, हा दहन, या अब्रू, आंखें ऐन स्वाद
काफ़ हा या ऐन स्वाद उनका है चेहरा नूर का

ऐ रज़ा यह अहमदे नूरी का फ़ैज़े नूर है
हो गई मेरी ग़ज़ल बड़ कर क़सीदा नूर का

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