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नमाज़ में पढ़ी जाने वाली Durood e Ibrahim सीखे

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपको Durood e Ibrahim के बारे में जानने को मिलेगा। अगर आप दरूद इब्राहिम की दुआ को पढ़ने के लिए या याद करने के लिए आए हो तो निचे इमेज पर लिखा हुआ है। अगर आप चाहो तो याद कर सकते हो।

दरूदे इब्राहिम एक अफ़ज़ल दरूद शरीफ है जो सभी मुसलमानो को याद होना चाहिए।

आपको दरूदे इब्राहिम की दुआ हिंदी, अरबी , रोमन इंग्लिश में पढ़ने को मिलने वाला है।

दरूदे इब्राहिम की फ़ज़ीलत क्या है और इसे नमाज़ के अलावा कहा पढ़ सकते है आप इस पोस्ट लास्ट तक जरूर पढ़ें।

दरूदे इब्राहिम क्या है ?

दरूदे इब्राहिम एक सबसे अफ़ज़ल दरूद शरीफ है। जब हम लोग नमाज़ पढ़ते है तो नमाज़ पढ़ते वक़्त अतहयात के बाद जो दरूद शरीफ पढ़ते है उसे दरूदे इब्राहिम कहते है।

दरूदे इब्राहिम की दुआ हिंदी में (Durood e Ibrahim in Hindi)

अल्लाहुम्मा सल्लि ‘अला मुहम्मदीन व’ अला’ आलि मुहम्मदीन, कमा सल्लयता अला इब्राहीमा व अला आली इब्राहीमा, इन्नका हमीदुन मजीद

अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदीन व अला आली मुहम्मदीन, कमा बारकता अला इब्राहीमा व अला आली इब्राहीमा, इन्नाका हमीदुन मजीद

दरूदे इब्राहिम की दुआ इंग्लिश में (Durood e Ibrahim in Roman English)

दरूदे इब्राहिम की दुआ इंग्लिश में

दरूदे इब्राहिम की तर्जुमा

ए अल्लाह बरकत उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के घर वालों पर जैसे बरकतें की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के घर वालों पर बेशक तुहि तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है

दरूदे इब्राहिम के फायदे के बारे में जाने

दरूद ए इब्राहिम के मोहब्बत के बिना पर हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम ने अपने एक बेटे का नाम इब्राहिम रखें इसके अलावा शब् ए मेराज में हजरत इब्राहिम अलैहि सलातो अस्सलाम ने हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम से कहा था की अपनी उम्मत को मेरा सलाम दीजिएगा तो इस सलाम के जवाब में आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम ने दरूद ए इब्राहिम उन पर सलाम पेश किए।

क्योंकी दरूदे इब्राहिम के अलफ़ाज़ हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के फरमूदा है इसीलिए इस दरूद शरीफ को नमाज़ के अलावा के अलावा भी कसरत से पढ़नी चाहिए।

दरूदे इब्राहिम दीनी और दुनयावी में बरकत हासिल करने के लिए एक बहुत ही बेहतरीन जरिया (माध्यम) है।

  • दुरूद पढ़ने से बुरा वक्त समाप्त हो जाता है।
  • दुरूद पढ़ने से भूले हुए कार्य और बाते याद आ जाती है।
  • दुरूद पढ़ने वाले का क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है।
  • दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम का प्रिय बन जाता हैं।
  • दुरूद पढ़ने वाले का दिल दया और प्रकाश से भर जाता है।
  • दरूद शरीफ भेजना दोज़ख की आज से बचाता है।
  • दुरूद शरीफ को ज़ोर से पढ़ने वाले व्यक्ति में से पाखंड ख़त्म हो जाता है।
  • दुरूद शरीफ भेजना कब्र में और क़यामत के दिन रौशनी के रूप में कार्य करता है।

दरूदे इब्राहिम की हदीस के बारे में जाने

अल्लाह सुबान व ता’अला के रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहते है की क़यामत के दिन मुझ से सबसे ज्यादा करीब वह होगा जिस ने सबसे ज्यादा दरूद शरीफ मुझ पर भेजे हो।

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम कहते है की ” जो मुझ पर दरूद शरीफ पढ़ना भूल गया वह ज़न्नत का रास्ता भूल गया”

दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ खास वक्त

  • पाँँचों नमाज़ों के बाद
  • अजान के बाद
  • मस्जिद में प्रवेश करते वक्त और बाहर जाते वक्त
  • वजू करते समय और वजू समाप्त होने के बाद
  • मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम लिखने और कहने पर सलवात पढना सबसे उत्तम माना जाता हैं|
  • दुआ माँगते समय
  • मुसीबत के समय
  • घर में प्रवेश करते समय
  • सुबह और शाम के वक्त

नमाज में कौन सी दरूद शरीफ पढ़ी जाती है?

नमाज़ में दो दरूद शरीफ पढ़ी जाती है जो किसी भी नमाज़ के आखिरी रकात में जब जलसा यानि अत्ताहियात में बैठते है। तब सबसे पहले अत्ताहियात फिर दुरूद इब्राहीम और आखिर में दुआ ए मशुरा पढ़ते है।

Shakil Ahmad

I am Shakil Ahmad Owner of this blog. I have my Team deep knowledge about Islam. I am interested in sharing information related to Islam.

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