मुस्लिम शादी-विवाह के रीति रिवाज़ और निकाह के बारे जाानिए

दोस्तों क्या आप मुस्लिम मे शादी विवाह के तौर तरीके को जानते है, और मुस्लिम अपनी शादियों को किस रीति रिवाज से करते है, ये भी नहीं जानते तो आज की इस पोस्ट मे हम आपको बता रहे है।

मुस्लिम शादी के रीति रिवाजों को कौन नहीं जानना चाहता है, क्युकी पूरी दुनिया मे मुस्लिमों की आबादी दूसरे नंबर पर आती है, जिसमे भारत मे मुस्लिमों की जनसंख्या 20 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।

जब मुस्लिम लोग शादी करते है, तो काफी धूमधाम से विवाह को करते है, लेकिन कुछ मुस्लिम लोग केवल सुन्नते तरीके से भी शादी को करते है, जो की इस्लाम धर्म मे इसका फरमान है।

हमेशा शादी को सुन्नते तरीके से करना चाहिए, लेकिन हम आज की पोस्ट मे आपको बता रहे है, की मुस्लिम लोग सुन्नते तरीके और अलग रीति रिवाज से निकाह को करते है, तो चलिए जानते है।

मुस्लिम मे शादी विवाह और निकाह क्या है?

मुस्लिम शादी-विवाह के रीति रिवाज़

मुस्लिम धर्म में शादी को ‘निकाह‘ कहा जाता है, यह एक पवित्र और क़ानूनी रिश्ता होता है जिसमे पुरुष और महिला को पति-पत्नी का दर्जा दिया जाता है, निकाह की प्रक्रिया में महिला व पुरुष, दो गवाहों की उपस्थिति मे शादी करने की स्वीकृति देते है।

इस्लाम मे शादी स्वैच्छिक समझौता है न कि बलपूर्वक किया गया कोई लेन-देन, दोनो पक्षो की मर्जी ज़रूरी है, शादी से पहले लड़की से उसकी रज़ामंदी ली जाती है।

निकाह के बाद पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण और सम्मान करना फ़र्ज़ है, पत्नी पर पति का हक़ होता है, वैवाहिक जीवन में पारस्परिक अधिकार व कर्तव्य होते हैं।

तलाक इस्लाम में अनुमत है लेकिन इसे अंतिम विकल्प माना जाता है, तलाक से पहले मध्यस्थता व सुलह का प्रयास किया जाना चाहिए।

मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार एक मुस्लिम मर्द 4 महिलाओ से निकाह कर सकता है, यदि वह सभी से समान व समुचित न्याय कर सके, उपरोक्त जानकारी से स्पष्ट है कि इस्लाम मे विवाह संस्था को काफी महत्व दिया गया है और इसे एक पवित्र बंधन माना जाता है।

निकाह से पहले क्या होता है?

मुस्लिमों मे निकाह से पहले बहुत रसमे अदा की जाती है, कुछ लोग शादी का फरमान भेजने के लिए चिट्ठी का उपयोग करते है, जिसे उत्तरी भारत मे लालखत भी कहा जाता है, ये चिट्ठी शादी की डेट फिक्स की होती है।

जिसे लड़की वाले लड़के के पीहर भेजते है, इसके अलावा उसी मे वो सगाई की रस्म को भी अदा कर लेते है, जिसमे लड़के के खानदान मे सभी के कपड़े और लड़के को नकदी राशि के रूप मे देते है।

जब धीरे धीरे शादी करीब आने लगती है, तो तैयारिया और भी ज्यादा होने लगती है, एक दूसरे के शादी कार्ड के साथ मिठाई के डिब्बों को भेज जाता है, और सभी को आमंत्रित किया जाता है।

इसके अलावा जब शादी करीब आती है, तो हल्दी की रस्म को निभाया जाता है, जिसमे लड़के और लड़की हल्दी लगती है, कुछ लोगों के घर मे लड़का और लड़कियों को एकसाथ हल्दी लगाया जाता है।

इसके अलावा शादी से तीन दिन या एक हफ्ते पहले लड़की हल्दी रस्म मे बांध दिया जाता है, जिसमे लड़के को बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जाती, फिर हल्दी के बाद निकाह का दिन होता है, जिसको चलिए नीचे जानते है।

मुस्लिम शादी-विवाह के रिवाज़ और निकाह

दोस्तों मुस्लिम मे शादी मे रीति रिवाज काफी ज्यादा अच्छे है, लगभग मुस्लिम लोग सुन्नते तरीके से ही निकाह को आसान करते है, अपने बेटा और बेटी से उनकी रजामंदी भी पूछी जाती है।

किसी बात की जोर जबरदस्ती इस्लाम धर्म मे नहीं आई है, इसलिए वो अगर आपकी मर्जी से निकाह करने पर खुश है, तो आप उनकी शादी को कर सकते है, अन्यथा उनकी वहाँ खुशी नहीं दिख रही, तो आप शरीयत के अनुसार उनकी शादी को अपनी मर्जी से नहीं कर सकते।

दोस्तों आइए जानते है, किस तरह से मुस्लिम लोगों मे निकाह से पहले और बाद कौन कौन सी रस्मों को निभाया जाता है, जिससे विवाह सम्पन्न होता है।

#1. लड़का और लड़की के लिए रिश्ते को देखना

सबसे पहले लड़का और लड़कियों के लिए रिश्तेदारी से अलग रिश्ते को ढूंढा जाता है, जिसमे सबसे पहले लड़की के घरवाले लड़के के घर जाते है, जहां वह लड़के की जांच पड़ताल करते है, और देखते है, लड़का क्या करता है, या क्या पढ़ाई करता है।

जब लड़के को लड़की वाले पसंद कर लेते है, तो लड़के वाले लड़की के घर उसको देखने जाते है, जिसमे लड़की को देखते है, वो घर मे क्या क्या काम काज के लेती है, लड़की को देखते है की उनकी जोड़ी ठीक रहेगी या नहीं जब लड़की पसंद आ जाती है, तो आगे की रस्म को निभाते है।

#2. लड़की को चूड़िया पहनाने की रस्म

जब लड़की पसंद होती है, तो एक डेट को फिक्स कर लिए जाता है, जिसमे लड़के की माँ, बहने और उसके खानदान की सभी औरते लड़की के घर जाती है, जहां लड़की को चूड़ी पहनाने की रस्म को निभाते है।

इस रस्म मे लड़के वाले उनके खान पीना नाश्ता सब उनके लिए अरैन्ज करते है, और लड़की को नकदी राशि और उसके कपड़ों को दिया जाता है, जिसमे उसे मिठाईया भी खिलाई जाती है, फिर लड़की को चूड़ी पहनाकर शादी की डेट फिक्स की जाती है।

#3. लालखत और सगाई की रस्म

मुस्लिम शादी मे एक अहम रस्म को भी निभाया जाता है, जिसे लालखत कहा जाता है, जो की लड़की वाले लड़के के घर लेकर जाते है, और उसी मे सबसे जरूरी रस्म को भी निभा कर आते है, जिसको सगाई भी कहा जाता है।

इसमे लड़की वाले फल फ्रूटी, ड्राइ फ्रूट और मिठाईया लेकर जाते है, जो की काफी बड़ा प्रोग्राम होता है, इसमे लड़के की गोद भराई भी होती है, उसे सोने के आभूषण और नकदी राशि भी दी जाती है, इसके अलावा उसी मे चिट्ठी को भी पढ़ा जाता है।

चिट्ठी को पढ़ने के लिए इमाम को बुलाया जाता है, जो चिट्ठी होती है वो उर्दू मे लिखी होती है, जिसमे लिखा होता है, किस समय शादी होगी और कहाँ बारात को रोका जाएगा, जब ये रस्म हो जाती है, तो शादी की तैयारिया शुरू हो जाती है।

#4. हल्दी की रस्म

दोस्तों हल्दी की रस्म भी मुस्लिमों की शादी मे काफी ज्यादा मनाई जाती है, जिसमे लड़का अपने खानदान और रिस्तेदारों को न्योता देकर बुलाता है, और लड़की घर वाले भी अपने खानदान और रिश्तेदारों को इस रस्म को निभाने के लिए बुलाते है।

लड़का और लड़की को उसकी भाभी, बहने सभी रिश्तेदारों की औरते उनको हल्दी लगाती है, जिसमे उसके घर वाले अपने रिश्तेदारों के लिए दावत भी करते है, जिसमे सभी खाने का इंतेजाम होता है।

#5. निकाह पढ़ाकर शादी को सम्पन्न करना

जब हल्दी की रस्म हो जाती है, तो लड़के वाले बारात को लेकर जाते है, जहां लड़की वाले के सभी रिश्तेदार आए होते है, वहाँ जाकर लड़के वालों को खाना खिलाया जाता है और इमाम साहब निकाह को पढ़ाते है, जहां लड़का और लड़की को साइन के रूप मे निकाह को सम्पन्न कराते है।

इसके अलावा लड़के को फिर से गोद भराई की जाती है, जहां नकदी राशि के रूप मे दिया जाता है, इसके अलावा उसको मेहर के रूप से कुछ नकदी या सोने का कोई भी आभूषण बांधा जाता है।

जिसमे लड़के को लड़की से ये मेहर को माफ करवाया जाता है, लेकिन मेहर इस तरह से बांधा जाता है, जिससे लड़का को उस मेहर अदा कर सके, उसपे इतनी ज्यादा पैसों की मेहर नहीं बँधवाई जाती, जिससे वो उसे अदा ना कर पाए।

इसके बाद जूती चुराई और सलामी की रस्म को निभाया जाता है, जिसमे लड़की बहन उसके जूतों को चुराकर पैसे मांगती है, इसके अलावा लड़की के रिश्तेदार लड़के को सलाम करती है, और उसे इनाम या पैसों से नवाजती है।

जिसके बाद लड़की को विदा कर दिया या रुखसत कर दिया जाता है, और लड़के वाले अपनी दुल्हन को घर लेकर चले आते है, अब इसके बाद लड़के वाले वलीमा की रस्म को करते है।

#6. वलीमा या रीसेप्शन करना

मुस्लिमों मे शादी करने के बाद वलीमा करना सुन्नत होता है, जिसमे लड़के वाले एक स्टेज सजाकर लड़का और लड़की साथ बैठा कर मुह दिखाई की रस्म को निभाते है, और लड़के वाले अपने सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित करके उनको खाना खिलाते है।

ये रस्म शादी से अगले दिन मे या रात मे होती है, जो की काफी देर तक चलती है, जब तक सभी रिश्तेदार खाना खाते है, तब तक ये रस्म को निभाया जाता है, इसमे रीसेप्शन भी कहा जाता है।

इस्लाम में शादी का सही अर्थ क्या है?

इस्लाम में शादी को ‘निकाह‘ कहा जाता है। निकाह का मतलब है एक पवित्र गाँठ बांधना जिससे पति-पत्नी के बीच एक क़ानूनी रिश्ता स्थापित होता है। यह एक स्वैच्छिक और पारस्परिक समझौता होता है जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे के प्रति ज़िम्मेदारियाँ और फ़र्ज़ स्वीकार करते हैं।

इस्लाम शादी को इबादत मानता है। यानी शादी भी एक प्रकार की आराधना और अल्लाह की ख़ुशी का ज़रिया है। इसे पवित्र समझा जाता है और जीवन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य भी। इस्लाम में विवाहित जीवन को अविवाहित जीवन की तुलना में अधिक वरीयता दी गई है।

क्या सिर्फ तीन बार ‘कुबूल है’ कहने पर हो जाता है निकाह?

नहीं, सिर्फ तीन बार “कुबूल है” कहने से निकाह नहीं हो जाता है। निकाह होने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होनी चाहिए:

  • दोनों पक्षों की सहमति: निकाह के लिए दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है। यह एक बच्चे के अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है।
  • पुरुष और महिला की Maturity: निकाह के लिए पुरुष और महिला दोनों की Maturity आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि वे विवाह के Responsibilities को समझ और निभा सकें।
  • निकाह का Contract: निकाह के लिए एक निकाह का Contract आवश्यक है। यह एक कानूनी दस्तावेज है जो विवाह की शर्तों को तय करता है।
  • महर: निकाह के लिए मेहर देना भी आवश्यक है। मेहर एक Financial देनदारी है जो पति पर पत्नी के लिए होती है।

“कुबूल है” कहना निकाह का एक हिस्सा है, लेकिन यह केवल एक Formality है। निकाह तब होता है जब दोनों पक्षों की सहमति, Maturity, और निकाह के अनुबंध के सभी आवश्यक प्रावधान पूरे हो जाते हैं।

“कुबूल है” कहना निकाह के लिए आवश्यक है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। निकाह के लिए अन्य सभी शर्तें भी पूरी होनी चाहिए।

Conclusion Point

तो दोस्तों आप इस्लाम मे शरीयत के अनुसार निकाह किस तरह से होता है, ये जान गए होंगे। पहले तो निकाह बहुत ही आसान और सुन्नत तरीके से किया जाता है, जिसमे केवल 4 चार लोग निकाह के लिए लड़की के घर जाते थे।

लेकिन आज के समय मे पूरी बारात को लेकर जाया जाता है, उसमे लड़की और लड़के दोनों के रिस्तेदार शामिल होते है, और काफी धूम धाम से शादी करते है, लेकिन इस्लाम धर्म मे ये सब हराम बताया गया है।

दोस्तों आप जान गए होंगे मुस्लिमों शादी या निकाह किस प्रकार से करते है, मैंने अपनी कोशिश से इसकी पूरी जानकारी को आपको दिया हूँ, अगर ये पोस्ट अच्छा लगा तो साझा कर सकते है, अन्यथा कोई डाउट है, तो नीचे कमेन्ट बॉक्स मे मैसेज कर सकते है।

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