अस्सलाम अलैकुम दोस्तों Namaz Quran में आप का वेलकम है, आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले है Qaza Namaz ka Tarika क्या है और क़ज़ा की नमाज़ क्या है, क़ज़ा ए उमरी कैसे पढ़ते है।
क़ज़ा की नमाज़ की नियत कैसे करे करते है और भी बहुत सारे Information क़ज़ा नमाज़ से releted Questions में होने वाला है तो आप इस पोस्ट को Complete जरूर पढ़े।
क़ज़ा क्या है?
किसी भी इबादत को उस के Time पर करने को अदा कहते है और Time गुजर जाने के बाद अमल (Ada) करने को कज़ा कहते है।
सोते Time या भूल से नमाज़ कज़ा हो गयी तो उस की कज़ा पढना फ़र्ज़ है कहने का मतलब है के इस कज़ा का गुनाह इस पर नहीं लेकिन जागते ही और याद आने पर अगर मकरूह वक़्त न हो तो उसी Time पढ ले देर करना मकरूह है।
Qaza Namaz क्या है?
कजा यह है कि जिस बात का अल्लाह ने बंदे को हुक्म दिया है उस काम को वक्त पर पूरा करने को अदा कहते हैं और वक्त निकल जाने के बाद उस काम को करने को कजा कहते हैं।
क़जा नामाजों में सिर्फ फर्ज नमाजें और वित्र की वाजिब नमाज की क़ज़ा पढी जाएगी ! लेकिन सबसे पहले ज़रूरी है कि क़ज़ा नमाज़ो का हिसाब करके उसे नोट कर लें, बालिग होने के बाद जितनी नमाज़े क़ज़ा हुई
उनको अलग अलग लिख लें यानी फज़्र की कजा और जोहर ,असर,मग़रिब और इशा और वित्र की छूटी हुई नमजों की कुल तादाद लिख ले।
क़ज़ा नमाज़ो का हिसाब अन्दाजे से किया जा सकता है की हमारी फज्र की बालिग होने से लेकर आज तक कितनी नामाजें कजा हुई है उसी हिसाब से एक अंदाज़ा कर ले नमाज़ की रकात ज्यादा हो जाए कोई हरज नहीं लेकिन कम नहीं होनी चाहिए।
किस नमाज़ की क़ज़ा जरुरी है
फ़र्ज़ नमाज़ की कज़ा जरुरी है, वित्र की कज़ा वाजिब है और फज़र की सुन्नत अगर फ़र्ज़ के साथ कज़ा हो और समय से पहले पढ़े तो फ़र्ज़ के साथ सुन्नत भी पढ़े और समय निकल जाने के बाद पढ़े तो सुन्नत की कज़ा नहीं।
और अगर फज़र की फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ ली और सुन्नत रह गयी तो 20 मिनट दिन निकलने से पहले इस की कज़ा पढना गुनाह है, और जोहर जुम्मा के पहले की सुन्नते कज़ा हो गयी और फ़र्ज़ पढ़ ली अगर Time ख़तम हो गया तो इन सुन्नतो की कज़ा नहीं और अगर Time बाकि है तो पढ़े।
क़ज़ा की नमाज कितनी रकात होती है?
अगर आपसे एक दिन 5 वक़्त की नमाज़ क़ज़ा हो जाए तो कितनी रकात पढ़ना होता है? अगर आपसे 5 time की नमाज़ क़ज़ा हो जाए तो 20 रकात पढ़ना होता है।
- 2 फजर फ़ज्र के
- 4 फ़र्ज़ जो़हर के
- 4 फ़र्ज़ असर के
- 3 फ़र्ज़ मग़रिब के
- 4 फ़र्ज़ इशा के
- 3 वित्र ईशा के
क़ज़ा नमाज़ की कुल 20 रकात होती है
Qaza Namaz Padhne ka Time Kab Hai
अगर आप क़ज़ा की नमाज़ पढ़ना चाहते है तो अपने मन में भी ये सारे सवाल आते होंगे जो निचे दिया गया है।
- Fajar ki namaz qaza kab hoti hai
- Zohar ki namaz qaza kab hoti hai
- Asar ki namaz qaza kab hoti hai
- Maghrib ki namaz qaza kab hoti hai
- Isha ki namaz qaza kab hoti hai
आप ध्यान से पढ़ें आपको अच्छे से बताया गया है।
किसी भी नमाज़ की क़ज़ा पढ़ना चाहते है जैसे फजर , ज़ोहर, असर , मग़रिब, ईशा 5 वक़्तों की नमाज़ की क़ज़ा का कोई भी Fixed टाइम नहीं है। जिंदगी में चाहे जब पढ़ ले उसके ऊपर से कजा का बोझ उतर जाएगा।
लेकिन सिर्फ़ तीन वक़्तों में कोई भी नमाज़ न पढ़े चाहे क़ज़ा की नमाज़ हो या अदा की नमाज़।
- तुलूअ आफ़्ताब (यानी फ़ज्र के बाद से सूरज निकलने तक)
- गुरूब आफ़्ताब (यानि सूरज डूबते वक़्त या यूं समझे कि अ़स्र के बाद से मग़रिब तक)
- जवाल के वक़्त (दिन में 11:30 से 12:30 के बीच का वक़्त)
इसके अलावा कजा नमाज पढ़ने का वक्त कोई नहीं है जिस वक्त भी चाहे पड़ सकता है जैसे ज़ुहर की फ़र्ज़ नमाज कजा हो गई अब चाहे तो उसी वक्त पढ़ ले या किसी और वक्त में पढ़ ले।
Qaza Namaz ki Niyat का तरीका क्या है?
क्या आपको पता है 5 वक़्तों में फजर से लेकर ईशा तक की Qaza Namaz ki Niyat कैसे करते है आपको क़ज़ा नमाज़ की नियत को याद कर लेना चाहिए जो निचे इमेज पर लिखा गया है।
Fajar ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
Zohar ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
Asar ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
Maghrib ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
Isha ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
क़ज़ाए उमरी Qaza Namaz ki Niyat कैसे करे?
अगर आप अपनी पूरी जिंदगी में जितने भी नमाज़ को क़ज़ा किया है जिसे क़ज़ाए उमरी है अगर उसकी नियत को याद करना चाहते है तो निचे इमेज पर लिखा गया है।
क़ज़ाए उमरी Fajar ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
क़ज़ाए उमरी Zohar ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
क़ज़ाए उमरी Asar ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
क़ज़ाए उमरी Maghrib ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
क़ज़ाए उमरी Isha ki Qaza Namaz की नियत का तरीका
Qaza Namaz ka Tarika Kya Hai
अब जानते क़ज़ा नमाज़ पढ़ने का तरीका क्या है सबसे पहले मैँ आपको बता दू नमाज़ का तरीका एक ही होता है।
आप रोज जिस तरह से 5 वक़्ती नमाज़ को पढ़ते है उसी तरह क़ज़ा की नमाज़ भी पढ़ा जाता है सिर्फ नियत करने का तरीका बदल जाता है जो ऊपर बताया गया है की क़ज़ा की नियत कैसे करते है।
नीचे जो question लिया गया है आपके मन में जरूर आया होगा।
- Fajar ki qaza namaz ka tarika
- Zohar ki qaza namaz ka tarika
- Asar ki qaza namaz ka tarika
- Maghrib ki qaza namaz ka tarika
- Isha ki qaza namaz ka tarika
इस सभी का आसान जवाब है जिस तरह से फजर से लेकर ईशा तक नमाज़ पढ़ने का तरीका है उसी तरह क़ज़ा नमाज़ की भी तरीका है।
अगर Namaz Padhne Ka Tarika सीखना चाहते है तो लिंक पर click करे।
Qaza E Umri Namaz Padhne ka Tarika Kya Hai
क़ज़ाए उमरी नमाज़ का भी तरीका वही है जो पांचो वक़्तों का होता है लेकिन इसमें नियत करने का तरीका बदल जाता है जो ऊपर इमेज पर लिखा गया है जिसे आप को याद कर लेना चाहिए।
Qaza Namaz Calculator
इस्लाम में बालिग होने की उम्र क्या है?
इस्लाम में बालिग होने की उम्र क्या है? औरत कम से कम 9 साल में और ज्यादा से ज्यादा 15 साल में बालिग हो जाती है, और मर्द कम से कम 12 साल में और ज्यादा से ज्यादा 15 साल में बालिग हो जाता है।
15 साल की उम्र हो जाए मर्द हो या औरत शुरू में बालिग मना जाता है चाहे बालिग होने की निसानिया पाई जाती हो या न पाई जाती हो। मर्द या औरत जब से बालिग होता है उसी वक़्त से उस पर नमाज़ रोज़ा वगैरा फ़र्ज़ हो जाता है।
क्या क़ज़ा की नमाज़ छुप कर पढ़ना चाहिए?
क़ज़ा की नमाज़ छुप कर पढ़ना चाहिए, क़ज़ा की नमाज़ का जिक्र लोगों पर (या घर वालों या करीबी दोस्तों पर भी) इसका इज़्हार न कीजिए।
जैसे कि:- किसी से ये मत कहे कि आज मेरी फ़ज्र क़ज़ा हो गई या मैं क़ज़ाए उम्री पढ़ रहा हूं वग़ैरा क्यूंकि नमाज़ क़ज़ा करना गुनाह हैं और गुनाह का इज़्हार करना भी मकरूह़े तह़रीमी व गुनाह हैं।
कज़ा नमाज़ का बयान
बिना जरुरत नमाज़ कज़ा कर देना सख्त गुनाह है इसका ये हुक्म है के कज़ा की नमाज़ पढ़े और सच्चे दिल से तोबा करे और तोबा उस वक़्त सही है।
जिस वक़्त नमाज़ की कज़ा जो आपके ज़िम्मा बाकि है उसे पढ ले और हदीस शरीफ में है के गुनाह पर काएम रहकर इस्ताक्फर करने वाला उस के मिसल है जो अपने रब से ठठा करता है।
Qaza Namaz ka Tariqa by Tariq Jameel in Hindi
अगर आप क़ज़ा की नमाज़ का तरीका Molana Tariq Jameel से हिंदी और उर्दू में सीखना चाहते है बिलकुल फ्री में तो निचे दिया हुआ वीडियो को देख सकते है। या आप Youtube पर भी जाकर देख सकते है।
Qaza Namaz ka Tarika in Hindi PDF
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Qaza Namaz ka Tarika in URDU PDF
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Qaza Namaz ka Gunah क्या है ?
qaza namaz ka gunah क्या है? ये जानने से पहले आपको ये जानना होगा की एक वक़्त की क़ज़ा नमाज़ की क्या सजा है?
लोग कहते है की एक वक़्त की क़ज़ा छोड़ने से 300 year जहन्नम की आग में जलना होगा या फिर 80 साल तक जहन्नम की आग में जलना होगा ये सभी मसला गलत है क्युकी हदीस में ऐसा कोई भी रवायत नहीं है। आपको एक बात समझना चाहिए की जानबूझ कर नमाज़ छोड़ना सबसे बड़ा गुनाह है।
अगर आप Mulana Mufti Tariq Masood की जुबानी सुनना और देखना चाहते है तो निचे Youtube Video को देख सकते है।
क्या कज़ा नमाज़ बगैर सूरत और सीरत के पढ़ी जाती है
हाँ जो नमाज़ की रकात अदा में सूरत (Surah) के साथ पढ़ी जाती है वह कज़ा की नमाज़ में भी सूरत (Surah) के साथ पढ़ी जाती है और जो नमाज़ की रकात अदा में बगैर सूरत के पढ़ी जाती है वह कज़ा में भी बगैर सूरत के साथ पढ़ी जाती है।
Qaza ki Namaz Related Questions (FAQs)
एक Time की क़ज़ा नमाज़ की क्या सजा होगी?
क़ज़ा नमाज़ की सजा क्या है इसकी जानकारी किसी भी हदीस में Exact नहीं बताया गया है आपको हर जगह से गलत जानकारी मिलती होगी।
क़ज़ा की नमाज़ कब नहीं पढ़ना चाहिए?
मकरूह वक़्त में क़ज़ा की नमाज़ या कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते है मतलब सूरज निकलने के 20 minute पहले नहीं पढ़ सकते है और सूरज डूबने के 20 minute बाद नहीं पढ़ सकते है।
क़ज़ा की नमाज़ कब पढ़ना चाहिए?
क़ज़ा की नमाज़ दिन में किसी टाइम पढ़ सकते है लेकिन तीन वक़्त ऐसा है जिसमे क़ज़ा की नमाज़ नहीं पढ़ना चाहिए। पहला सूरज निकलने के 20 minute पहले यानि फजर के नमाज़ के बाद और दूसरा सूरज डूबने के 20 minute बाद यानि मग़रिब की नमाज़ से पहले। तीसरा जवाल के वक़्त जो जोहर से 40 या 42 minute पहले का होता है ये समय मौसम के अनुसार चेंज होता रहता है।
क्या फजर की क़ज़ा की नमाज जोहर में पढ़ सकते है ?
अगर किसी भी वजह से फजर की नमाज़ क़ज़ा हो जाती है और उसे जोहर की नमाज़ तक वक़्त नहीं मिला की नमाज़ की क़ज़ा पढ़ सके तो उसे मालूम करना होगा की क्या वह जमात खड़े होने से पहले तक 2 रकअत फजर की क़ज़ा और 4 रकअत जोहर की सुन्नत पढ़ सकता है तो जरुरी है की फजर की क़ज़ा पढ़े। अगर वक़्त नहीं है जोहर की नमाज़ पढ़कर फजर की क़ज़ा की नमाज़ पढ़ सकता है।
Qaza Namaz me Sunnat Padhna Chahiye ya Nahi
अगर आपकी 5 वक़्त की नमाज़ की क़ज़ा हो गयी है आप क़ज़ा पढ़ना चाहते है तो आपको सिर्फ फ़र्ज़ और वाजिब की क़ज़ा पढ़ना चाहिए। सुन्नत नमाज़ की क़ज़ा नहीं होती है मतलब सुन्नत नमाज़ की क़ज़ा नहीं पढ़ना चाहिए।
फजर की क़ज़ा नमाज़ कितनी रकात होती है?
अगर किसी भी वजह से आपकी फजर की नमाज़ क़ज़ा हो जाती है तो फजर की क़ज़ा नमाज़ आपको सिर्फ 2 रकात पढ़नी होती है।
Fajar ki Qaza Namaz Kitni Rakat Hoti Hai?
फजर की क़ज़ा नमाज़ 2 रकात होती है जो 2 रकात फ़र्ज़ होती है। अगर कोई भी नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो आपको सिर्फ फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़नी होती है।
Zohar ki Qaza Namaz Kitni Rakat Hoti Hai?
जोहर की क़ज़ा नमाज़ 4 रकात होती है जो 4 रकात फ़र्ज़ होती है। अगर कोई भी नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो आपको सिर्फ फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़नी होती है।
Asar ki Qaza Namaz Kitni Rakat Hoti Hai?
असर की क़ज़ा नमाज़ 4 रकात होती है जो 4 रकात फ़र्ज़ होती है। अगर कोई भी नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो आपको सिर्फ फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़नी होती है।
Maghrib ki Qaza Namaz Kitni Rakat Hoti Hai?
मग़रिब की नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो क़ज़ा नमाज़ 3 रकात होती है जो 3 रकात फ़र्ज़ होती है। अगर कोई भी नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो आपको सिर्फ फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़नी होती है।
Isha ki Qaza Namaz Kitni Rakat Hoti Hai?
ईशा की नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो क़ज़ा नमाज़ 4 रकात होती है जो ईशा की 4 रकात फ़र्ज़ होती है। अगर कोई भी नमाज़ आपसे क़ज़ा हो जाए तो आपको सिर्फ फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़नी होती है।
क़ज़ा और अदा नमाज़ में क्या फ़र्क है?
जो नमाज़ वक़्त पर पढ़ी जाती है उसे अदा कहते है और जो नमाज़ वक़्त निकल जाने पर पढ़ी जाए उसे क़ज़ा कहते है।