नमाज़ में पढ़े जाने वाले Dua e Masura in Hindi 2024

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों नमाज़ क़ुरान में आप का वेलकम है , आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले है, नमाज़ के दरमियान पढ़ी जानी वाली Dua E Masura के बारे में।

ये वो दुआ है जो नमाज़ में पढ़ी जाती है और इस दुआ को सीखना हर मुसलमान पर फर्ज है, जो निचे अच्छी तरह से सिखाया गया है। अगर आप नमाज़ मे पढ़ने वाले Dua e Masura को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाईट Namazquran.com पर आए है।

तो हमारा फर्ज आपको दुआ ए मसूरा की पूरी जानकारी देना है, अगर आप पूरी तरह से इसकी जानकारी को लेना चाहते है, तो इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढे।

दुआ ए मासुरा क्या है? (What is Dua e Masura)

Dua e Masura नमाज़ कम्पलीट होने से पहले पढ़ते है यानि जब हम अत्तहियात पढ़ लेते है फिर Darood e Ibrahim पढ़ते फिर उसके बाद दुआ इ मासुरा पढ़ते है, फिर उसके बाद सलाम फेरते है।

Dua e Masura हर मुसलमान को याद होना चाहिए। लेकिन अगर किसी वजह से दुआ याद नहीं है तो इसकी जगह पर कोई दूसरी दुआ भी पढ़ सकते है। या आपके पास टाइम कम है तो इस स्थिति में दुआ मासुरा छोड़ सकते है फिर भी आपकी नमाज़ हो जाएगी।

दुआ इ मासुरा आपको याद करने के लिए मैंने हिंदी ,अरबी, इंग्लिश में लिखा है आप जिसमे भी कम्फर्टेबले है याद कर सकते हो। अगर आपको पहले से याद हो तो एक बार फिर से पढ़कर देख लो आप कोई गलती तो नहीं कर रहे है।

इस पोस्ट में आपको दुआ इ मासुरा के तर्जुमा भी याद करने को मिलने वाला है। जब आप दुआ या क़ुरान की आयत मतलब समझ कर पढ़ते है तब आपको ज्यादा सवाब मिलता है और साथ ही हमारा दिल भी पढ़ने में लगता है।

दुआ इ मासुरा Arabic में (Dua e Masura in Arabic Text)

Dua E Masura In Arabic Text
Dua E Masura In Arabic Text

दुआ इ मासुरा हिंदी में (Dua e Masura in Hindi)

Dua E Masura In Hindi
Dua E Masura In Hindi

दुआ इ मासुरा English में (Dua e Masura in Roman English)

Dua E Masura In English
Dua E Masura In English

दुआ ए मासुरा तर्जुमा – Dua e Masura With Meaning

अर्थ- ए खुदा हमने अपने पर बहुत अधिक जुल्म किया है, और हमारे गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता, हमारी यह ख्वाहिश है, की तू हमे माफ कर दे। हम पर तु अपना रहम फरमा, तू बड़ा माफ करने वाला और सबपर रहम करने वाला है। अपना रहमोकरम हम पर भी अदा कर।

दुआ ए मासुरा की फायदे (Dua e Masura Benefits)

इस्लाम धर्म मे बहुत सारी दुआए हैं, और हर दुआ का मतलब अलग अलग है, और इन्हे पढ़ने से होने वाले फायदे भी अलग अलग है, लेकिन आज दुआ ए मासुरा के फायदे के बारे में बात करेंगे।

  • दुआ ए मासुरा अपनी गलतियों को अल्लाह ताला से माफी मांगने के लिए पढ़ा जाता है। अगर इस दुआ को सच्चे मन से पढ़ते है तो खुदा आपके सारे गुनाहो को माफ़ कर देता है।
  • बहुत सारे मुसलमानो का मानना है, Dua e Masura को पढ़ने से एक नई ताजगी महसूस होती है, इसलिए आप भी इस दुआ की आदत बना लीजिए।
  • माना जाता है की इस दुआ को पढ़ने से घर में बरकत आती है, और सारे बिगड़े हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं। यदि आपका भी कोई ऐसा काम है, जो नहीं बन पा रहा है, तो आप इस दुआ को रोजाना नमाज़ खत्म होने से पहले जरूर पढा करें।
  • ऐसा भी कहा जाता है की अगर आपको अच्छा स्वाथ्य पाना चाहते है तो नमाज़ से पहले दुआ इ मासुरा पढ़ा करे।

Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Dua क्या है?

माना जाता है कि एक बार हजरत अबु बकर रजिअल्लाहो अन्हु ने हमारे प्यारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम से दरख्वास्त की, कि आप मुझे कोई ऐसी दुआ बताएं, जो मैं नमाज़ के समय पढा करूँ।

तब हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ने अबु बकर रजिअल्लाहो अन्हु को दुआ ए मासुरा पढ़ने के लिए कहा। तभी से इस दुआ की शुरुवात हुई।

Dua e Masura ki Hadees

अब्दुल्लाह बिन अमर से रिवायत है की एक बार हजरत अबू बकर रजिअल्लाहो अन्हु ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम की खिदमत में हाजिर हुए और पूछा या रसूल अल्लाह मुझे ऐसी दुआ सिखा दीजिये जो मै नमाज़ में पढ़ा करूँ तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम ने उन्हें दुआ ए मासुरा सिखाई।

Frequently Asked Questions (FAQs)

नमाज़ में दुआ ए मासुरा कब पढ़ी जाती है?

जब हम लोग नमाज़ पढ़ते वो फ़र्ज़ नमाज़ हो सकता है या सुन्नत भी हो सकता है कोई भी नमाज़ पढ़ते है तो जब 2 रकात पढ़ते के बाद बैठते है जिसमे अत्तहिय्यत पढ़ते है, फिर दरूदे इब्राहिम पढ़ते है फिर उसके बाद हम लोग दुआ इ मासुरा पढ़ते है फिर सलाम फेलते है।

दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है?

जिस तरह से नमाज़ में तहय्यात या फिर दरूदे इब्राहिम पढ़ते है उसी तरह दुआ इ मासुरा दुआ भी पढ़ते है लेकिन ये दुआ याद नहीं है तो कोई दूसरा दरूद शरीफ भी पढ़ सकते है।

क्या बिना दुआ ए मासुरा पढ़े नमाज़ पूरी नहीं होगी?

ये जरुरी नहीं है की दुआ ए मासुरा याद नहीं है तो नमाज़ नहीं होगा ऐसा कही पे भी लिखा नहीं है। बल्कि इसके बदले कोई दूसरा दुआ भी पढ़ सकते है।

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Shakil Ahmad

नमाज़क़ुरान.कॉम एक इस्लामिक वेबसाइट है जो शकील अहमद द्वारा 2021 में शुरू की गई है, ताकि दुनिया भर के लोगो तक ऑथेंटिक इस्लामिक दुआएं, नमाज़, कुरान और हदीस की रौशनी में जानकारी पहुंचाई जा सके।

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