क्या आप Taraweeh ki Namaz ka Tarika असान भाषा में सीखना चाहते है तो ये आर्टिकल आपके लिए स्पेशल बनाया है.
रमजान का महीना बहुत ज्यादा बरकत वाला है जिसमे हमें चाहिए की ज्यादा से ज्यादा इबादत करके अल्लाह ता’अला के करीब हो जाए.
लेकिन problem ये है की गूगल पर तरावीह की नमाज़ का तरीका सर्च करते है तो बहुत सारे वेबसाइट आते है लेकिन पूरी जानकारी किसी ने भी बताया नहीं है.
इसीलिए हमारा फ़र्ज़ बनता है की आप सभी हज़रात को Tarabi ki Namaz ka Tarika अच्छी तरीके से समझाना.
तो चलिए जानते है की तरावीह की नमाज़ का तरीका क्या है और कैसे पढ़ते है.
तरावीह क्या है
रमजान के महीने में ईशा की नमाज़ के बाद 2, 2 रकात करके 20 रकात तक जो नमाज़े पढ़ी जाती है, और हर चार रकात के बाद थोड़ी देर बैठ कर तरावीह की दुआ पढ़ते है उसको तरावीह कहते है.
दोस्तों अक्सर यह देखा गया है, कि लोग तरावीह को तराबी बोलते हैं, जो कि गलत है, असल में तरावीह सही लफ्ज़ है.
Taraweeh ki Namaz ka Tarika
Taraweeh ki Namaz ka Tarika को दो तरह से पढ़ी जाती है पहला जिसमे एक ख़तम कुरान शरीफ पढ़ा जाता है दूसरा सूरह तरावी इसमें सूरह द्वारा नमाज़ पढ़ा जाता है।
तरावीह की नमाज़ 20 रकअत का होता है जो रमजान के माहे महीने में हर मस्जिद या मदरसे में चाँद रात से पढ़ी जाती है और तरावीह हर मुस्लमान को पढ़ना चाहिए इस नमाज को ईशा isha namaz के टाइम में पढ़ा जाता है।
तरावीह का वक्त ईशा की नमाज पढ़ने के बाद से शुरू होता है और सुबह सादिक तक रहता है। वित्र की नमाज तरावीह से पहले भी पढ़ सकते और बाद में भी, लेकिन बाद में पढ़ना बेहतर है। तरावीह की नमाज दो-दो रकअत करके पढ़नी चाहिए। हर चार रकअत के बाद कुछ देर ठहर कर आराम कर लेना मुस्तहब है। उस आराम लेने के दरम्यान आहिस्ता आहिस्ता तरावीह की दुआ यानि तस्बेह तरावीह पढ़ते रहें।
पूरे महीने में एक कुरआन शरीफ तरावीह के अंदर पढ़ना-सुनना सुन्नत माना गया है। कुरआन शरीफ पूरे महीने में दो मर्तबा ख़त्म करना अफज़ल है। उस से ज्यादा हो तो क्या कहना। तरावीह पढ़ना और तरावीह में एक कुरान मजीद खत्म करना ये दोनों अलग अलग सुन्नते हैं। तरावीह में नमाज पुरा होने के बाद भी नमाज पूरे माह अदा करना जरूरी है।
तरावीह की नमाज़ को सुन्नते मुअकदा इस नमाज़ को हर मर्द औरत को पढ़ना चाहिए इस तरावी के नमाज़ को ईशा चार रकअत सुन्नत और चार रकअत फर्ज पढ़ने के बाद पढ़ी जाती है जब 20 रकअत तरावी पढ़ लें तो उसके बाद तीन रकअत वित्र और दो रकअत सुन्नत दो रकअत नफिल पढ़ा जाता है।
Taraweeh ki Namaz ka Tarika in Hindi
तरावीह की नमाज़ जमात के साथ अलग तरीके से पढ़ा जाता है और अकेले अलग तरीके से पढ़ा जाता है जो हमने अलग पोस्ट लिखा है अकेले में तरावीह की नमाज़ का तरीका तो इसको भी आप सीख ले.
क्युकी बहुत से बन्दे शहर में काम करते है और उनके पास मस्जिद नहीं होता की जमात के साथ नमाज़ को पढ़ सके इसीलिए अकेले पढ़ना चाहते है तो इस पोस्ट को जरुर पढ़े.
Taraweeh ki Namaz ka Waqt
Taraweeh ki Namaz ka Waqt ईशा की नमाज़ अदा करने के बाद से लेकर सुबह फजर की नमाज से पहले तक रहता है यानि आप ईशा की अजान होने के बाद से लेकर फज्र की अजान होने से पहले तक तरावीह की नमाज अदा कर सकते हैं.
लेकिन ईशा की नमाज अदा करने के तुरंत बाद तरावीह की नमाज अदा करना ज्यादा अच्छा माना जाता है तमाम मस्जिद में ईशा की नमाज अदा करने के फौरन बाद तरावीह की जमात खड़ी हो जाती है.
तरावीह की नमाज़ का रकात कितनी होती है?
तरावीह की नमाज़ 20 रकात की होती है जो ईशा की नमाज़ के बाद शुरू हो जाती है और दो दो करके पढ़ा जाता है.
ईशा के वक़्त इस तरह से नमाज़ अदा करेंगे
- सबसे पहले ईशा की सुन्नत 4 रकअत
- फिर ईशा की फ़र्ज़ 4 रकअत
- ईशा की सुन्नत 2 रकअत
- ईशा की नफ़्ल 2 रकअत
- इसके बाद तरावीह की सुन्नते मुवककेदा 20 रकअत (2X2) हर 4 रकअत के बाद तरावीह की तस्बीह पढ़ना है
- वित्र वाजिब 3 रकअत
- फिर अकेले में ईशा की नफ़्ल 2 रकअत
Taraweeh ki Namaz ki Niyat क्या है
नियत के दिल के इरादे का नाम है अल्लाह ता’अला आपके नियत को देखता है अगर आप अपने दिल में सिर्फ कहे की मै 2 रकात तरावीह की नमाज़ पढ़ रहा हूँ तब भी आपकी नियत दुरुस्त है.
लेकिन जुबान से सही तरीके से नियत करते है तो ये बहुत अच्छा माना है.
नियत की मैंने 2 रकत नमाज़ सुन्नत तरावीह वास्ते अल्लाह ताअला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ पीछे इस इमाम के अल्लाहु अकबर
Taraweeh ki Namaz ka Tarika पढ़ने के लिए सबसे पहले वज़ू कर ले फिर क़िबला रु खड़े हो जाए
तरावीह की 2 रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका
तरावीह की 2 रकअत सुन्नत पढ़ने के लिए आप को सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है
तरावीह की 2 रकात सुन्नत की नियत
नियत की मैंने 2 रकत नमाज़ सुन्नत तरावीह वास्ते अल्लाह ताअला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ पीछे इस इमाम के अल्लाहु अकबर
नमाज़ की पहली रकात
अगर आप इमाम के साथ पढ़ रहे है तो आप सिर्फ सना पढ़े या अकेले पढ़ रहे है तो आम नमाजो के तरह पढ़े
सबसे पहले आप इमाम के पीछे खड़े हो जाए फिर पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका। फिर दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम और बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें। इसके बाद आप चुप हो जाए इमाम की अल्हम्दो लिल्लाहे सुने फिर सूरह सुने।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
नमाज़ की दूसरी रकात
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुकु में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें |
इस तरह से आपकी तरावीह की 2 रकात सुन्नत पूरी हो गयी।
जैसे आप दो रकअत मुकम्मल किये वैसे ही दो रकअत पढ़े जब आपका चार रकअत मुकम्मल हो जाये तो Taraweeh ki Dua पढ़े फिर आप दोनों हाथो को उठा कर दुआ मांगे इसी तरह हर चार रकअत पर दुआ मांगे और बिस रकअत पढ़े आपका तरावीह नमाज मुकम्मल हो जायेगा।
तरावीह की दुआ हिंदी में जाने
- सुब्हा-नल मलिकिल क़ुद्दूस *
- सुब्हा-न ज़िल मुल्कि वल म-ल कूत *
- सुब्हा-न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत *
- सुब्हा-नल मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत *
- सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह *
- अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि *
- या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर *
क्या रसूलुल्लाह (S.A.W) ने तरावीह की नमाज़ पढ़ाई है?
सहीह हदीसों से यह बात साबित है की रसूलुल्लाह सल्लाह अलैहे वसल्लम रमजान के महीने में 3 दिन जमात के साथ तरावीह की नमाज़ पढ़ाई है, लेकिन जब लोग ज्यादा होने लगे और सहाबा के जज्बा और शौक़ को देख कर आप सल्लाह अलैहे वसल्लम को यह ख़तरा हुआ की कहीं यह नमाज़ फ़र्ज़ और ज़रूरी न हो जाए और लोग उसे न पढ़ सके, इसके बाद नमाज़ जमात से नहीं पढ़ाई (Sahih Bukhari: 924, Sahih Muslim: 761)
लेकिन हमें उस का मतलब यह नहीं की आप ने रमज़ान में इबादत या तरावीह पढ़ने से मना कर दिया बल्कि रमज़ान की रातों में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की ताकीद की और फरमाया की: “जो शक्स रमज़ान की रातों को इबादत में गुजारेगा उस के पिछले सारे गुनाह माफ हो जाने गे”। (सहीह बुखारी : 37, सही मुस्लिम : 759)
यही वजाह है की सहाबा रमज़ान के महीने में बहुत ज्यादा इबादत करते थे, जो हाफिज़ ए क़ुरान थे वह खुद नफ़िल नमाजो में क़ुरान पढते थे, और जो लोग हाफिज़ नहीं थे, वह दुसरो के पीछे नफ़िल पढते थे, और हुजुर सल्लाह अलैहे वसल्लम इन सबको देखते थे मगर आप ने कभी उस से नराज नहीं हुए।
तरावीह की नमाज से जुड़ा एक वाक्या
तरावीह की नमाज से जुड़ा एक और वाक्या है। हजरत •ौद बिन साबित रजिउल्लाहो के नबी ने मस्जिदे नबवी में चटाई से घेर कर एक हुजरा बना लिया और रमजान की रातों में इसके अंदर नमाज पढ़ने लगे। धीरे-धीरे और लोग भी जमा हो गए, तो एक रात हजरत की आवाज नहीं आई, लोगों ने समझा के हजरत सो गए हैं। इसलिए इन में से बाज खंगारने लगे ताके आप बाहर तशरीफ लाएं।
फिर हजरत ने फरमया कि मैं तुम लोगों के काम से वाकिफ हूं। मुझे डर हुआ कि कहीं तुम पर यह नमाज तरावीह फर्ज न कर दी जाए और अगर फर्ज कर दी जाए तो तुम इसे कायम नहीं रख सकोगे। इसलिए अपने घरों में यह नमाज पढ़ों क्योंकि फर्ज नमाज के सिवाय इंसान की सबसे अफजल नमाज है,तो तहज्जुद वित्र के साथ रमजान में नमाज तरावीह बन गई। याद रहे कि तरावीह का असल नाम कयाम-ए-रमजान है।
Taraweeh ki Namaz ka Tarika (FAQs)
तरावीह की दुआ कैसे पढ़ी जाती है?
जिस तरह से बाकि सारे दुआ पढ़े जाते है वैसे की तरावीह की दुआ भी पढ़ा जाता है लेकिन कब और कौन से दुआ पढ़ा जाता है उसका टाइम होता है. और तरावीह की दुआ को पढने का टाइम चार रकात तरावीह की नमाज़ पढने के बाद पढ़ा जाता है.
तरावीह की नमाज कितनी रकात है?
तरावीह की नमाज़ 20 रकात होती है जो दो दो रकात करके पढ़ा जाता है.
रमजान का नमाज कब है?
रमजान का नमाज़ से बहुत सारे बन्दों का मुराद होता है की तरावीह की नमाज़ जो हमने ऊपर पूरी details में बताया है.
तरावीह नमाज़ की नियत कैसे करे?
जिस तरह से बाकी नमाजो की नियत होती है वैसी ही तरावीह की नमाज़ की नियत भी पढ़ा जाता है जैसे: “नियत की मैंने 2 रकत नमाज़ सुन्नत तरावीह वास्ते अल्लाह ताअला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ पीछे इस इमाम के अल्लाहु अकबर “.
अगर किसी को पूरी दस सूरतें नहीं याद हैं तो करें?
अगर किसी को दस सुरह याद न जो सुरह अलम तारा से लेकर सुरह नास तक होता है तो उस कंडीशन में अगर कोई भी सुरह याद है तो उसी को बार बार पढ़ सकते है इसमें कोई हर्ज़ नहीं है.
क्या घर में अकेले तरावीह पढ़ सकते हैं?
हाँ, अगर आपको ऐसी जगह हो जहाँ पे नमाज़ जमात के साथ नहीं पढ़ सकते तो उस कंडीशन में अकेले घर में पढ़ सकते है.
तरावीह में दो दो रकात की नियत करनी हैं या चार की भी कर सकते हैं?
बेहतर है हर बार दो दो रकात करके नियत करना चाहिए.
औरतो को तरावीह की नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है या सुन्नत
अल्लाह ता’अला फरमाते है मर्द और औरत दोनों के लिए तरावीह की नमाज़ सुन्नत मुकिदा है.
क्या मस्जिद के अलावा किसी फैक्ट्री या फर्म में तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते है?
हाँ. फैक्ट्री या फर्म में तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते है लेकिन मुमकिन है की मस्जिद में जमात के साथ पढ़े.
तरावीह की नमाज़ सुन्नत है या नफिल?
रमजान महीने में पढ़े जाने वाले तरावीह की नमाज़ मर्द और औरत जो नमाज़ के काबिल हो उसके लिए सुन्नत e मुआक्कादाह है.
Taraweeh जरुरी मसाइल
- Taraweeh ki Namaz ka Tarika हर मोमिन मर्द और औरत दोनों के लिए सुन्नत मु-अक्कादाह है।
- जमात के साथ तरावीह पढ़ना मर्दो के लिए सुन्नत-किफ़ायत है।
- अगर कोई मर्द मस्जिद में तरावीह के दौरान घर पर तरावीह पढ़े , तो वह गुनहगार नहीं होगा। हालाँकि, यदि सभी पड़ोसी घर में अकेले तरावीह करते हैं, तो जमात को नज़र अंदाज़ करे तो इसके कारण सभी गुनहगार होंगे।
- तरावीह का समय ईशा की Namaz के बाद से सुबह -सादिक से थोड़ा पहले तक है। इसे वित्र की नमाज़ के पहले या बाद में भी पढ़ा जा सकता है।
- अगर कोई तरावीह की कुछ रकअत भूल गया है और इमाम ने वित्र शुरू कर दिया है, तो यह मुक्तादी वित्र में शामिल हो सकता है और उसके बाद अपनी बाकी तरावीह को पूरा कर सकता है।
- 20 रकअत 10 सलाम के साथ मसनून हैं, हर बार तरावीह की 2 रकअत के लिए एक नियाह होनी चाहिए। हर 4 रकअत के बाद नमाज़ी को कुछ देर बैठकर ऊपर की दुआ, Taraweeh Ki Dua पढ़ना है।
- कोई चुप रह सकता है या कम आवाज में कुरान या तस्बीह पढ़ सकता है या आराम के समय के दौरान हर 4 रकअत के बाद अलग से नफ्ल सलाहा कह सकता है।
- अगर किसी के पास खड़े होकर पढ़ने की ताकत है तो उसके लिए तरावीह बैठना मकरूह है।
- तरावीह पढ़ते समय कुछ लोग शुरू से जमात में शामिल नहीं होते हैं, लेकिन इमाम के पीछे बाद में शामिल हो जाते हैं जब वह रुकू में जाने की तैयारी करता है। यह मकरूह है। उन्हें शुरुआत में शामिल होना चाहिए।
- अगर ईशा के फ़र्ज़ के लिए जमाअत न मिले तो फर्ज़ अकेले ही करे और तरावीह के जमाअत में शामिल हो जाए।
- Taraweeh Ki Namaz से पहले ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ अदा करना जरुरी हैं
- अगर इमाम ने Taraweeh Ki Namaz शुरू करदी हैं और आप बाद में आए तो पहले ईशा की फ़र्ज़ अदा करे बाद में इमाम के पीछे जमात में तरावीह के लिए खड़े हो जाए।
आज अपने क्या सीखा
आज अपने Taraweeh ki Namaz ka Tarika शुरू से और बढ़िया से सीखा अब आप इमाम के पीछे अच्छे से नमाज़ पढ़ सकते है.
इसके अलावा तरावीह की नमाज़ की रकात, वक़्त और related क्वेश्चन को भी सीखा.
मुझे उम्मीद है इस पोस्ट को पढने के बाद आप किसी और दोस्त को भी ये तरीका सीखा सकते हो और सवाब का जरिया बन सकते हो.
अगर Taraweeh ki Namaz ka Tarika से रिलेटेड कोई प्रॉब्लम आ रहा है तो कमेंट करे.