अस्सलाम अलैकुम, आज हम जानेंगे कि ज़ोहर की नमाज़ का तरीका क्या है और ज़ोहर की नमाज़ को कैसे पढ़ा जाता है हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे, और इसे समझने का प्रयास करेंगे।
Hello दोस्तों मैं आपका NamazQuran में Welcome करता हूं आज हम ज़ोहर की नमाज़ के तरीके , नमाज़ का टाइम , नमाज़ का फजीलत , और अदब के बारे में चर्चा करने वाले हैं, हम इससे जुड़े और कई तथ्यों को भी जानेंगे जैसे–
- नमाज़े ज़ोहर की फ़ज़ीलत
- नमाज़े ज़ोहर की नियत का तरीक़ा
- अगर ज़ोहर की नमाज़ छूट जाये तो क्या करें?
- ज़ोहर की नमाज का टाइम कब तक रहता है?
- ज़ोहर की नमाज़ कितनी रकत होती है?
- ज़ोहर की नमाज़ कितने बजे होती है?
- ज़ोहर की नमाज़ कब तक पढ़ सकते है?
- ज़ोहर की अज़ान कितने बजे होती है?
- ज़ोहर की नमाज़ का वक्त कब खत्म होता है?
- ज़ोहर की नमाज पढ़ने से क्या होता है?
नाजरीन पांच वक़्त की नमाज़ हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है जिसे हर हाल में पढ़ना है चाहे आप कीसी भी हाल में हों दुनिया के कोई भी कोने में हों। इस पोस्ट ज़ोहर नमाज़ की ज्ञान पुरे तफ्सील से निचे के आर्टिकल्स में दे दिए है जिसे आप जरूर पढ़ें।
नमाज़ पढ़ने से पहले कुछ बातों का खासा ख्याल रखें नमाज़ पढ़ने के लिए सबसे पहले आपका जिस्म (Body) का पाक होना बहुत जरुरी है, दूसरा आप जो कपडा (cloth) ड्रेस पहने हुए है वो पाक साफ़ हो
और तीसरा जहाँ आप नमाज़ पढ़ रहे है उस जगह पर किसी तरह की कोई गन्दगी न हो उस जगह का पाक साफ़ होना जरुरी है तभी आपकी नमाज़ हो पाएगी।
ज़ोहर की नमाज़ का वक्त कब खत्म होता है?
दिन की नमाज़ो में दूसरी नमाज़ ज़ोहर की नमाज़ है , इसकी शुरुआत Mid-Day (ज़वाल) के बाद होती है, और इसका आखरी वक्त जब सूरज ढल जाये और हर चीज़ साया (Shadow) डबल हो जाए तो समझ जाओ की ज़ोहर की नमाज़ का वक्त खत्म हो गया।
ठंड या Winter (ज़ारा) में ज़ोहर की नमाज़ की शुरुआत गर्मी के वक्त से पहले शुरू कर देना चाहिए। मतलब ज़ोहर का वक्त एक ही होता है मगर ठंड में जल्दी पढ़ लेना चाहिए।
Zohar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है
निचे आपको नमाज़ की रकात के बारे में समझाया गया है इससे आप ध्यान से पढ़े। ज़ोहर की नमाज़ 12 रकात होती है।
- 4 रकात सुन्नत
- 4 रकात फ़र्ज़
- 2 रकात सुन्नत
- 2 रकात नफिल
- (कुल = 12 रकात)
ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका
ज़ुहर की नमाज़ दिन की दूसरी नमाज़ होती हैं, इससे भी पढ़ने का बहुत सारा फजीलत जो आपको निचे बताया गया है।
ज़ोहर की 4 रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका
ज़ोहर की 4 रकअत सुन्नत पढ़ने के लिए आप को सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है।
ज़ोहर की 4 रकात सुन्नत की नियत
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ ज़ोहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर
ज़ोहर की नमाज़ की पहली रकात सुन्नत
- सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका
- दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें
- क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
फिर आप खड़े हो जाए दूसरा रकात पढ़ने के लिए।
ज़ोहर की नमाज़ की दूसरी रकात सुन्नत
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें | फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ।
ज़ोहर की नमाज़ की तीसरी रकात सुन्नत
तीसरी रकात में भी सबसे पहले आप तस्मियाँ यानि बिस्मिल्लाहहिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें इसके बाद सूरह फातिहा यानि के अल्हम्दुलिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथी रकात के लिए खड़े हो जाएँ।
ज़ोहर की नमाज़ की चौथी रकात सुन्नत
चौथी रकत में भी आपको सबसे पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ना है इसके बाद सूरह फातिहा यानि के अल्हम्दुलिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें।
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
इस तरह से आपकी ज़ोहर की 4 रकात सुन्नत पूरी हो गयी।
जोहर की 4 रकात फर्ज पढ़ने का तरीका
अगर आप ज़ोहर की फ़र्ज़ नमाज़ अकेले पढ़ रहे है तो जिस तरह से सुन्नत के बारे में ऊपर बताया गया है उसी तरह से फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़ने से हो जाएगी। अगर इमाम के पीछे फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़ रहे है तो निचे बताए गए स्टेप को फॉलो करे।
ज़ोहर की 4 रकअत फ़र्ज़ पढ़ने के लिए आप को सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है।
जोहर की 4 रकात फर्ज की नियत
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ जुहर की फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर
ज़ोहर की नमाज़ की पहली रकात फर्ज
सबसे पहले आप इमाम के पीछे खड़े हो जाए फिर सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका। फिर दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़े, इसके बाद आप चुप हो जाए इमाम की अल्हम्दो लिल्लाहे खामोशी के साथ सुने फिर क़ुरान की सूरह भी सुने।
इसके बाद अल्लाह हुअक्बर कहते हुए रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुकू में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
ज़ोहर की नमाज़ की दूसरी रकात फर्ज
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में आपको चुप रहना है
इमाम जब अल्हम्दो लिल्लाहे और सूरह पढ़ लेगा तो अल्लाह हुअक्बर कहते हुए रुकू में चले जाओ।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें | फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
ज़ोहर की नमाज़ की तीसरी रकात फर्ज
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ। फिर खामोसी के साथ सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ कर खामोश हो जाए, और इमाम का इंतजार करे रुकू में जाने के लिए।
इसके बाद अल्लाह हुअक्बर कहते हुए रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुकू में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें, फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए खड़ा हो जाये।
ज़ोहर की नमाज़ की चौथी रकात फर्ज
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथी रकात के लिए खड़े हो जाएँ। फिर खामोसी के साथ सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ कर खामोश हो जाए। और इमाम का इंतजार करे रुकू में जाने के लिए।
इसके बाद अल्लाह हुअक्बर कहते हुए रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुकू में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें |
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें | फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
इस तरह से आपकी ज़ोहर की 4 रकात फ़र्ज़ पूरी हो गयी।
ज़ोहर की 2 रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका
ज़ोहर की 2 रकअत सुन्नत पढ़ने के लिए आप को सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है
ज़ोहर की 2 रकात सुन्नत की नियत
नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर
ज़ोहर की नमाज़ की पहली रकात सुन्नत
- सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका
- दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें
- क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
फिर आप खड़े हो जाए दूसरा रकात पढ़ने के लिए।
ज़ोहर की नमाज़ की दूसरी रकात सुन्नत
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
इस तरह से आपकी ज़ोहर की 2 रकात सुन्नत पूरी हो गयी।
ज़ोहर की 2 रकात नफिल पढ़ने का तरीका
जोहर की 2 रकअत नफिल पढ़ने के लिए आप को सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है।
ज़ोहर की 2 रकात नफिल की नियत
नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर
ज़ोहर की नमाज़ की पहली रकात नफिल
- सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका
- दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें
- क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
फिर आप खड़े हो जाए दूसरा रकात पढ़ने के लिए।
ज़ोहर की नमाज़ की दूसरी रकात नफिल
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अज़ीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
इस तरह से आपकी ज़ोहर की 2 रकात नफिल पूरी हो गयी।
ज़ोहर की नमाज़ की फ़ज़ीलत क्या है
ज़ोहर की नमाज़ के पढ़ने से पढ़ने वाले के रिज़्क़ में बरकत होती है।
अगर आप ज़ोहर की चार रकात सुन्नत पढ़ लेते है तो आपको तहज्जुद के नमाज़ के बराबर सवाब मिलता है।
नबी करीम (सल्लाह अलैहे सलाम) इरशाद फरमाते है: रोज़ाना ज़ोहर के नमाज़ के वक्त जहन्नम के आग को भड़काया जाता है। जो बन्दा ज़ोहर की नमाज़ को अदा करता है अल्लाह ताला उस बन्दे को क़यामत के दिन जहन्नम की आग को हराम कर देता है।
Zohar ki Namaz ka Tarika ka Video
अगर आप चाहते है की Video देख कर सीखे तो निचे Youtube Video दिया गया है जिसको देखकर आप Zohar ki Namaz ka Tarika सिख सकते है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
ज़ोहर की सुन्नत में कौन सी सुरत पढ़े?
अगर ज्यादा सूरतें याद हो तो सूरह हुजरात से लेकर सूरह बुरुज के बीच की सूरतें पढ़ना चाहिए। और अगर ज्यादा सूरह याद न हो तो जो आपको सूरह याद पढ़ना चाहिए, लेकिन क़ुरान की तरतीब से होनी चाहिए।
क्या ज़ोहर की नमाज़ के बाद कोई नमाज़ पढ़ सकते हैं?
हां पढ़ सकते हो जोहर के नमाज़ के बाद आप क़ज़ा नमाज़ की अदायगी कर सकते हो।
ज़ोहर की नमाज में कितनी रकात होती है?
ज़ोहर की नमाज़ में 12 रकात होती हैं, ये रकात इस तरह अदा की जाती हैं 4 सुन्नत, 4 रकात फर्ज, 2 रकात सुन्नत, 2 रकात नफ़िल।
ज़ोहर की नमाज़ कितने बजे होती है?
ज़ोहर की नमाज़ दोपहर के 1 बजे अज़ान हो जाने के बाद नमाज़ का वक्त शुरू हो जाता है। और जुमे के दिन ज़ोहर की नमाज़ के बदले जुमे की नमाज़ को पढ़ते है, जिसकी अज़ान 12:30 बजे होती है।
जोहर की नमाज में कितनी रकात सुन्नत होती है?
ज़ोहर की नमाज़ में 6 रकात सुन्नत होती है सबसे पहले 4 रकात सुन्नत पढ़ा जाता है, फिर 2 रकात सुन्नत पढ़ा जाता है।
जोहर का टाइम कितने बजे से कितने बजे तक रहता है?
गर्मी के दिनों में ज़ोहर का वक्त 5 घंटे होता है, और ठंडी में ज़ोहर का वक्त 4 घंटे होता है। ज़ोहर की नमाज़ वक्त fixed नहीं है ये अलग अलग शहर का अलग अलग वक्त होता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने इमाम साहब से पूछ सकते हो।
ज़ोहर की अज़ान कितने बजे होती है?
नमाज़े ज़ोहर की अज़ान दोपहर के 1 बजे होता है, और जुमे के दिन 12:30 बजे होती है।
अगर आप लोगो को ये ज्ञान अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्त, रिश्तेदार के साथ शेयर जरूर करें हो सकता है आपके एक शेयर से किसी को नमाज़ पढ़ना आ जाए अल्लाह हर मोमिन को पांचो वक़्तों का नमाज़ी बना दे।