Ab to Bas Ek hi Dhun hai Lyrics in Hindi & English

Ab to Bas Ek hi Dhun hai Lyrics: This beautiful stunning naat is sung by Hafiz Ahmad Raza Qadri in his beautiful voice. Ab toh Bas Ek hi Dhun hai Lyrics is mostly used in the month of Ramadan by the People.

Ab to Bas Ek hi Dhun Hai Lyrics in English

Yahi Dhun Hay, Yahi Dhun Hay, Yahi Dhun Hay
Yahi dhun hay Madina Dekhu aik bar (x2)
Bas Aik Baar (x2)

Akhri Umr Main Kya Ronaq-e Dunya Dekhoon
Ab To Bas Aik Hi Dhun Hay
Kay Madina Dekhoon
Ab To Bas Aik Hi Dhun Hay
Kay Madina Dekhoon (x2)
Ab To Bas Aik Hi Dhun Hay

Jaaliyaan Dekhoon Kay
Dewaar o Dar o Baam-e-Haram
Jaaliyaan Dekhoon Kay
Dewaar o Dar o Baam-e-Haram
Apni Maazoor Nigaahon Say
Main Kya Kya Dekhoon
Apni Maazoor Nigaahon Say
Main Kya Kya Dekhoon
Ab To Bas Aik Hi Dhun Hay
Kay Madina Dekhoon (x2)

Main Kahan Hoon Ye Samajh Loon
To Uthaaun Nazrain
Main Kahan Hoon Ye Samajh Loon
To Uthaaun Nazrain
Dil Jo Sambhlay To Main
Phir Gumbad-e khazra Dekhoon
Dil Jo Sambhlay To Main
Phir Gumbad-e khazra Dekhoon

Bas Aik Baar (x3)
Ab to Bas Aik Hi Dhun Hai
Kay Madina Dekhoon (x2)

Merey Mola Meri Aankhain
Mujhe Wapas Kar Day
Merey Mola Meri Aankhain
Mujhe Wapas Kar Day
Taa kay Is Baar Main
Jee Bhar Kay Madina Dekhoon
Taa kay Is Baar Main
Jee Bhar Kay Madina Dekhoon
Bas Aik Baar (x3)
Ab to Bas Aik Hi Dhun Hai
Kay Madina Dekhoon (x3)

Kaash Iqbal Yuhi Umr
Basar Ho Mari
Kaash Iqbal Yuhi Umr
Basar Ho Mari
Subha Kabay Main Ho To
Shaam Ko Taiba Dekhoon
Subha Kabay Main Ho To
Shaam Ko Taiba Dekhoon
Ab to Bas Aik Hi Dhun Hai
Kay Madina Dekhoon (x3)
Meri Dhun Hay Meri Aarzoo Hay
Madina Dekhoon Main Bhi (x3)
Bas Aik Baar (x3)

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Ab to Bas Ek hi Dhun hai Lyrics

अब तो बस एक ही धुन है कि मदीना देखूं

आख़री वक़्त मे क्या रौनक़े-दुनियां देखूं
अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

मेरे मौला मेरी आँखें मुझे वापस कर दे
ताके इस बार मैं जी भर के मदीना देखूं

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

इसने भी मदीना देख लिया, उसने भी मदीना देख लिया
सरकार कभी तो मैं भी कहूं मैंने भी मदीना देख लिया

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

मैनूं मजबूरियां ते दूरियां ने मारेया
सद लो मदीने आक़ा करो मेहरबानियां
डाढा हां गरीब आक़ा कोल मेरे ज़र नहीं
उडके मैं की वें आवां नाल मेरे पर नहीं
तुसां ते है डेड़ा मैथुं बड़ी दूर ला लेया
सद लो मदीने आक़ा करो मेहरबानियां

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

एक रोज़ होगा जाना सरकार की गली में
होगा वहीं ठिकाना सरकार की गली में
दिल में नबी की यादें, लब पर नबी की नातें
जाना तो ऐसे जाना सरकार की गली में
गो पास कुछ नहीं है लेकिन ये देख लेगा
एक दिन मुझे ज़माना सरकार की गली में
समझेंगे हम नियाज़ी उन की करम नवाज़ी
जिस दिन हुवे रवाना सरकार की गली में

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

सैरे गुलशन कौन देखे दश्ते तयबा छोड़ कर
सूए जन्नत कौन जाए दर तुम्हारा छोड़ कर
बख्शवाना मुझ से आसी का रवा होगा किसे
किस के दामन में छुपूं दामन तुम्हारा छोड़ कर
मर के जीते हैं जो उनके दर पे जाते हैं हसन
जी के मरते हैं जो आते हैं मदीना छोड़ कर

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

बुलालो फिर मुझे ऐ शाहे-बहरोबर मदीने में
मैं फिर रोता हुवा आऊं तेरे दर पर मदीने में
मैं पोहंचूं कूए जानां में गिरेबां चाक सीना चाक
गिरा दे काश मुझ को शौक़ तड़पा कर मदीने में
मदीने जाने वालो जाओ जाओ फी-अमानिल्लाह
कभी तो अपना भी लग जाएगा बिस्तर मदीने में
न दौलत दे न सरवत दे, मुझे बस ये सआदत दे
तेरे क़दमों में मर जाऊं मैं रो रो कर मदीने में
बुलालो हम ग़रीबों को बुलालो या रसूलल्लाह
पए शब्बीरो-शब्बर फ़ातिमा हैदर मदीने में

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

इसने भी मदीना देख लिया, उसने भी मदीना देख लिया
सरकार कभी तो मैं भी कहूं मैंने भी मदीना देख लिया

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

फ़िर जा रहे हैं अहले-मुहब्बत के क़ाफ़िले
फ़िर याद आ रहा है मदीना हुज़ूर का

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

मुझे दर पे फिर बुलाना मदनी मदीने वाले
मए-इश्क़ भी पिलाना मदनी मदीने वाले
मेरी आँख में समाना मदनी मदीने वाले
बने दिल तेरा ठिकाना मदनी मदीने वाले
मेरी आने वाली नस्लें, तेरे इश्क़ ही में मचलें
उन्हें नेक तुम बनाना मदनी मदीने वाले
तेरी जब के दीद होगी जभी मेरी ईद होगी
मेरे ख़्वाब में तुम आना मदनी मदीने वाले
तेरे दर की हाज़री को जो तड़प रहे हैं उनको
शहा जल्द तुम बुलाना मदनी मदीने वाले
तेरे ग़म में तेरा अत्तार, रहे हर घड़ी गिरफ़्तार
ग़मे-माल से बचाना मदनी मदीने वाले

एकबार तो दिखादो रमज़ान में मदीना
बेशक बनालो आक़ा मेहमान दो घड़ी का

अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं

This is Ab to Bas Ek hi Dhun hai Naat Lyrics Sung by: हाफ़िज़ ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी

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