अस्सलाम अलैकुम दोस्तों Namaz Quran में आप का Welcome है , आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले है Namaz e Janaza पढ़ने का तरीका क्या है?
और नमाज़ ए जनाज़ा की दुआ क्या है और जनाज़ा की नियत कैसे करे और भी बहुत सारे Information नमाज़ ए जनाज़ा से Related Questions में होने वाला है तो आप इस पोस्ट को Complete जरूर पढ़े।
Janaza ki Namaz ki Niyat
अब जानते है Janaza ki Namaz ki Niyat कैसे करते है, आपका नेकी का दबोदार नियत पर Depand करता है क्युकी अल्लाह ता’अला आपकी नियत को बखूबी जानता है।
जनाज़ा की नियत निचे इमेज पर लिखा गया है आप इसे याद कर लो क्युकी नमाज़ ए जनाज़ा के time नियत करना जरुरी होता है। Janaza ki Niyat Hindi me अगर याद करना चाहते है तो निचे दिया गया है आप हिंदी में भी नियत कर सकते हो।
Namaz e Janaza ki Niyat in Arabic
नमाज़ ए जनाज़ा की नियत का तरीका Arabic में याद करना चाहते है तो निचे दिया गया है आप इसे याद करके जनाज़ा की नमाज़ में पढ़ सकते है।
जनाज़ा की नमाज़ का तरीका (Namaz e Janaza padhne ka tarika)
अब जानते Janaza ki Namaz Padhne ka Tarika क्या है क्युकी मै आपको Step by Step बताने वाला हूँ Janaza ki Namaz Kaise Padha Jata Hai? जनाज़े की नमाज़ ही एक ऐसी नमाज़ है जिसमे रुकू और सजदा नहीं होता है बस चार तकबीर होती है और कुछ दुआएं होती है जिनको पढ़ने के बाद सलाम फेरा जाता है।
Namaz e Janaza फर्ज़े किफ़ाया है इस नमाज़ में मर्द और औरत दोनों पढ़ सकते है अगर कोई एक शख्स ने जनाज़े की नमाज़ पढ़ ली तो बाक़ी लोगों से फ़र्ज़ सकित हो जायेगा।
अगर कोई शख्स जान भूझकर नमाज़ नहीं पढ़े तो सब गुनहगार हो जाएंगे हर मुसलमान को जनाज़े की नमाज़ में जरूर सिरकत करना चाहिए, तो चलिए जानते Janaza ki Namaz ka Tarika Hindi Me कैसे पढ़ते है।
पहला उपाय (First Step)
पहला स्टेप में अच्छी तरह से खड़े होकर Namaz e Janaza की नियत किया है जो बहुत जरुरी होता है नियत का तरीका ऊपर बताया गया है जिसको आपको याद कर लेना चाहिए।
दूसरा उपाय (Second Step)
अब पहली तकबीर “अल्लाहु अकबर” कह कर आम नमाज़ों की तरह दोनों हाथ बाँध लें
नियत पढ़ने के बाद अपने दोनों हाथो को कानो के लॉ तक ले जाये और अल्लाह हुअक्बर कह कर हाथो को बांध ले और फिर सना पढ़े।
सना में ध्यान रखें कि “वताला जद्दोका” के बाद “वजल्ला सनाओका वलाइलाहा ग़ैरोका” पढ़ें
तीसरा उपाय (Third Step)
अब बगैर हाथ उठाये दूसरी तकबीर कहें “अल्लाहु अकबर” और दुरूदे इब्राहीम पढ़ें
चौथा उपाय (Fourth Step)
अब बगैर हाथ उठाये तीसरी तकबीर कहें “अल्लाहु अकबर” और ये दुआ पढ़ें
अगर मय्यत मर्द या औरत की हो तो ये दुआ पढ़े
Janaza ki Namaz ki Dua
अल्लाहुम्मग्फिरली हय्यिना व मय्यितिना व शाहिना व गाइबिना व सगिरिना व कबिरिना व जाकारिना व उनसाना अल्लाहुम्मा मन अहयइतहु मिन्ना फ़अहइही अल्ल इस्लामी व मन फ़तवफ़्फ़ाहू मिन्ना फ़तवफ़्फ़ाहू अललईमान
अगर नाबालिग लड़की या लड़का का जनाजा हो तो तीसरी तकबीर के बाद ये दुआ करें
Janaza ki Dua Hindi Me (Bache ki Janaze ki Dua)
अल्लाहुम्मज् अल्हा लना फ़रातव वज्अल्हा लना अज्रव व जुख़्रव वज्अल्हा लना शाफ़िअव व मुशफ़्फाअह
अगर कोई भी दुआ याद न हो तो सिर्फ़ ये दुआ पढ़ लें
अल्लाहुम्मग़ फिरली मुअ’मिनिना वल मुअ मिनात
पांचवाँ उपाय (Five Step)
अब बगैर हाथ उठाये चौथी तकबीर कहें “अल्लाहु अकबर” और हाथ बांधे बांधे ही सलाम फेर लें
इमाम तक्बीरें बुलन्द आवाज़ से कहे और मुक़्तदी आहिस्ता। बाक़ी तमाम अज़्कार इमाम व मुक़्तदी सब आहिस्ता पढ़ें
फिर मय्यत के लिए दुआए मगफिरत करें
जनाज़ा नमाज़ के सलाम फेरने के बाद आप कोई भी दुआ मैयत के मगफिरत के लिए पढ़ सकते है
बस Namaze e Janaza हो गयी अब जनाज़ा उठा कर कब्रस्तान ले चलिए
क़ब्र पर मिटटी देने की दुआ (Janaza ki Mitti Dene ki Dua)
Namaz e Janaza पढ़ने के बाद अब जानते है कब्र पर मिट्टी कैसे देते है कब्र पर तीन बार मिट्टी दिया जाता है। कब्र पर मिट्टी आराम से और इत्मीनान से देना चाहिए।
बाज़ लोग कहते है पांच बार मिट्टी देते है मगर ये गलत है कब्र पर तीन बार ही मिट्टी देना चाहिए। हर बार मिट्टी देते वक़्त दुआ पढ़ना चाहिए जो निचे दिया गया है।
किसी भी मैयत में आप जाए सिरकत करें तो सबसे पहले आप कबरिस्तान के अंदर दाखिल होने से पहले अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु जरूर करें।
किसी भी जनाजे में मिटटी देना का इस्लामिक तरीका ये है की एक आदमी या एक इंसान को तीन 3 बार मिटटी देना है कब्र पर मिटटी डालते वक़्त समय मुस्तहक़ यह है की जनाजे के सर के तरफ सुरु Start करें और अपने दोनों हाथो में मिटटी भर के कब्र पर डालें।
पहली बार मिट्टी डालते वक़्त
“मिन्हा खलक ना कुम”
Meaning: “अल्लाह ने हमे इसी मिट्टी से पैदा किया”
दूसरी बार मिट्टी डालते वक़्त
“व फिहा नोइदोकुम”
Meaning: “और इसी मिट्टी में हम को जाना है”
तीसरी बार मिट्टी डालते वक़्त
“व मिन्हा नुखरे जोकुम तरतुल उखरा”
Meaning: “और इसी मिट्टी से उठा कब्र कोऔर इसी से क़यामत के दिन तम्हे दुबारा निकाल कर खड़ा करेंगे”
नमाज़े जनाज़ा की सफ कैसी होनी चाहिए?
Namaz e Janaza सफ़ कैसे होना चाहिए? बेहतर यह की नमाज जनाजा में तीन सफ करें जैसा कि हदीस में है कि जिस की नमाज तीन सफ़ के लोगों ने पढ़ी उसकी मगफिरत हो जाएगी।
अगर लोगों कि तादाद ज़्यादा है तो 5 या 7 सफ़ भी बना सकते हैं इमाम को मैयत के सीने के सामने इमाम को खड़ा होना चाहिए।
नमाज़ ए जनाज़ा के बारे में
नमाज़े जनाज़ा फर्ज़े किफ़ाया है यानि एक मर्द या औरत भी Namaz e Janaza पढ़ ले तो बाक़ी लोगों से फ़र्ज़ सकित हो जायेगा जाएगा लेकिन अगर किसी ने नहीं पढ़ा तो सब लोग गुनाहगार होंगे।
( इसलिए हमें चाहिए कि हम नमाज़े जनाज़ा में ज़रूर शामिल हो)। अगर आप जनाज़ा की नमाज़ में शामिल होते है अल्लाह ता’अला आपको जन्नत आता फरमाता है।
जनाज़ा की नमाज़ कौन पढ़ा सकता है
Namaz e Janaza पढ़ाने का हक बादशाह ए इस्लाम को है उसके बाद शहर की काजी को है फिर इमामे जुमा को उसके बाद मोहल्ले की मस्जिद के इमाम को या फिर वली को वली से मुराद मैयत के घरवाले या कोई करीबी रश्तेदारों में से कोई अगर बेटा आलिम ए दीन है या हाफिज है तो बेटा जनाजा पढ़ाएगा बच्चों को नमाजे जनाजा की विलायत नहीं है।
Namaz E Janaza ki Dua Mp3 Free Download
अगर आप नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ने का तरीका पढ़ने में ज्यादा time लग रहा है या text पढ़ने को मन नहीं कर रहा है Namaz e Janaza ki Dua Mp3 में Download करके सुन सकते है।
जनाज़ा का तरीका Mp3 में डाउनलोड करने के लिए निचे Audio को Play करने का Option दिया गया है और Right Side में 3 Dot है उसपर Click करने पर Download Option दिखेगा उसपर Click करके Namaz e Janaza ki Dua Mp3 में डाउनलोड कर सकते हो।
Janaza ki Namaz ka Tarika Tariq Masood Video
अगर आपको पढ़ने नहीं आता है या पूरा पोस्ट पढ़ने का मन नहीं है तो आप ऑडियो सुन कर Namaz e Janaza का तरीका को सिख सकते है। अगर ऑडियो सुनने का भी मन नहीं कर रहा है।
तो आप Video देख कर जनाज़ा का तरीका बहुत ही आसानी से सिख सकते है, Tariq Masood की वीडियो को देखने के लिए नीचे Youtube Video दिया गया है आप देख सकते हो।
Janaza ki Namaz ka Tarika Faiz Syed Video
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अगर ऑडियो सुनने का भी मन नहीं कर रहा है तो आप video देख कर जनाज़ा का तरीका बहुत ही आसानी से सिख सकते है। Faiz Syed की वीडियो को देखने के लिए नीचे youtube video दिया गया है आप देख सकते हो।
किन लोगों की नमाजे जनाजा ना पढ़ी जाए
हर मुसलमान की Namaz e Janaza पढ़ी जाए चाहे वो कैसा ही गुनाहगार क्यों ना हो। लेकिन जो बागी हो ईमाम ए बरहक के खिलाफ लड़ने को निकले और इसी बगावत की हालत में मारा जाए, या वह डाकू जो डकैती करते हुए मारा जाए ऐसी इंसान को ना गुसल दिया जाए और ना इन की नमाज जनाजा पढ़ी जाए।
जिस ने कई आदमी का गला घोट कर मार डाला हो उसकी भी नमाजे जनाजा ना पढ़ी जाए और वो आदमी जिसने अपने मां बाप को मार डाला हो उसकी भी नमाज जनाजा नहीं पड़नी चाहिए।
क्या है जनाज़े को कन्धा देने का त़रीक़ा?
जनाज़े को कन्धा देना एक इ़बादत है, कन्धा देने का सुन्नत यह है कि एक के बाद दीगरे चारों पायों को कन्धा दे और हर बार दस दस क़दम चले। पूरी सुन्नत यह है कि पहले सीधे सिरहाने कन्धा दे।
फिर सीधी पाइंती (यानी सीधे पाउं की त़रफ़) फिर उलटे सिरहाने फिर उलटी पाइंती और दस दस क़दम चले तो कुल चालीस क़दम हुए। (, बहारे शरीअ़त, जि. 1, स. 822) बाज़ लोग जनाज़े के जुलूस में एलान करते रहते हैं, दो दो क़दम चलो, उन को चाहिये कि इस त़रह़ एलान किया करें : “दस दस क़दम चलो।
जनाज़े को कन्धा देने का सवाब
ह़दीसे पाक में है : “जो जनाज़े को चालीस क़दम ले कर चले उस के चालीस कबीरा गुनाह मिटा दिये जाएंगे।” नीज़ ह़दीस शरीफ़ में है : जो जनाज़े के चारों पायों को कन्धा दे अल्लाह उस की ह़त्मी (यानी मुस्तकि़ल) मगि़्फ़रत फ़रमा देगा। (बहारे शरीअ़त, जि. 1, स. 823)
Namaz E Janaza Related Question (FAQs)
जनाज़ा की नमाज़ में कितनी चीजें फ़र्ज़ है?
नमाज़ ए जनाज़ा में 2 चीज़े फ़र्ज़ है और अगर फ़र्ज़ छूट जाए तो नमाज़ जनाज़ा या कोई अमल नहीं होता। पहली फ़र्ज़ चार बार तकबीर कहना (चार मर्तबा अल्लाह हुअक्बर कहना) और दूसरी फ़र्ज़ क़याम करना यानि नमाज़ ए जनाज़ा को खड़े होकर पढ़ना।
जनाज़ा की नमाज़ में कितनी चीजें सुन्नत है?
नमाज़ ए जनाज़ा में 3 चीज़े सुन्नत है और अगर सुन्नत पर अमल करते है तो और ज्यादा सवाब मिलेगा। पहली सुन्नत अल्लाह ता’आला की हम्द बयान करना यानि तारीफ करना और दूसरी सुन्नत मुहम्मद सल्लाह अलैहे वसल्लम पर दरूद शरीफ पढ़ना और तीसरी सुन्नत मैय्यत के लिए दुआ करना।
अगर एक time पर कई जनाज़े इकठ्ठा हो जाए तो क्या करे?
अगर एक वक़्त में बहुत सारे जनाज़े इकठ्ठा हो जाए तो एक साथ जनाज़े की नमाज़ पढ़ सकते है लेकिन ऐसी सूरत में सब जनाज़े इमाम के सामने होंगे।
क्या जूते और चप्पल पहन कर या उन पर खड़े होकर जनाज़े की नमाज़ पढ़ना कैसा है?
हां दुरुस्त है (पढ़ सकते है) जूते और चप्पल पहन कर या उन पर खड़े होकर जनाज़े की नमाज़ पढ़ सकते है लेकिन एक शर्त है जूते चप्पल और जिस जगह नमाज़ पढ़ रहे है वह जगह पाक हो।
क्या मस्जिद में नमाज़ जनाज़ा पढ़ना जाइज़ है?
नहीं बिलकुल भी नहीं मस्जिद में जनाज़े की नमाज़ पढ़ना मकरूह ए तहरीमी है मय्यत चाहे मस्जिद के अंदर हो या मस्जिद के बाहर। अगर जुम्मे के दिन किसी भी इन्तेकाल हो गया है तो अगर जुम्मे से पहले तदफीन हो सके तो पहले ही कर ले इस खयाल से मय्यत रोके रखना की जुमे के बाद ज्यादा लोग आएंगे यह मकरूह हैं।
क्या मय्यत को बगैर नमाज़ ए जनाज़ा पढ़े दफ़न कर सकते है?
अगर मय्यत को बगैर नमाज़ जनाज़ा पढ़े दफन कर दिया और मिट्टी भी दे दी तो अब उसकी कब्र पर नमाज़ पढ़े जब तक फटने का गुमान ना हो और अगर मिट्टी ना दी गई है तो मय्यत को बाहर निकालें और नमाज पढ़कर दफन करें।
क्या Husband बीवी के जनाज़े को कन्धा दे सकता है?
Husband अपनी बीवी के जनाज़े को कन्धा भी दे सकता है, और क़ब्र में भी उतार सकता है और मुंह भी देख सकता है। मगर सिर्फ़ ग़ुस्ल देने और बिला ह़ाइल बदन को छूने की मुमानअ़त है यानि मना है। लेकिन Wife अपने Husband को ग़ुस्ल दे सकती है। (बहारे शरीअ़त, जि. 1, स. 812, 813)
Source : DeeniBaatein, DeenkiBatein