अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, Shab e Qadr ki Namaz ka Tarika सीखना हर मुस्लमान को सीख लेना चाहिए।
वैसे तो रमजान की हर एक इबादत आम दिनों के इबादत से कही ज्यादा सवाब मिलता है लेकिन रमजान में Shab e Qadr बहुत ज्यादा अहमियत रखता है।
आपको इस पोस्ट में शबे कद्र की बहुत सारी जानकारी मिलेगी।
शबे क़द्र बहुत ही महत्वपूर्ण रात है, जिस के एक रात की इबादत हज़ार महीनों (83 वर्ष 4 महीने) की इबादतों से बेहतर और अच्छा है।
रमज़ान महीने में एक रात ऐसी भी आती है, जो हज़ार महीने की रात से बेहतर है। जिसे Shab e Qadr कहा जाता है। शबे क़द्र का अर्थ होता हैः “सर्वश्रेष्ट रात“, ऊंचे स्थान वाली रात”, लोगों के नसीब लिखी जानी वाली रात।
कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद –
إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ
तर्जुमा – बेशक हमने इस (कुरआन ) को शबे कद्र में नाजिल किया है |
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ
तर्जुमा – और तुम्हे क्या मालूम के शबे कद्र क्या चीज़ है ?
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِّنْ أَلْفِ شَهْرٍ
तर्जुमा – शबे कद्र हज़ार महीनो से बेहतर है |
तो चलिए जानते है की शबे कद्र की नमाज़ का तरीका क्या है और इसे कब पढ़ते है।
इन्हें भी पढ़े:
- Namaz ka Tarika
- Tahajjud ki Namaz ka Tarika
- Jumma ki Namaz ka Tarika
- Namaz e Janaza ka Tarika
- क़ज़ा नमाज़ पढ़ने का तरीका
शबे कद्र कब है 2023 (Shab e Qadr)
शबे कद्र की 20वी रमजान से लेकर 30वी के बिच होता है यानि रमज़ान की पांच रातें में से कोई एक हो सकती है, जैसे 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं।
इन पांचो रातो में एक ऐसी होती है जिसे शबे कद्र की रात कैसे ज्यादातर लोगो को मानना है की 27वी रमजान की रात ही शब् ए कद्र की रात होती है।
लेकिन आपको 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं पांचो रात इबादत करना चाहिए क्युकी किसी को भी पता नहीं होता है की इन रातो में कब शबे कद्र की रात है।
लैलतुल क़द्र क्या है ?
शबे क़द्र या लैलतुल क़द्र एक रात को ही कहा जाता है जो हज़ार महीनों से अफज़ल है यानि आप लैलातुल कद्र बोले या शबे क़द्र बोले.
रमज़ान महीने में एक रात ऐसी भी आती है, जो हज़ार महीने की रात से बेहतर है। जिसे Shab e Qadr कहा जाता है। शबे क़द्र का अर्थ होता हैः “सर्वश्रेष्ट रात“, ऊंचे स्थान वाली रात”, लोगों के नसीब लिखी जानी वाली रात।
शबे क़द्र बहुत ही महत्वपूर्ण रात है, जिस के एक रात की इबादत हज़ार महीनों (83 वर्ष 4 महीने) की इबादतों से बेहतर और अच्छा है। इसी लिए इस रात की फज़ीलत क़ुरआन मजीद और प्रिय रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की हदीसों से प्रमाणित है।
Shab e Qadr ki Namaz ka Tarika
शबे कद्र क्या है और कब है जानने के बाद अब आपको इसका तरीका जानना है और वो भी आसान तरीका के साथ तो आप बस निचे जो स्टेप दिया हुआ है उसे अच्छी तरह से फॉलो करे।
Shab e Qadr ki Namaz ki Rakat
Shab e Qadr ki Namaz ki Rakat के बारे में जानना बहुत जरुरी है क्युकी इस नमाज़ की रकात को लेकर उलमा और लोगो में बहुत सारे इक्तेलाफ़ यानि confusion है जिसे स्पस्ट करना जरुरी है।
हम आपको बता दे की शबे क़द्र की नमाज़ 2 रकात से लेकर 1000 रकात होती है यानि कम से कम 2 रकात और ज्यादा से ज्यादा 1000 रकात है आपसे जितना रकात हो सकता है उतना ही पढ़े।
लेकिन मै बिहार, delhi, उतर प्रदेश में रहा हूँ और वह के उलमा से बात करने पे मालूम चला की शबे क़द्र की नमाज़ 12 रकात होती है जिसे 4 रकात करके 3 times में पूरी करना चाहिए।
अगर आप मेरी बातो से यहाँ तक मान रहे है तो अब आप निचे बताए गए तरीके से इस नमाज़ को पूरा करे।
Shab e Qadr या लैलातुल कद्र की 4 रकअत नफिल पढ़ने के लिए आपको सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है।
Shab e Qadr ki Namaz ki Niyat
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ शब-ए-क़द्र की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
नियत करने के बाद दोनों हाथो को कानो के लॉ को छू कर फिर हाथ बांध ले।
Laylatul Qadr ki Pahli Rakat
- सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका
- फिर ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम फिर बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ें।
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह एक मर्तबा पढ़ें।
- सुरह अल कद्र पढ़े यानि इन न अन्जलना एक मर्तबा पढ़े।
- इसके बाद 15 मर्तबा सुरह इखलास पढ़े।
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ और दोनों सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
फिर आप खड़े हो जाए दूसरा रकात पढ़ने के लिए।
Laylatul Qadr ki Dusri Rakat
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह एक मर्तबा पढ़ें।
- सुरह अल कद्र पढ़े यानि इन न अन्जलना एक मर्तबा पढ़े।
- इसके बाद 15 मर्तबा सुरह इखलास पढ़े।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें। फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ।
Laylatul Qadr ki Third Rakat
तीसरी रकात में पहले की तरह इस रकात में भी:
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह एक मर्तबा पढ़ें।
- सुरह अल कद्र पढ़े यानि इन न अन्जलना एक मर्तबा पढ़े।
- इसके बाद 15 मर्तबा सुरह इखलास पढ़े।
फिर पहले की तरह इस रकात में भी रुकू और सजदे करे फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथी रकात के लिए खड़े हो जाएँ।
Laylatul Qadr ki Fourth Rakat
चौथी रकात में पहले की तरह इस रकात में भी:
- सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह एक मर्तबा पढ़ें।
- सुरह अल कद्र पढ़े यानि इन न अन्जलना एक मर्तबा पढ़े।
- इसके बाद 15 मर्तबा सुरह इखलास पढ़े।
फिर पहले की तरह इस रकात में भी रुकू और सजदे करे फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
सलाम फेरने के बाद उसी हालत में बैठे रहे यानि जिस तरह नमाज़ के वक़्त बैठे थे और 100 बार दरूद शरीफ पढ़े जो आपको याद हो।
फिर 100 मर्तबा अस्ताग्फार यानि अस्ताग्फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्लि जन्बीव व अतुबू इलैहि।
फिर 100 बार सुरह इखलास पढ़े।
इसके बाद दुआ के लिए हाथ उठाए और इस दुआ में आप जो भी अल्लाह सुभान ता’अला से मांगेंगे इन्साल्लाह वो दुआ जरुर कबूल होगी।
इस तरह से आपकी Shab e Qadr 4 रकात पूरी हो गयी।
इसी तरीके से बाकि का 8 रकात पढ़े।
Shab e Qadr ki Dua
Dua In Hindi : अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फ़अ’फु अन्नी
Translation : ए अल्लाह ! बेशक तू माफ़ करने वाला है, माफ़ करने को पसंद करता है तो मुझे भी माफ़ फरमा दे
शबे क़द्र( Shab-e-Qadr) की निशानीः
वैसे तो लैलतुल क़द्र छिपा दी गयी है उसको हम पहचान नहीं सकते, लेकिन इसकी कुछ निशानियाँ बता दी गयी हैं
प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इस रात की कुछ निशानी बयान फरमाया है। जिस के माध्यम से इस महत्वपूर्ण रात को पहचाना जा सकता है।
(1) यह रात बहुत रोशनी वाली होगी, आकाश प्रकाशित होगा, इस रात में न तो बहुत गरमी होगी और न ही सर्दी होगी बल्कि वातावरण अच्छा होगा, उचित होगा। जैसा कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने निशानी बतायी है, जिसे सहाबी वासिला बिन अस्क़अ वर्णन करते है कि –
हदीस: अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमायाः “शबे क़द्र रोशनी वाली रात होती है, न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा ठंढ़ी और वातावरण संतुलित होता है और सितारे को शैतान के पीछे नही भेजा जाता।” (तब्रानी)
(2) यह रात बहुत संतुलित वाली रात होगी। वातावरण बहुत अच्छा होगा, न ही गर्मी और न ही ठंडी होगी। हदीस रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) इसी बात को स्पष्ट करती है –
हदीस: “शबे क़द्र वातावरण संतुलित रात होती है, न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा ठंढ़ी और उस रात के सुबह का सुर्य जब निकलता है तो लालपन धिमा होता है।” (सही- इब्नि खुज़ेमा तथा मुस्नद त़यालसी)
(3) शबे क़द्र के सुबह का सुर्य जब निकलता है, तो रोशनी धिमी होती है, सुर्य के रोशनी में किरण न होता है । जैसा कि उबइ बिन कअब वर्णन करते हैं कि –
हदीस: रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) ने फरमायाः “उस रात के सुबह का सुर्य जब निकलता है, तो रोशनी में किरण नही होता है।” (सही मुस्लिम)
शबे कद्र में क्या अमल करें
(1) हुजुर पाक (स०अ०) से मन्कूल है के इस रात को ज्यादा से ज्यादा कुरआन की तिलावत, दुआओं और नमाज़ में गुजारें।
(2) सुरह बकरह और अले इमरान की आखरी आयातों की तिलावत करें, जिसका पढना एक रात की इबादत का सवाब है।
(3) अयतुल कुर्सी की कसरत से पढना।
(4) सुरह इखलास की तिलावत करना एक तिहाई कुरआन पढने के बराबर है।
(5) सुरह काफिरुन का पढना चोथाई कुरआन के पढना के बराबर है।
(6) सुरह नसर की तिलावत चौथाई कुरआन पढने के बराबर है।
(7) सुरह यासीन की तिलावत करने वाला बख्शा जाता है।
(8) पहला कालिमा का कसरत से पढना।
(9) कसरत से अस्ताग्फार करना।
(10) नबी पाक (स०अ०) पर दरूद भेजना।
आज आपने क्या सिखा
आज आपने Shab e Qadr ki Namaz ka Tarika और उसके साथ लैलातुल कद्र के रिलेटेड बहुत सारे जानकारी के बारे में भी जाना.
अगर आपको शबे कद्र की नमाज़ का तरीका समझ आया है तो आपने दोस्तों के साथ भी इसे शेयर करे या उसे खुद ए तरीका सिखा दे.
आप इस पोस्ट को पूरा नहीं पढ़ पाया है तो इस आर्टिकल को BookMark कर ले और जब आपके पास वक़्त हो तो फिर इस ओपन करके पढ़ सकते है.
खुदा हाफिज!!